केंद्र के दिल्ली राज्य विरोधी अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने अब खुलकर मुहिम छेड़ दी है। वो आज मंगलवार से तीन दिन के दौरे पर निकले हैं। आज उनका पहला पड़ाव बंगाल और फिर शेष दो दिन मुंबई में होगा, जहां वो उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मुलाकात करने वाले हैं। लेकिन यह मुहिम कितना रंग लाएगी, इसका फैसला संसद के आगामी सत्र में हो जाएगा।
केजरीवाल कोलकाता में आज राज्य सचिवालय नबन्ना में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करने वाले हैं। यह बैठक केंद्र सरकार द्वारा एक मनमाना अध्यादेश लाने के बाद हो रही है। इस अध्यादेश के जरिए दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले को रद्द कर दिया गया है।
केजरीवाल के लिए अभी अध्यादेश ही सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। लेकिन दूसरे दलों से बातचीत में 2024 में भाजपा को घेरने के लिए सामूहिक रणनीति बनाने जैसे अन्य मुद्दे भी आ सकते हैं। ममता बनर्जी का केंद्र विरोधी रुख साफ है। ममता बनर्जी पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी के तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी सहित देश भर के कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं। ये सभी नेता एक आम रणनीति के इच्छुक हैं। हालांकि ममता बनर्जी ने नवीन पटनायक से भी मुलाकात की थी, जिन्होंने कहा था कि वह किसी भी विपक्षी गठन से दूर रहेंगे। हो सकता है कि वो केजरीवाल को अध्यादेश के मुद्दे पर समर्थन कर दें लेकिन 2024 की विपक्षी एकता से दूर रहें।
नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव ने रविवार को दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में केजरीवाल ने राज्यसभा में "अध्यादेश" के विरोध का प्रस्ताव दिया। केजरीवाल ने कहा कि अगर यह अध्यादेश गिर जाता है तो यह आम चुनाव से पहले "सेमीफाइनल" हो सकता है। नीतीश कुमार और तेजस्वी पहले इस अध्यादेश का विरोध कर चुके हैं। नीतीश कुमार ने ही कांग्रेस को भी इस मुद्दे पर सॉफ्ट कॉर्नर अपनाने की सलाह दी है।
अरविंद केजरीवाल राज्यसभा में अध्यादेश को रोकने की योजना पर चर्चा करने के लिए मुंबई में 24 और 25 मई को शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात करेंगे। उद्धव ठाकरे की पार्टी और शरद पवार भी केंद्र के अध्यादेश का विरोध कर चुके हैं। राज्यसभा में एनसीपी के अच्छे खासे सांसद हैं।
अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस की भी सैद्धांतिक सहमति है कि दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों पर केंद्र का मनमाना अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट को कमजोर कर रहा है। इसलिए कांग्रेस संसद में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के पक्ष में खड़ी होगी। कांग्रेस भी इस संबंध में अन्य दलों से संपर्क कर रही है। कुल मिलाकर 2024 आम चुनाव से पहले अध्यादेश का मुद्दा केजरीवाल ही नहीं विपक्ष के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कल एक ट्वीट में कहा था कि पार्टी कानून के शासन में विश्वास करती है और साथ ही किसी भी राजनीतिक दल द्वारा राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ झूठ पर आधारित अनावश्यक टकराव, राजनीतिक विच-हंट और अभियानों को माफ नहीं करती है।