राहुल गांधी द्वारा लॉकडाउन को फ़ेल बताए जाने को लेकर केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को पलटवार किया है। प्रसाद ने दुनिया के 15 देशों के हालात के बारे में कहा कि इन देशों में 142 करोड़ की आबादी है और यहां कोरोना से 3,43,562 मौतें हुई हैं जबकि भारत की आबादी 137 करोड़ है और यहां 3,445 मौतें हुई हैं। उन्होंने इन देशों में अमेरिका, कनाडा, ईरान आदि का नाम लिया।
प्रसाद ने कहा कि लॉकडाउन का हमें यह फ़ायदा हुआ है कि हमारे यहां संक्रमण रुका है और मौतें कम हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना के मामले में फ़्रंटफ़ुट पर खेल रहे हैं।
प्रसाद ने कहा, ‘सबसे पहले लॉकडाउन पंजाब और राजस्थान ने किया और इसको बढ़ाने का फ़ैसला भी इन्हीं सरकारों ने किया।’ उन्होंने सवाल पूछा कि लॉकडाउन को लेकर क्या राहुल गांधी की बात उनकी पार्टी की सरकारें भी नहीं मानती हैं।
राहुल गांधी के महाराष्ट्र में ‘की डिसीजन मेकर’ नहीं होने के बयान का हवाला देते हुए प्रसाद ने पूछा कि क्या राहुल गांधी महाराष्ट्र की विफलता से अपनी जिम्मेदारी छोड़कर भागना चाहते हैं
क़ानून मंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताली बजाने के मॉडल को फ़ॉलो कर रही है लेकिन राहुल गांधी ने इसका खंडन किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने कोरोना के संकट के दौरान भी देश की एकता को तोड़ने वालों को शुभकामनाएं दीं। इस संबंध में प्रसाद ने कश्मीर में फ़ोटोग्राफ़र्स को मिले पुलित्जर अवार्ड का जिक्र किया।
प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार को नसीहत देने से पहले कांग्रेस की राज्य सरकारें न्याय योजना को क्यों नहीं लाती हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रवासी श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए सभी ज़रूरी क़दम उठा रही है लेकिन कांग्रेस इस मामले में भी राजनीति कर रही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला था। राहुल ने कहा, 'नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 21 दिन में कोरोना की लड़ाई जीत ली जाएगी लेकिन 60 दिन हो चुके हैं और बीमारी ग़ायब नहीं हुई है, बढ़ती जा रही है।'
राहुल ने कहा, ‘हिंदुस्तान का लॉकडाउन फ़ेल हुआ है, मोदी जी का जो लक्ष्य था, वह पूरा नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री जी और सरकार अपना प्लान बी बताएं।’ उन्होंने पूछा था, ‘आपकी रणनीति क्या है, आप लॉकडाउन कैसे हटाएंगे, आप मजदूरों की कैसे मदद करेंगे, आप छोटे, सूक्ष्म उद्योगों की कैसे मदद करेंगे