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हिमाचल की मंडी सीट पर किसका पलड़ा भारी, कंगना या विक्रमादित्य का?

हिमाचल की मंडी सीट पर किसका पलड़ा भारी, कंगना या विक्रमादित्य का?

हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट पर लोकसभा चुनाव के आख़िरी चरण में मतदान होना है। जानिए, इस सीट पर किसकी स्थिति कैसी है। 

मंडी सीट पर एक तरफ़ हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह हैं तो दूसरी तरफ़ बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की पसंद बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत। विक्रमादित्य को जहाँ अपने पिता के काम पर भरोसा है तो कंगना रनौत को प्रधानमंत्री मोदी के नाम और उनकी 'उपलब्धियों' पर।

देश के दूसरे सबसे बड़े निर्वाचन क्षेत्र वाली सीट मंडी में लड़ाई 'राजा साहब' की विरासत और पीएम नरेंद्र मोदी के वफादारों के बीच है। यही दोनों के चुनाव में नज़र भी आता है। कंगना जहाँ पीएम मोदी के नाम का बार-बार ज़िक्र कर रही हैं, उनके नाम पर वोट मांग रही हैं और प्रधानमंत्री की कथित उपलब्धियों का ज़िक्र कर रही हैं।

कंगना द्वारा जारी किए गए पोस्टर पर टैगलाइन है- अतीत की नींव पर भविष्य का निर्माण। कुछ इसी तरह का पोस्टर विक्रमादित्य का भी है। पोस्टर में मतदाताओं से एक मजबूत अतीत की नींव पर बेहतर भविष्य बुनने का आह्वान किया गया है। हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह की तस्वीर वाले इस पोस्टर में आगे उनके बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह की तस्वीर है। 

पारंपरिक तौर पर मंडी कांग्रेस की गढ़ रही है। पांच बार सांसद रहे वीरभद्र सिंह का यहां के मतदाताओं के साथ भावनात्मक जुड़ाव बना हुआ है। हिमाचल सरकार में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री विक्रमादित्य सिंह अपने पिता की विरासत का लाभ उठाने के अलावा अपनी खुद की छवि बनाने में भी कामयाब रहे हैं। विक्रमादित्य सिंह 2022 के चुनाव में शिमला ग्रामीण से दूसरी बार विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं और हिमाचल प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं।

उनके वफादारों का कहना है कि सिंह ने हिमाचल में 2023 की बाढ़ के दौरान कई लोगों को राहत और अस्थायी घर मुहैया कराकर काम किया। वहीं कुछ लोग बाढ़ पीड़ितों को स्थायी घर मुहैया कराने में देरी के लिए उन पर दोष मढ़ते हैं।

पहली बार राजनीति में उतरीं कंगना रनौत को 'मोदी ब्रांड' का आसरा लगता है। हालाँकि उनको मंडी से आने वाले भाजपा के पूर्व सीएम जयराम ठाकुर से भी काफी सहयोग मिल रहा है।

क्षेत्र में जयराम ठाकुर की पकड़ अच्छी है। ठाकुर को लगभग हर सार्वजनिक सभा में कंगना रनौत के साथ सक्रिय रूप से देखा जा सकता है।

इस लोकसभा क्षेत्र की मौजूदा स्थिति यह है कि मंडी की 10 विधानसभा सीटों में से नौ भाजपा के पास हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में मंडी से भाजपा उम्मीदवार राम स्वरूप ने 400,000 से अधिक मतों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। स्वरूप को 2021 में दिल्ली स्थित उनके आवास पर कमरे में लटका हुआ पाया गया था। उनके आत्महत्या करने का संदेह है। 

कंगना पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। उनके पास अनुभव की कमी है। वह उस तरह से चुनावी मुद्दे नहीं उठा पा रही हैं जिस तरह से विक्रमादित्य सिंह स्थानीय मुद्दों को उठा रहे हैं। कंगना रनौत ने चुनावी जनसभाओं में महिला सशक्तिकरण की बात जरूर कही है। 

विक्रमादित्य लगातार अपनी प्राथमिकताओं पर बात कर रहें हैं, जिसमें मंडी को आदर्श संसदीय क्षेत्र बनाना, मंडी में समार्ट सीटी, बेसहारा पशुओं के लिए गौ सदन बनवाना, सीएसडी कैंटीन खोलना, अग्निवीर योजना को बंद करवाना, युवाओं के लिए स्थायी रोजगार उपलब्ध कराना आदि शामिल हैं।

वैसे, विक्रमादित्य सिंह राजशाही परिवार से संबंध रखते हैं। विक्रमादित्य सिंह को पिता वीरभद्र सिंह से राजनीति विरासत में मिली है। कई दशकों से इनका परिवार राजनीति में सक्रिय हैं, जिसका लाभ विक्रमादित्य सिंह को प्रत्यक्ष रूप से मिल रहा है। 

अन्य मुद्दों के अलावा मुख्य मुद्दा मंडी को कुल्लू से जोड़ने वाली सड़क की बहाली है, जो पिछले साल की बाढ़ के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी। साथ ही बाढ़ में बर्बाद हुए 600 से 700 पक्के घरों की बहाली भी है। एक और भावनात्मक मुद्दा मंडी में एक हवाई अड्डा है, जिसे ठाकुर की सरकार ने शुरू किया था। 

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