मध्य प्रदेश में नेशनल हेराल्ड की परिसंपत्तियों को खुर्द-बुर्द किये जाने से जुड़ी पड़ताल में सामने आया है कि इंदौर में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड को मिली जमीन भर खुर्द-बुर्द नहीं हुई बल्कि जमीन के उपयोग के ‘अधिकार’ ले लेने वाले शख्स एजेएल के बंद कर दिए गए टाइटल ‘नेशनल हेराल्ड’ का धड़ल्ले से प्रकाशन भी करते रहे।
बता दें कि मध्य प्रदेश में एजेएल ने नेशनल हेराल्ड और नवजीवन का प्रकाशन 1992 में बंद कर दिया था। भोपाल से नवजीवन निकला करता था और इंदौर से नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन होता था। अख़बार बंद होने के बाद भोपाल और इंदौर के प्रेस कॉम्पलेक्सों में समाचार पत्र के प्रकाशन के लिये राज्य सरकार से एजेएल को मिली जमीनों को खुर्द-बुर्द करने का सिलसिला चल पड़ा था।
इंदौर के प्रेस कॉम्पलेक्स में एजेएल को प्राप्त हुई लगभग आधा एकड़ जमीन के उपयोग के अधिकार शिवा पब्लिकेशन को हस्तांतरित कर दिये गये थे। शिवा पब्लिकेशन के कर्ता-धर्ता विष्णु गोयल और उनकी पत्नी रेखा गोयल हैं।
इंदौर प्रेस कॉम्पलेक्स की जमीन के उपयोगकर्ता ने नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन (नाम भर के लिये) आरंभ कर दिया था। जानकार बताते हैं कि प्रकाशित होने वाले नेशनल हेराल्ड अख़बार में आरएनआई नंबर नहीं दिया जाता था। आरएनआई नंबर को ‘अवेटेड’ बताया जाता था।
अख़बार छपने की भनक लगने पर आपत्तियाँ उठी थीं। एक राष्ट्रीय स्तर के वरिष्ठ पत्रकार, जो बाद में कांग्रेस से जुड़ गये थे, ने पूरे मामले की प्रमाणिक शिकायत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से की थी।
मध्य प्रदेश के मूल निवासी यह पत्रकार दिल्ली में ही एक प्रमुख अखबार में होते थे। इनके द्वारा की गई शिकायत के बाद कोर्ट-कचहरी आरंभ हुई थी।
एजेएल ने मध्य प्रदेश के एडवोकेट जनरल रहे प्रख्यात वकील आनंद मोहन माथुर को केस लड़ने के लिये अधिकृत किया था। एजेएल की ओर से हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में लगाई गई याचिका पर स्टे मिल गया था।
96 वर्ष के एडवोकेट माथुर ने ‘सत्य हिन्दी’ से बातचीत में बताया, ‘मोतीलाल वोरा और अभिषेक मनु सिंघवी ने इस केस को एजेएल के लिये लड़ने का अनुरोध उनसे किया था। इसके बाद वे मामला कोर्ट में लेकर गये थे। नेशनल हेराल्ड टाइटल के प्रकाशन को रोकने के लिये स्टे मिला था। स्टे आज भी है।’
माथुर आगे बताते हैं, ‘इंदौर प्रेस कॉम्पलेक्स में अनेक प्रकाशनों के लिये आवंटित भूमि को इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा रेग्यूलराइज किया गया है। अन्य प्रकाशनों की तरह ही एजेएल को अलॉट लैंड को भी नियमित करने तथा उसका कब्जा एजेएल को दिलाये जाने का वाद भी कोर्ट में दायर किया हुआ है।’
माथुर के अनुसार दोनों मामले (टाइटल और जमीन मसला) आज भी कोर्ट में विचाराधीन है।
‘इंदौर की जमीन आज करोड़ों की है’
एजेएल को इंदौर की जमीन 1983 में अलॉट हुई थी। जमीन आवंटन के समय अर्जुन सिंह राज्य के सीएम थे। एक लाख रुपये एकड़ दर पर यह जमीन एजेएल को मिली थी। शिवा पब्लिकेशन का आज इस पर कब्जा है। जमीन का आज बाजार मूल्य करोड़ों में है।
शिवा पब्लिकेशन के कर्ता-धर्ता विष्णु गोयल 2012 में इंदौर से प्रकाशन के लिये ‘ग्लोबल हेराल्ड’ नाम से नया टाइटल ले आये थे। जो जानकारी है, उसके अनुसार इस टाइटल की रिकॉर्ड प्रतियाँ आज भी छप रही हैं।
शिवा पब्लिकेशन ने इंदौर के बाद साल 2013 में भोपाल के लिये भी ‘ग्लोबल हेराल्ड’ के प्रकाशन के अधिकार प्राप्त कर लिये थे।
‘छापा भी पड़ा था’
बताया गया है कि विष्णु गोयल व्यावसायी हैं। उनके अलग-अलग कारोबार और कंपनियां हैं। अल्फाविजन नामक कंपनी में टैक्स अनियमितताओं के आरोपों को लेकर जीएसटी की विंग ने पिछले सप्ताह छापामारी की है।
‘सत्य हिन्दी’ ने प्रतिक्रिया और पक्ष जानने के लिये विष्णु गोयल को फोन लगाये। उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। कॉलबैक भी नहीं हुआ। वाट्सऐप संदेश भी उन्हें भेजा, लेकिन प्रतिक्रिया के लिये उनका कोई जवाब ‘सत्य हिन्दी’ को नहीं मिला।
शिवराज सरकार ने बैठाई है जांच
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय नेशनल हेराल्ड मसले को लेकर लगातार पूछताछ कर रहा है। तमाम कथित अनियमितताओं की जांच और ईडी की कार्रवाई से हड़कंप मचा हुआ है।
इधर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने कांग्रेस शासनकाल में 40 साल पहले भोपाल और इंदौर में एजेएल को सस्ती दर पर दी गई जमीन के आवंटन और जमीनों को खुर्द-बुर्द किये जाने से जुड़े मामलों की जांच का एलान किया है। हाल ही में एक घोषणा से सूबे से जुड़ा यह चर्चित मसला एक बार फिर मीडिया की सुर्खियों में है।
(अगले अंक में जारी)