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कृष्ण जन्मभूमिः मथुरा में अतिक्रमण विरोधी अभियान को सुप्रीम कोर्ट ने रोका

कृष्ण जन्मभूमिः मथुरा में अतिक्रमण विरोधी अभियान को सुप्रीम कोर्ट ने रोका

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 16 अगस्त को मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के आसपास अतिक्रमण विरोधी अभियान पर दस दिनों के लिए रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 16 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के पास अवैध निर्माण को हटाने के लिए रेलवे अधिकारियों द्वारा चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस संजय कुमार और एसवीएन भट्टी की बेंच ने मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी करते हुए 10 दिनों की अवधि के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। एक सप्ताह बाद मामले की सुनवाई होगी।"

याचिकाकर्ता याकूब शाह की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि 100 घरों पर बुलडोजर चलाया गया है। कुल 70-80 घर बचे हैं। पूरा इलाका बेकार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह बुलडोजर अभियान  उस दिन चलाया गया जब उत्तर प्रदेश की अदालतें बंद थीं।" 

दरअसल, यह मामला कृष्ण जन्मभूमि के आसपास बस्तियां तोड़ने से जुड़ा है।

क्या है मामलाः 9 अगस्त को, सरकार ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक बुलडोजर अभियान शुरू किया, जिसमें कथित तौर पर नई बस्ती - कृष्ण जन्मभूमि के पिछवाड़े में रेलवे ट्रैक के किनारे इस बस्ती में 135 घरों को नष्ट कर दिया गया। इन घरों को सरकारी भूमि पर कथित अवैध अतिक्रमण के रूप में चिह्नित किया गया और जिला प्रशासन और पुलिस के साथ रेलवे की एक टीम ने अभियान चलाया। यानी रेलवे और जिला प्रशासन ने पुलिस की मदद से इस अभियान को अंजाम दिया।

रेलवे अधिकारियों ने वंदे भारत जैसी ट्रेनों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए मथुरा से वृंदावन तक 21 किलोमीटर की दूरी को नैरो से ब्रॉड गेज में बदलने की योजना का हवाला देकर इस कदम का बचाव करने की मांग की है। लेकिन, निवासियों ने इस पर नाराजगी जताई है। बस्ती के निवासियों को अपने सामान के साथ बाहर जाने के लिए तीन दिन का मौका दिया गया। इसी अवधि के दौरान, उनमें से कुछ ने अभियान पर रोक लगाने के लिए स्थानीय अदालत से संपर्क किया। हालाँकि, उत्तर प्रदेश में एक वकील की हत्या के कारण अदालतें बंद थीं और मामले की सुनवाई नहीं हो सकी।

इन हालात में, स्थानीय निवासी याकूब शाह ने अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तत्काल सुनवाई की मांग की। शाह ने आरोप लगाया है कि विध्वंस ऐसे क्षेत्र में किया गया जहां मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी है, जबकि जून में जारी बेदखली नोटिस के खिलाफ चुनौती मथुरा की स्थानीय अदालत में लंबित है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांतो चंद्र सेन द्वारा तत्काल सुनवाई की मांग के बाद याचिका को बुधवार, 16 अगस्त को सूचीबद्ध करने को कहा था।

नई बस्ती कृष्ण जन्मभूमि के पास एक रेलवे ट्रैक के किनारे स्थित है। जिस ज़मीन पर निकटवर्ती शाही ईदगाह मस्जिद बनी है, उसके स्वामित्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट सहित देश की विभिन्न अदालतों में कई मुकदमे और याचिकाएँ लंबित हैं। हिंदू पक्षकारों का दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब ने कथित तौर पर हिंदू मंदिरों को तोड़कर कराया था। मस्जिद को हटाने की मांग करने वाली उनकी याचिकाओं ने क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया है।

हाल ही में, कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए प्रार्थना करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

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