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कर्नाटक: लिंगायत संत बसवलिंगा स्वामी ने क्यों की आत्महत्या?

कर्नाटक: लिंगायत संत बसवलिंगा स्वामी ने क्यों की आत्महत्या?

संत ने जो दो पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा है उसमें कुछ लोगों पर आरोप लगाया है कि वे लोग उन्हें उनके पद से हटाना चाहते थे और इसके लिए उनका उत्पीड़न कर रहे थे। बसवलिंगा स्वामी 44 साल के थे। 

कर्नाटक में लिंगायत संप्रदाय के संत बसवलिंगा स्वामी ने आत्महत्या कर ली है। उनका शव सोमवार सुबह उनके कमरे में फंदे से लटकता हुआ मिला। यह घटना कर्नाटक के रामनगर जिले में हुई है। बसवलिंगा स्वामी पिछले 25 साल से कंचुगल बंदे मठ के मुख्य संत थे। यह मठ 400 साल से ज्यादा पुराना है। इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। 

संत के द्वारा आत्महत्या करने का पता तब चला जब मठ के कर्मचारियों ने उनके कमरे का दरवाजा तोड़ा। उन्होंने संत को वहां फंदे से लटकता हुआ पाया। 

संत ने जो दो पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा है उसमें कुछ लोगों पर आरोप लगाया है कि वे लोग उन्हें उनके पद से हटाना चाहते थे और इसके लिए उनका उत्पीड़न कर रहे थे। बसवलिंगा स्वामी 44 साल के थे। 

सुसाइड नोट में यह भी लिखा गया है कि उन्हें बदनाम करने की धमकियां दी जा रही थी। 

संत की मौत पर पुलिस में शिकायत देने वाले रमेश नाम के शख्स ने कहा है कि वह रविवार शाम को 5 बजे संत से मिले थे और सुबह 6 बजे के आसपास मठ के कर्मचारी ने फोन कर बताया कि संत अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोल रहे हैं। 

पिछले महीने कर्नाटक के ही बेलागवी जिले में श्री गुरु मदीवालेश्वर मठ के पुजारी बसवसिद्दलिंग स्वामी अपने मठ में मृत मिले थे। उससे पहले एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। इस ऑडियो क्लिप में कहा गया था कि बसवसिद्दलिंग स्वामी अपने पद और ताकत का दुरुपयोग कर रहे हैं। 

यौन शोषण का आरोप 

पिछले महीने लिंगायत संत शिव मूर्ति शरणारू के खिलाफ जब कुछ नाबालिग लड़कियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था तो इसे लेकर देशभर में जबरदस्त चर्चा हुई थी। संत शिव मूर्ति शरणारू इन दिनों जेल में है। लिंगायत मठ के द्वारा संचालित एक स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। हालांकि शिव मूर्ति शरणारू ने कहा था कि उनके खिलाफ लगे आरोप एक साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने दावा किया था कि वह निर्दोष साबित होंगे। 

कोई भी शख्स जीवन से संन्यास लेकर ही मठ में जाता है। संन्यास लेने का सीधा मतलब है कि वह किसी भी तरह के लोभ, लालच, वासना आदि से मुक्त हो चुका है। लेकिन मठ में रहने वाले लोगों पर अगर यौन शोषण या ताकत के दुरुपयोग के आरोप लगते हैं तो इससे पता चलता है कि धर्म को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे मठों में रहने वाले संत अभी भी सांसारिक जीवन के मोह में फंसे हुए हैं और खुद को तमाम लालच, प्रलोभनों से मुक्त नहीं कर पाए हैं। 

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