हिन्दी साहित्य के प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह का निधन मंगलवार की रात दिल्ली के एम्स में हो गया। वे 93 साल के थे।नामवर सिंह पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और अपने घर में गिर जाने के बाद उन्हें एम्स में दाखिल कराया गया था। उनके निधन से हिन्दी साहित्य आलोचना की विधा ने अपना सबसे महत्वपूर्ण हस्ताक्षर खो दिया है।
हिंदी में आलोचना विधा को नई पहचान देने वाले नामवर सिंह का जन्म बनारस के पास जीयनपुर गांव में हुआ था। उन्होंने हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी करने के बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाया। इसके बाद वे दिल्ली आ गए और उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भारतीय भाषा केंद्र की स्थापना की। वे हिंदी साहित्य को एक नई ऊंचाई पर ले गए।
बीते साल उनके जन्मदिन के मौके पर दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 'नामवर संग बैठकी' नामक कार्यक्रम रखी गई थी, जिसमें हिन्दी के लेखक विश्वनाथ त्रिपाठी ने उन्हें अज्ञेय के बाद हिंदी का सबसे बड़ा 'स्टेट्समैन' करार दिया था।नामवर सिंह के छोटे भाई और साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने कहा था कि हिंदी आलोचकों में भी ऐसी लोकप्रियता किसी को नहीं मिली जैसी नामवरजी को मिली।