छिन्दवाड़ा में कमलनाथ की फिर हुई किरकिरी, अमरवाड़ा में कांग्रेस की हार

05:48 pm Jul 13, 2024 | संजीव श्रीवास्तव

मध्य प्रदेश भाजपा ने छिन्दवाड़ा में एक और नया अध्याय लिख दिया। लोकसभा चुनाव 2024 में छिन्दवाड़ा को जीतने के बाद इसी संसदीय क्षेत्र में आने वाली अमरवाड़ा सीट पर हुए उपचुनाव में शनिवार को भाजपा ने जीत दर्ज कर कमलनाथ के असर को कम कर दिया। अमरवाड़ा सीट कांग्रेस से उन कमलेश शाह ने बीजेपी के लिए छिन ली, जो बीते तीन चुनाव से इस सीट को कांग्रेस के लिए जीत रहे थे।

कमल नाथ-नकुल नाथ और नाथ परिवार छिन्दवाड़ा को बपौती मानकर चला करता था। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने एक के बाद एक कमल नाथ-नकुल नाथ के सिपाहासालारों एवं समर्थकों को तोड़कर, इस मुलम्मे को पूरी तरह से उतार दिया कि छिन्दवाड़ा कांग्रेस का अजेय गढ़ है।

कमलनाथ मानकर चलते थे कि छिन्दवाड़ा में कांग्रेस का मतलब कमल नाथ है। दरअसल, नाथ को 1980 में इंदिरा गांधी ने छिन्दवाड़ा में लांच किया था। साल 1980 से लेकर 1996 तक नाथ या उनके परिजन इस सीट को जीतते रहे।

कमल नाथ ने 1996 में हवाला कांड में नाम आने के बाद पत्नी अलका नाथ को टिकट दिलाया। चुनाव जितवाया। हवाला से बरी होकर अलका नाथ से इस्तीफ़ा दिलवाकर उपचुनाव कराया तो गच्चा खा गए। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और क़द्दावर नेता सुंदरलाल पटवा (अब इस दुनिया में नहीं हैं) ने कमल नाथ को हराकर इतिहास रच दिया था।

हालांकि 1998 के चुनाव में कमल नाथ सीट पाने में सफल हो गए थे। इसके बाद लगातार जीतते रहे। कुल 9 चुनाव नाथ ने छिन्दवाड़ा में जीते और संसद में गए। साल 2024 में सिलसिला टूट गया। नकुल नाथ 2019 को छिन्दवाड़ा में कांग्रेस और पिता नाथ के लिए नहीं दोहरा पाये।

अमरवाड़ा में हार को कमल नाथ चैप्टर का छिन्दवाड़ा में ‘द एंड’ माना जा रहा है। छिन्दवाड़ा के जर्नलिस्ट ललित साहू कहते हैं, ‘पिता-पुत्र ने कांग्रेस और मदद करने वालों की कभी क़द्र नहीं की। फिर भी कांग्रेस के प्रति वफ़ादार कांग्रेसी पार्टी की नैया पार करते रहे। पिता-पुत्र नहीं चेता, पहले छिन्दवाड़ा को हारा और अब अमरवाड़ा को हार गए।’

यहां बता दें कि मध्य प्रदेश की कुल 29 में से 28 लोकसभा सीटें कांग्रेस 2019 में हारी, लेकिन छिन्दवाड़ा ने निराश नहीं किया। साल 2023 के विधानसभा चुनाव में कुल 230 में कांग्रेस को महज़ 66 सीटें मिलीं लेकिन छिन्दवाड़ा ज़िले/संसदीय क्षेत्र के वोटरों ने सभी सीटें कांग्रेस की झोली में डालीं। साल 2018 विधानसभा चुनाव के नतीजों को छिन्दवाड़ा ने 2023 में दोहराया।

3 हजार से ज़्यादा वोटों से जीते शाह

अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव को भाजपा कैंडिडेट के रूप में कमलेश शाह ने 3 हजार 252 वोटों से जीता। पीजी कॉलेज में हुई काउंटिंग में काफी उलटफेर होते रहे। पहले तीन राउंड तक भाजपा आगे रही। फिर उतार-चढ़ाव के साथ 17वें राउंड तक कांग्रेस के धीरन शाह लीड बनाए हुए थे।

आखिरी के तीन राउंड में भाजपा को लगातार बढ़त मिली। कांग्रेस ने दो राउंड की काउंटिंग में गड़बड़ी की आशंका जताई। कांग्रेस समर्थकों ने रिकाउंटिंग की मांग की, लेकिन बात नहीं बन पायी। भाजपा उम्मीदवार विजयी रहे।

हार की वजह

छिन्दवाड़ा में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी भी रही। इस दल ने 28 हजार के लगभग वोट हासिल किए। इस एक वजह के अलावा उपचुनाव को कमल नाथ और नकुल नाथ द्वारा बेहद हलके में लेना भी रहा। कमल नाथ ने अमरवाड़ा में 3 दिन और नकुल नाथ ने 4 दिन दिए। जानकार कह रहे हैं, प्रॉपर प्लानिंग का अभाव और वक्त कम देना भी हार की एक अन्य प्रमुख वजह रही।

कमलेश शाह 2023 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। कमलेश ने बीजेपी की मोनिका बट्टी को हराया था। लोकसभा चुनाव से पहले कमलेश ने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी और 29 मार्च को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।

उनके इस्तीफे से रिक्त सीट पर उपचुनाव कराये गये थे। कुल 9 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें भाजपा के कमलेश शाह विजयी हुए।

जीतू पटवारी को भी देना होगा जवाब

कमल नाथ उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं। उनके स्वास्थ्य के मद्देनजर अब अगला चुनाव वे लड़ेंगे, इसकी संभावनाएं कम हैं। नकुल नाथ की छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट पर करारी हार और अब अमरवाड़ा भी हार जाने के बाद कांग्रेस क्षेत्र में बेहद कमजोर हो गई है। पार्टी में विरोधियों के निशाने पर कमल नाथ और नकुल नाथ तब से ही हैं, जब उनके भाजपा में जाने संबंधी अफवाहें उड़ी थीं।

कमल नाथ ने दो अर्थ पैदा करने वाले बयान देकर इस पूरे घटनाक्रम को हवा दी थी। हालांकि पिता-पुत्र भाजपा में नहीं गए थे। अलबत्ता नाथ के लिए छिन्दवाड़ा की विधानसभा सीट छोड़ने वाले पुराने वफादार दीपक सक्सेना सहित कई कांग्रेसी भाजपा में चले गए थे।

ऐसा माना जा रहा है कि अमरवाड़ा ने कमल नाथ और नकुल नाथ की मुट्ठी पूरी तरह से खोल दी है। अमरवाड़ा उपचुनाव में हार को लेकर मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी को भी आलाकमान के सामने स्पष्टीकरण अवश्य देना होगा। पटवारी को पसंद नहीं करने वाले पार्टी के विरोधी नेता आने वाले समय में निशाना ज़रूर बनायेंगे। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी विरोधियों के निशाने पर होंगे।

मोहन-वीडी का कदम बढ़ा

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को मध्य प्रदेश भाजपा का शुभंकर अध्यक्ष कहा एवं माना जाता है। पहले वे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ कदमताल करते थे तो अब वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ किला लड़ा रहे हैं।

लोकसभा की सभी 29 सीटें जीतने का सेहरा मोहन यादव के सिर भी बंधा था। अब अमरवाड़ा विधानसभा का उपचुनाव जीत लेने के बाद वीडी के साथ उनके कद में भी इजाफा हो गया है, ऐसा प्रेक्षक मानकर चल रहे हैं।