हाल के तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों में जीत ने कांग्रेस का दिमाग सातवें आसमान पर चढ़ा दिया है। छन कर आ रही ख़बरों के अनुसार, कांग्रेस ने बिहार में 15 सीटों पर दावा ठोका है। कांग्रेस की यही ज़िद महागठबंधन के सीट बँटवारे की घोषणा में सबसे बड़ा बाधक है। बिहार के राजनीतिक क्षितिज पर महागठबंधन का बड़ा भागीदार राजद चाहता है कि कांग्रेस अच्छी तरह अपनी औक़ात का मूल्यांकन करके अपना दावा ठोके।
बहरहाल, राष्ट्रीय जनता दल के एक बड़े नेता ने साफ़ शब्दों में कह दिया है, ‘मैं एक राजनीतिक पार्टी चलाता हूँ, न कि ख़ैरात बाँटने वाली चैरिटेबल संस्था। मेरी पार्टी कम से कम 22 सीट पर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी। बाक़ी की 18 सीट महागठबंधन के उन सदस्यों को दी जाएगी जो ‘धरती-पुत्रों’ को कैन्डिडेट बनाएँगे।' अपने अंदाज़ में उस नेता ने आगे कहा, ‘और हाँ, एक बात मैं क्लियर कर दूँ कि राजद अपने राजनीतिक अस्तित्व का ख़ून करके किसी सहयोगी को ख़ुश करने का काम क़तई नहीं करने जा रहा है।’
चार महीने बाद होने वाले महाभारत में अपनी भागीदारी के लिए राँची के बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार में राजद अध्यक्ष लालू यादव से महागठबंधन के लगभग सारे नेता मिल रहे हैं। नेताओं के बीच पहले तय हुआ था कि खरमास यानी जनवरी 14 के बाद सीटों के बँटवारे की घोषणा कर दी जाएगी। लेकिन कांग्रेस के अड़ियल रुख़ के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है।
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सूत्रों का कहना है कि राजद नेतृत्व 3 फ़रवरी तक कांग्रेस के रुख़ का इंतजार करेगा और इसके बाद सीटों की घोषणा कर दी जाएगी। 3 फ़रवरी को पटना के गाँधी मैदान में कांग्रेस की रैली है, जिसमें पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी शिरकत करेंगे।
कांग्रेस की इस रैली में राहुल गाँधी से किसी बड़े फ़ैसले की घोषणा के कयास लगाये जा रहे हैं।
- सूत्र बताते हैं कि राजद नेतृत्व ने साफ़ कर दिया है कि समाजवादी पार्टी को एक भी टिकट लेने का हक़ नहीं बनता है, क्योंकि उनका कोई राजनीतिक वजूद बिहार में नहीं है। दूसरी बात यह है कि राजद को सपा यूपी में एक भी सीट नहीं देने जा रही है तो फिर उनके लिए सीट क्यों छोड़ी जाए?
जगजाहिर है कि बिहार की धरती पर जन समर्थन के मामले में आज की तारीख़ में लालू यादव से बड़ा कोई नेता नहीं है। दूसरे और तीसरे नम्बर पर क्रमशः सीएम तथा जनता दल (यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार और लोजपा चीफ़ एवं केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान हैं। इनके अलावा रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा, बीएसपी सुप्रीमो बहन मायावती, वीआईपी अध्यक्ष मुकेश साहनी, हम (सेकुलर) के अध्यक्ष तथा पूर्व सीएम जीतन राम मांझी वामपंथी सीपीआई (एमएल लिबरेशन) के पास अपना आधार वोट है। बीजपी के पास भी अपना बेस वोट है, जबकि कांग्रेस सहित प्रदेश में बाक़ी राजनीतिक दल अपेन्डेज बनकर चुनावी वैतरणी पार करते रहते हैं।
कांग्रेस के लिए सिर्फ़ सात सीट!
बहरहाल, महागठबंधन के नेताओं की जेल में हो रही बैठकें संकेत दे रही हैं कि लालू यादव ने मोटे तौर पर फ़ाइनल कर लिया है कि महागठबंधन में शामिल किस सदस्य को कितनी सीटें देनी हैं। सूत्र बता रहे हैं कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के साथ काराकाट सहित 4 सीट के लिए बात बन गई है। वैसे, रालोसपा अध्यक्ष 2 और सीटों की माँग कर रहे हैं। लेकिन मिलने की गुंज़ाइश नहीं है। बीएसपी तथा वीआईपी को क्रमशः दो-दो सीटें, सीपीआई (माले), जीतन राम मांझी को क्रमशः एक-एक सीट से संतोष करना पड़ेगा। बिहार में कुल 40 लोकसभा की बची हुई सात सीटों को कांग्रेस को देने की बातचीत चल रही है।
सूत्रों के अनुसार, शरद यादव को लालटेन का सिम्बल देकर मधेपुरा भेजा जाएगा। न तो उनके दल को और न ही उनके किसी राजनीतिक शिष्य को किसी भी सूरत में एडजस्ट करने की कोई योजना है। शरद यादव की चाहत है कि सीतामढ़ी से पूर्व एमपी अर्जुन राय तथा जमुई सीट से पूर्व स्पीकर उदय नारायण चाैधरी को राजद का उम्मीदवार बनाया जाए। लेकिन राजद चीफ़ की मंशा नहीं है कि शरद यादव को ज़्यादा तरजीह दी जाए।
बीजेपी के बाग़ी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से राजद प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं। लेकिन शाॅटगन ने अभी तक तय नहीं किया है कि वह राजद की लालटेन पकड़ेंगे या फिर कांग्रेस का पंजा लेकर महाभारत में कूदेंगे।
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दरभंगा और मधुबनी सीट को राजद ने अपने खाते में रखकर अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को उम्मीदवार बनाने का मन बना लिया है। कांग्रेस इस बात की पैरवी कर रही है कि लालू यादव दरभंगा सीट कीर्ति आज़ाद के लिए छोड़ दें।
बात संभलेगी या बिगड़ेगी?
कहते हैं कि राँची जेल में पक रही राजनीतिक खिचड़ी की जानकारी कांग्रेस आला कमान को है। लेकिन बिहार कांग्रेस 15 सीट पर लड़ने का दावा ठोक रही है। 2014 में राजद के साथ गठबंधन करके कांग्रेस ने 13 सीट पर चुनाव लड़ा था। हाल में हुए तीन राज्यों की जीत से उत्साहित कांग्रेस नेताओं ने लालू यादव पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
- राजद के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘लालू यादव पर दबाव का कोई असर नहीं है। बिहार कांग्रेस के कुछ नेता हमेशा हवाई जहाज की सैर करते हैं और उन्हें ज़मीनी हक़ीकत से कोई लेना-देना नहीं है। ज़्यादा इधर-उधर करेंगे तो हमलोग 2009 लोकसभा चुनाव की तरह उन्हें 'एकला' चलने को बाध्य कर देंगे। तब सच्चाई का पता चल जाएगा।’
इसी बीच, कांग्रेस के एक बड़े नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘राजद ने सवर्ण आरक्षण का विरोध करके हमलोगों के आधार वोट को काफ़ी हद तक नुक़सान पहुँचा दिया है। महागठबंधन में हमलोगों की हैसियत साँप व छुछुन्दर वाली बन गई है। बेहतर होगा कि शीर्ष नेतृत्व बिहार में एकला चलने का निर्णय करे।’
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