उज्जैन: विकास दुबे की गिरफ़्तारी से एक दिन पहले 8 पुलिस अफ़सरों का तबादला 

11:41 am Jul 10, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ़्तारी से एक दिन पहले यानी 8 जुलाई को उज्जैन में 8 पुलिस अफ़सरों का तबादला कर दिया गया। पुलिस अफ़सरों के तबादले को लेकर जारी आदेश की सरकारी कॉपी इंडिया टुडे के पास है। 

जिन अफ़सरों का तबादला हुआ है, उनमें महाकाल पुलिस स्टेशन के एसएचओ और महाकाल चौकी इंचार्ज भी शामिल हैं। उज्जैन के महाकाल मंदिर में ही विकास दुबे की नाटकीय अंदाज में गिरफ़्तारी हुई थी। महाकाल मंदिर महाकाल पुलिस स्टेशन के न्यायिक क्षेत्र में आता है। 

यह कॉपी 8 जुलाई की है और इसका क्रमांक (T-3727) है। इस कॉपी पर उज्जैन के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह के हस्ताक्षर हैं। 

मध्य प्रदेश पुलिस ने गुरूवार शाम को विकास दुबे को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फ़ोर्स (एसटीएफ़) को सौंप दिया है। इसके अलावा दुबे की पत्नी और बेटे को लखनऊ पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है।विकास दुबे को गुरूवार सुबह मध्य प्रदेश के उज्जैन में पकड़ा गया था। लेकिन उसने सरेंडर किया या वह गिरफ्तार हुआ इसे लेकर पुलिस की कहानी में झोल ही झोल हैं।

इस मुद्दे पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का वीडियो - 

उत्तर प्रदेश के कानपुर में आठ पुलिस वालों को मौत के घाट उतारने के बाद से ही विकास दुबे अपने साथियों के साथ फरार चल रहा था। उसके हरियाणा के फरीदाबाद में होने की सूचना आई थी। पुलिस को वहां से चकमा देकर वह उज्जैन भाग गया था। यूपी पुलिस ने उस पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। यूपी पुलिस सरगर्मी से विकास की तलाश कर रही थी। लेकिन वह पुलिस के इंतजामों को धता बताते हुए मध्य प्रदेश पहुंच गया। 

कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने

विकास दुबे के पकड़े जाने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के कानपुर कनेक्शन को लेकर भी सवाल उठाये हैं। उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में मिश्रा कानपुर के प्रभारी रहे थे। आज हुए घटनाक्रम को मध्य प्रदेश कांग्रेस मिश्रा के कानपुर के पुराने प्रभार से जोड़कर सवाल खड़े कर रही है। कांग्रेस ने कहा कि दाल में कुछ काला की बात छोड़िए यहां तो पूरी दाल ही काली है। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य दिग्विजय सिंह ने तो विकास को पकड़े जाने की कहानी पर सवाल उठाते हुए सबकुछ ‘फिक्स’ बता दिया है। उन्होंने मामले की न्यायिक जांच की मांग भी की है।

उधर, नरोत्तम मिश्रा का कहना है, ‘मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस समाप्ति की ओर है। उसके नेता चूक गये हैं। बिना सिर-पैर वाले आरोप लगाना उनकी फितरत हो चुकी है।’

विकास दुबे पर 60 आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं। दुबे को बचपन से ही जरायम की दुनिया में नाम कमाने का शौक था। वह काफी समय से गैंग बनाकर लूटपाट और हत्याएं कर रहा था और इस काम में उसे राजनेताओं और पुलिस का भी भरपूर सहयोग मिलता रहा है। 

2 जुलाई की रात को बिकरू गांव में दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम के 8 जवानों की शहादत के बाद से ही पुलिस ने रूख़ बेहद सख़्त कर लिया था। पुलिस ने बीते एक हफ़्ते में दुबे के कई करीबियों को ढेर कर दिया और कुछ को गिरफ़्तार कर लिया।