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MUDA केस में लोकायुक्त ने सिद्धारमैया को पूछताछ के लिए समन भेजा

MUDA केस में लोकायुक्त ने सिद्धारमैया को पूछताछ के लिए समन भेजा

मैसुरु में जमीन आवंटन के बढ़ते विवाद के बीच क्या कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं? जानिए, लोकायुक्त जाँच में क्या क़दम उठाए गए हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। लोकायुक्त पुलिस ने सोमवार को सिद्धारमैया को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण यानी MUDA मामले में 6 नवंबर को पूछताछ के लिए समन जारी किया है। इसी जांच में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बीएम को 25 अक्टूबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। 

सिद्धारमैया और पार्वती दोनों का नाम मैसूर लोकायुक्त पुलिस द्वारा 27 सितंबर को दर्ज की गई एफआईआर में है। उनके साथ ही इसमें उनके बहनोई मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू का नाम भी है। देवराजू से स्वामी ने एक प्लॉट खरीदा था जिसे बाद में पार्वती को उपहार में दिया गया था। मामला अभी भी उलझा हुआ है, क्योंकि लोकायुक्त कथित अनियमितताओं पर और अधिक स्पष्टता चाहते हैं।

सिद्धारमैया ने पहले अपने या अपने परिवार द्वारा किसी भी तरह के गलत काम से इनकार करते हुए कहा था कि विपक्ष उनसे डरा हुआ है और यह उनके खिलाफ इस तरह का पहला राजनीतिक मामला है।

इससे पहले 29 अक्टूबर को पूर्व मुदा आयुक्त डीबी नटेश को हिरासत में लिया गया था, जब ईडी ने मैसूर भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में उनसे पूछताछ की थी। इस मामले में ईडी ने भी कार्रवाई की है। 30 सितंबर को ईडी ने सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया। मुदा भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनपर आरोप लगाया गया है। उससे कुछ समय पहले ही राज्य लोकायुक्त की एफआईआर का संज्ञान लेते हुए ईडी ने प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट यानी ईसीआईआर दायर की थी। यह पुलिस एफआईआर के बराबर है। 

जांच एजेंसी ने सिद्धारमैया के खिलाफ ईसीआईआर में मामला दर्ज करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए की धाराओं को लागू किया है। प्रक्रिया के अनुसार, ईडी को पूछताछ के लिए आरोपियों को बुलाने का अधिकार है और जांच के दौरान उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है।

ईडी द्वारा केस तब दर्ज किया गया जब कर्नाटक सरकार ने उससे चार दिन पहले ही सीबीआई को जांच के लिए राज्य में दी गई आम सहमति वापस ले ली थी।

कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धारमैया और तीन अन्य पर 2021 में सीएम की पत्नी को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण के 14 आवास स्थलों के कथित आवंटन के संबंध में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज किया था।

लोकायुक्त पुलिस की मैसूर इकाई ने आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की निजी शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की। इसे 25 सितंबर को निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए एक विशेष अदालत द्वारा एजेंसी को भेजा गया था।

यह कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा 24 सितंबर को राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा तीन निजी व्यक्तियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत सीएम के खिलाफ मामला दर्ज करने की मंजूरी दिए जाने के बाद आया। लोकायुक्त एफआईआर दर्ज होने के बाद मामले में शिकायतकर्ता ने आगे की कार्रवाई के लिए ईडी से भी संपर्क किया था। 

मुदा घोटाला क्या है?

मुदा साइट आवंटन मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं। यह दावा किया जाता है कि उनकी पत्नी पार्वती को मैसूर के एक प्रमुख स्थान पर 14 साइटें आवंटित की गईं, जिनकी संपत्ति का मूल्य मुदा द्वारा अधिग्रहित भूमि से काफी अधिक था।

मुदा ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले में '50:50 अनुपात योजना' के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां उन्होंने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था। आरोप है कि पार्वती के पास इस 3.16 एकड़ जमीन पर कोई कानूनी अधिकार नहीं था।

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