बिहार में एनडीए ने किया सीटों का बंटवारा, गिरिराज, शाहनवाज का टिकट कटा

11:43 am Mar 23, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में एनडीए ने सीटों का बंटवारा कर दिया है। पटना में रविवार को हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सीटों के बंटवारे को लेकर घोषणा हुई। समझौते के मुताबिक़, बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं और रामविलास पासवान की पार्टी को 6 सीटें मिली हैं। पिछली बार बीजेपी और जेडीयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। 

प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए बिहार जेडीयू के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी के खाते की सभी सीटों का एलान किया। 

सीट बंटवारे में भागलपुर व नवादा सीट बीजेपी के सहयोगियों के पास चली गई है। नवादा सीट से बीजेपी के गिरिराज सिंह सांसद हैं, चर्चा है कि गिरिराज को बेगूसराय से टिकट मिल सकता है। दूसरी तरफ़ राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन की भागलपुर सीट जनता दल यूनाइटेड को मिल गई है। अब शाहनवाज हुसैन को किस सीट से उतारा जाएगा इसे लेकर पार्टी विचार कर रही है।

समझौते के मुताबिक़, वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, जमुई, नवादा से लोकजनशक्ति पार्टी अपने प्रत्याशी उतारेगी। वाल्मीकिनगर, किशनगंज, कटिहार, झंझारपुर, सुपौल, पूर्णिया,मधेपुरा, भागलपुर बांका, मुंगेर, जहानाबाद, नालंदा, काराकाट पर जनता दल यूनाइटेड प्रत्याशी उतारेगी। वत्सल, सासाराम, औरंगाबाद, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर, महराजगंज, उधियारपुर, बेगूसराय, पटना साहिब, बक्सर, पाटलिपुत्र, सासाराम की सीटें बीजेपी को मिली हैं।  

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बिहार में 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और उसे 22 सीटों पर जीत मिली थी। एलजेपी को छह और आरएलएसपी को तीन सीटें मिली थीं। आरएलएसपी ने कुछ महीने पहले एनडीए छोड़ दिया था और अब वह यूपीए गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। 

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी, जेडीयू, कांग्रेस और अन्य दलों का क्या प्रदर्शन रहा, इसे नीचे दिए चार्ट से समझ सकते हैं। 

जेडीयू ने 2015 का विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ मिलकर लड़ा था और काफ़ी अच्छी सफलता हासिल की थी। लेकिन बाद में नीतीश कुमार अलग हो गए और फिर से एनडीए में शामिल हो गए। अब देखना यह है कि क्या एनडीए बदली हुई परिस्थितियों में विजयश्री हासिल कर पाता है या महागठबंधन उसे मात देता है।