बेंगलुरु महानगर पालिका ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि 10 अप्रैल को यानी रामनवमी के दिन बेंगलुरु में मीट की बिक्री नहीं होगी। इसके साथ ही इस दिन कसाई घर भी पूरी तरह बंद रहेंगे। महानगर पालिका ने इससे पहले गांधी जयंती और महाशिवरात्रि पर भी मीट की बिक्री पर रोक लगा दी थी।
बता दें कि दक्षिणी दिल्ली के महापौर द्वारा नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद किए जाने की मांग के बाद यह विवाद बढ़ गया है।
महापौर ने नगर निगम के आयुक्त को पत्र लिखकर कहा था कि नवरात्रि के दौरान 2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक मीट की दुकानों को बंद रखा जाए। इसे लेकर दिल्ली में बीजेपी और विपक्षी दलों के नेता आमने-सामने आ गए थे।
पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा था कि नवरात्रि के दौरान देश भर में सभी जगहों पर मीट की दुकानों को बंद किया जाना चाहिए लेकिन टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने उन्हें जवाब दिया था और कहा था कि भारत का संविधान उन्हें जब वह चाहें मीट खाने की इजाजत देता है और उसी तरह दुकानदारों को भी उनका व्यापार करने की आजादी देता है।
उत्तर प्रदेश में भी इस बार कई जगहों पर नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद रखे जाने की बात सामने आई है। दिल्ली सहित कई जगहों पर ऐसा पहली बार हुआ है जब नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद करने की मांग उठी है।
इस विवाद का असर दक्षिणी दिल्ली की आईएनए मार्केट में भी दिखाई दिया था। यहां मीट की दुकानों को बंद रखना पड़ा था और इस वजह से होटलों को होने वाली मीट की सप्लाई पर बड़ा असर पड़ा था।
बीते साल दक्षिण दिल्ली नगर निगम की ओर से मीट विक्रेताओं को जब दुकान के बाहर झटका और हलाल लिखा हुआ बोर्ड लगाने को कहा गया था तब भी इसे लेकर खासा विवाद हुआ था।
मुंबई में हुआ था विवाद
यहां याद दिलाना होगा कि कुछ साल पहले मुंबई में मीट की दुकानों को बंद किए जाने को लेकर खासा हंगामा हुआ था। मुंबई में तब जैन धर्म के लोगों ने कहा था कि पर्यूषण पर्व के दौरान मीट की दुकानों को बंद रखा जाना चाहिए। राज्य सरकार ने उनकी इस मांग को मान लिया था लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने इसके खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था और मीट विक्रेताओं से कहा था कि वह अपनी दुकानें बंद नहीं करें।