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लखीमपुर: कोर्ट ने ज़ुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

लखीमपुर: कोर्ट ने ज़ुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

क्या है लखीमपुर खीरी में दर्ज मामला और इसमें क्या शिकायत दर्ज कराई गई थी। 

लखीमपुर खीरी की एक स्थानीय अदालत ने ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। ज़ुबैर के खिलाफ बीते साल लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी पुलिस स्टेशन में एक मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस मुकदमे में आरोप लगाया गया था कि ज़ुबैर ने दो समूहों के बीच नफरत फैलाने का काम किया है। 

शनिवार को इस मामले में लखीमपुर खीरी पुलिस ने वारंट जारी किया था। 

इन दिनों उत्तर प्रदेश के सीतापुर जेल में बंद ज़ुबैर सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लखीमपुर खीरी की अदालत में पेश हुए। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रुचि श्रीवास्तव ने ज़ुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। 

लखीमपुर खीरी की पुलिस ने सोमवार को स्थानीय अदालत में अर्जी दायर कर ज़ुबैर की 14 दिन की पुलिस हिरासत मांगी थी। इस मामले में अदालत 13 जुलाई को सुनवाई करेगी। 

लखीमपुर खीरी जिले के पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने कहा कि ज़ुबैर को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होने के लिए दिल्ली ले जाया जा सकता है। ज़ुबैर की मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने पेशी होनी है।

क्या है मामला?

स्थानीय अदालत के आदेश पर ही लखीमपुर खीरी में ज़ुबैर के खिलाफ यह मुकदमा पिछले साल दर्ज हुआ था। इस मामले में स्थानीय पत्रकार आशीष कुमार कटियार नाम के शख्स ने ज़ुबैर के खिलाफ ट्विटर पर फर्जी खबर फैलाने का मुकदमा दर्ज कराया था। उसने अपनी शिकायत में कहा था कि ज़ुबैर के ट्वीट से सांप्रदायिक सौहार्द्र खराब हो सकता है। 

इसके बाद ज़ुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए यानी दो समूहों के बीच नफरत फैलाने के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। 

दिल्ली पुलिस द्वारा एक मामले में ज़ुबैर को गिरफ्तार करने के लगभग एक हफ्ते बाद उत्तर प्रदेश की सीतापुर पुलिस ने स्थानीय अदालत का रुख किया था और ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज एक मुकदमे में उनकी रिमांड मांगी थी। ज़ुबैर के खिलाफ सीतापुर के खैराबाद पुलिस थाने में यह मुकदमा दर्ज किया गया था।

यहां ज़ुबैर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का मुकदमा दर्ज किया गया था। मुकदमे में आरोप लगाया गया था कि मोहम्मद ज़ुबैर ने 3 लोगों- महंत बजरंग मुनि, यति नरसिंहानंद सरस्वती और स्वामी आनंद स्वरूप को नफरत फैलाने वाला करार दिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 8 जुलाई को ज़ुबैर को 5 दिन की अंतरिम जमानत दी थी।

ज़ुबैर को सबसे पहले साल 2018 में उनके द्वारा किए गए एक ट्वीट को लेकर दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इस ट्वीट के खिलाफ किसी गुमनाम ट्विटर यूजर ने दिल्ली पुलिस से शिकायत की थी। हालांकि बाद में यह अकाउंट ट्विटर प्लेटफ़ॉर्म से गायब हो गया था। 

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