मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का ‘गेम ओवर’ हो गया है? पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और 22 विधायकों (छह मंत्री भी शामिल) के विधानसभा से इस्तीफ़ा देने के बाद अब नाथ सरकार का बच पाना नामुमकिन हो गया है। इस्तीफ़ा देने वाले विधायकों ने अपने त्यागपत्र विधानसभा स्पीकर और राज्यपाल को भेज दिये हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपनी कुर्सी छोड़नी ही होगी। संभावना है कि वह अपने पद से इस्तीफ़ा देकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं और राज्य में फिर से चुनाव कराने की मांग कर सकते हैं।
मध्य प्रदेश में सप्ताह भर से चल रही सियासी उठापटक का पटाक्षेप होने वाला है। पार्टी के 22 विधायकों के इस्तीफ़े के बाद कांग्रेस के पास 92 विधायक रह गए हैं।
मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। दो सीट अभी रिक्त हैं। बची 228 सीटों में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफ़े के बाद विधानसभा की सदस्य संख्या 206 रह गई है। ऐसे में बहुमत साबित करने के लिए 104 विधायकों की आवश्कता होगी। कांग्रेस को यदि समर्थक दलों और निर्दलीय विधायकों का साथ मिल भी जाता है तो भी उसकी नैया पार होनी नामुमकिन है।
उधर, बीजेपी के पास 107 सीटें हैं। विधानसभा में 206 सीटों के हिसाब से वह आसानी से बहुमत (104 विधायक) हासिल कर लेगी। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भी बीजेपी के संपर्क में हैं। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल गुड्डा पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कमलनाथ जब तक सीएम रहेंगे तब तक ही वह कांग्रेस का साथ देंगे। बसपा और सपा के विधायक भी शिवराज सिंह चौहान से मुलाक़ात कर चुके हैं। ऐसे में बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत है।
दिग्विजय सिंह के बेहद विश्वासपात्रों में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक बिसाहूलाल सिंह ने भी शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में इस्तीफ़े की घोषणा की और बीजेपी में शामिल हो गये।
बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्र दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस में अभी तो इस्तीफ़ों की शुरुआत हुई है। उनके मुताबिक़, कांग्रेस के 10-12 विधायक अभी और इस्तीफ़ा देंगे। बहुत साफ है कि बीजेपी पूरी शिद्धत से अपना काम कर रही थी।
बीजेपी के सूत्र यह भी कह रहे हैं कि उनकी पार्टी प्रदेशवासियों को पुनः चुनाव में ‘झोंकने’ के पक्ष में नहीं है और ‘कर्नाटक फार्मूला’ अपनाकर वह आसानी से सरकार बना लेगी।
कांग्रेस और बीजेपी विधायक दल की बैठक थोड़ी देर में होगी। संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस और मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज कुछ अन्य कांग्रेसी विधायक बैठक से गैरहाजिर रह सकते हैं। विधायकों की संख्या साफ कर देगी कि नाथ सरकार का इस्तीफ़ा कब तक हो जायेगा।
राज्यपाल के पाले में है गेंद
कांग्रेस में विधायकों के इस्तीफों की झड़ी के बाद मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का रोल बेहद अहम हो गया है। कांग्रेस की ओर से विधानसभा का बजट सत्र टालने का प्रयास हो सकता है। लेकिन राज्यपाल कांग्रेस की किसी भी मंशा या मांग पर विचार करें, इसकी संभावनाएं कतई नजर नहीं आ रही हैं।
विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च से आहूत है। सत्र के पहले यदि कमलनाथ सरकार का इस्तीफ़ा नहीं हुआ तो बीजेपी सत्र के पहले ही दिन बहुमत साबित करने की मांग उठायेगी और बहुमत साबित ना कर पाने की स्थिति में सरकार खुद-ब-खुद गिर जायेगी। ऐसी स्थिति में राज्यपाल टंडन बीजेपी को सरकार बनाने का अवसर देंगे। मौक़ा मिलने पर बीजेपी ना केवल सरकार बना लेगी बल्कि आसानी से बहुमत भी साबित कर लेगी।
सिंधिया को कहा जयचंद
मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को जयचंद करार दिया है। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीजेपी को कमलनाथ सरकार को गिराने के प्रयासों के लिए जमकर कोसा। कांग्रेस के पूर्व मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने ट्वीट कर कहा, ‘गद्दार मां की कोख से, भगत सिंह पैदा नहीं होते।’ कांग्रेस की इस टिप्पणी पर शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया का बचाव करते हुए कहा, ‘कल तक वे कांग्रेस के महाराज थे और आज गद्दार हो गये।’