मध्य प्रदेश में बड़ा चावल घोटाला सामने आया है। जानवरों को खिलाने वाला चावल पीडीएस में खपा दिया गया। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने दस ज़िलों में छापामारी शुरू की है। शुरुआती जाँच के बाद दो ज़िलों के 22 मिलर्स और नौ अधिकारियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। इस मामले में कमलनाथ ने सीबीआई जाँच की माँग की है।
राज्य सरकार के आदेश पर ईओडब्ल्यू ने जाँच शुरू की है। जाँच के बाद शनिवार शाम बालाघाट एवं मंडला ज़िले के 22 मिलरों और पीडीएस सिस्टम से जुड़े नौ अफ़सरों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। बालाघाट में 18 और मंडला में 4 मिलर्स पर एफ़आईआर हुई है। जाँच दलों ने बालाघाट, मंडला और जबलपुर में 10 हज़ार 700 क्विंटल अमानक चावल को गोदाम में ही सील कर दिया है।
जाँच एजेंसी की कार्रवाई से राइस मिलर भन्नाये हुए हैं। बालाघाट ज़िले के 100 के लगभग मिलर तो आज से बेमियादी हड़ताल पर चले गये हैं। मिलरों का दावा है कि उनके द्वारा दिया गया चावल गुणवत्तामूलक था। गोदामों में समुचित देखभाल नहीं होने और लापरवाही से यह ख़राब हुआ। ग़लती अफ़सरों और विभाग की है, शिकार मिलरों को बनाया जा रहा है।
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में ग़रीबों को गेहूँ, चावल और नमक एक रुपये किलो में मुहैया कराना शुरू किया है। पूर्व में पीडीएस के तहत चावल दो रुपये किलो मिला करता था। इसे हाल ही में घटाकर एक रुपये प्रति किलो किया गया है।
अमानक और जानवरों को खिलाया जाने वाला चावल पीडीएस में खपाने की पुख्ता शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने जाँच बैठाई है। बालाघाट और मंडला में ‘छापेमारी’ के अलावा चावल उत्पादक ज़िलों रीवा, सतना, सीधी, सिवनी, शहडोल, उमरिया, मंडला, अनूपपुर, कटनी और नरसिंहपुर के वेयर हाउस कार्पोरेशन और निजी गोदामों में रखे चावल की जाँच के लिए भी 100 टीमें लगाई गई हैं। भोपाल, सागर, शिवपुरी और भिंड भेजे गए घटिया चावल के सैंपल लेकर जाँच कराई जा रही है।
जाँच दलों ने बालाघाट के अलावा जबलपुर में ख़राब चावल सील किया है। इन गोदामों से प्रदेश भर में जहाँ-जहाँ भी चावल गया, वहाँ जाँच की जा रही है।
खाद्य नागरिक एवं आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने सोमवार को खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम और भंडार गृह निगम के एमडी की बैठक बुलाई है। बैठक घटिया और सड़े चावल को लेकर चल रही छापामार कार्रवाई को लेकर बुलाई गई है।
पहली नज़र में 100 करोड़ का घोटाला!
जाँच दल से जुड़े सूत्रों ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया कि पहली नज़र में मामला 100 करोड़ के आसपास का अमानक और घटिया चावल खपाने का नज़र आ रहा है। सूत्रों ने कहा कि सील किये गये 10 हज़ार 700 क्विंटल चावल की लागत 30 करोड़ के लगभग है।
सूत्रों ने बताया कि बालाघाट, मंडला और जबलपुर के गोदाम से अन्य ज़िलों में भेजे गए चावल का पूरा ब्यौरा निकाला गया है। यहाँ के गोदामों से जिन भी ज़िलों में चावल गया है, वहाँ भी जाँच-पड़ताल की जा रही है। सागर में इसी सप्ताह बड़ी खेप पहुँची थी। जिसमें साढ़े तीन हज़ार क्विंटल चावल अमानक और इंसान के खाने योग्य नहीं पाया गया है। सूत्रों ने इस पूरे गोरखधंधे में मिलर, खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम और भंडार गृह निगम की मिलीभगत होने को स्वीकारा है।
शिवराज और कमलनाथ आमने-सामने
प्रदेश के इस बड़े चावल घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ आमने-सामने हैं। सत्तारूढ़ दल पूरे घपले के लिए पूर्ववर्ती नाथ सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किसी भी दोषी को ना बख्शने के निर्देश दिये हैं।
उधर कांग्रेस दावा कर रही है कि पूरे घपले के लिए शिवराज सरकार दोषी है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले की जाँच सीबीआई से कराये जाने की माँग की है।
बड़ी खेपें उत्तर प्रदेश के चावल की!
आरोप तो यह भी है कि अमानक और सड़े हुए चावल की बड़ी खेप उत्तर प्रदेश के मिलरों ने मध्य प्रदेश में खपाई है। मध्य प्रदेश के मिलरों ने ख़रीद एजेंसियों की मदद से पूरे घोटाले को अंजाम दिया है। कहा जा रहा है कि घपला करने वालों को उम्मीद थी कि स्टोर किये गये चावल का उपयोग लंबे समय के बाद होगा, लेकिन यह उनकी उम्मीद से बहुत पहले चावल गोदामों से निकलना आरंभ हो गया है। इसी वजह से गोरखधंधा पकड़ में आ गया है। देर से होता तो चावल के सड़ने के तमाम पुख्ता तर्क घपला करने वाले आसानी से दे देते।
उधर जाँच एजेंसी संकेत दे रही हैं कि घपला कई सौ करोड़ तक जा सकता है। जाँच पूरी होने के बाद सही आँकड़ा सामने आयेगा।