तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने आज बुधवार को खम्मम में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ के एक मीटिंग रखी। इस मीटिंग के बहाने चंद्रशेखर राव आगामी लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जो भाजपा को चुनौती दे सके। मीटिंग के बाद बीआरएस पार्टी द्वारा आयोजित रैली में दूसरे राज्यों के सभी नेताओं ने मंच साझा किया। इस तरह सार्वजनिक तौर पर मंच साझा करने से इसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। टीआरएस द्वारा पार्टी का नाम बदले जाने के बाद यह पहली रैली है।
के चंद्रशेखर राव द्वारा आयोजित इस बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शामिल हुए। केसीआर के इन प्रयासों को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी समर्थन माना जा रहा है, फिलहाल वह इस रैली में शामिल नहीं हुईं हैं।
केसीआर की इस रैली में अखिलेश यादव के शामिल होने को लेकर बड़ा कदम बताया जा रहा है। क्योंकि उम्मीद की जा रही थी कि वे नीतिश कुमार औऱ तेजस्वी प्रसाद यादव के साथ वाले गठबंधन के साथ जा सकते हैं।
रैली में शामिल होने आए अखिलेश ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार के पास केवल 399 दिन ही बचें हैं। अगर हम (विपक्ष) साथ खड़े रहेंगे तो उन्हें हटा दिया जाएगा। खम्मम की रैली को संबोधित करते हुए अखिलेश ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि ग्लोबल इनेस्टर्स समिट को धोखा है। इसका कोई फाएदा राज्य को नहीं मिल रहा है। डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी उत्तर प्रदेश को कोई लाभ नहीं हो रहा है। अखिलेश ने सरकार द्वारा विपक्षी नेताओं को परेशान करने, सरकारी संस्थाओं पर कब्जा करने का भी आरोप लगाया।
आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए केसीआर की यह रैली विपक्षी एकता के लिहाज से बड़ा प्रयास माना जा रहा है। लेकिन देखना होगा कि यह एकता कितनी कामयाब होती है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार पहले से ही इस तरह के प्रयासों में जुटे हुए हैं। लेकिन ऩीतिश के साथ कितने लोग हैं अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है। माना जा रहा है कि नीतिश को जो सबसे बड़ा समर्थन मिला है वह कांग्रेस की तरफ से है जिसमें जेडीयू, झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे प्रमुख दल शामिल हैं।
इस सबसे इतर कांग्रेस भी ऐसी ही किसी विपक्षी एकता को बनाने के प्रयास कर रही है। इसके संकेत राहुल गांधी की जम्मू कश्मीर में समाप्त हो रही भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर विपक्षी दलों के नेताओं को भेजे गए निमंत्रण से लगाया जा सकता है। यात्रा के समापन पर होने वाली रैली में शामिल होने के लिए अधिकांश नेताओं ने सहमति जाहिर की हुई है।
राहुल गांधी इस तरह के प्रयास पूरी यात्रा के दौरान करते रहे हैं, जिसमें उन्होंने भाजपा से दूरी बनाकर चल रहे नेताओं को यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया था। राहुल की कोशिशों को इसका फायदा भी मिला। लेकिन अखिलेश यादव और मायावती इस रैली में शामिल नहीं हुए।