कर्नाटक चुनाव गिनती के महीने बचे हैं और उससे पहले बीजेपी में असंतोष पनप रहा है। इस समय राज्य विधानसभा सत्र चल रहा है लेकिन दो पूर्व मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा और रमेश जारखीहोली विधानसभा सत्र का बहिष्कार कर रहे हैं। इन दोनों को राज्य मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। दोनों पूर्व मंत्रियों को उम्मीद थी कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
कर्नाटक के सीएम बासवराज बोम्मई पिछले हफ्ते दिल्ली आए थे। दिल्ली रवाना होने से पहले सीएम बोम्मई ने बेंगलुरु में कहा था कि वो दिल्ली में कैबिनेट विस्तार को लेकर पार्टी लीडरशिप से बात करेंगे। बोम्मई ने दिल्ली आकर गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। लेकिन यह मुलाकात कर्नाटक-महाराष्ट्र के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर थी। इसमें कैबिनेट विस्तार पर कोई बात नहीं हुई।
उधर, बेंगलुरु में ईश्वरप्पा और रमेश जारखीहोली समेत कई विधायक इस उम्मीद में थे कि बोम्मई वापस आते ही कैबिनेट विस्तार करेंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो गया। ऐसे में कैबिनेट विस्तार की संभावना कम ही है। क्योंकि पार्टी चुनावी मोड में जा रही है। मार्च तक अधिसूचना जारी हो सकती है। इसलिए पार्टी के पास जनवरी-फरवरी बचा है।
इससे घटनाक्रम से यह भी संकेत मिल रहा है कि बीजेपी कर्नाटक में भी गुजरात फॉर्म्युला अपनाते हुए पुराने नेताओं के टिकट काट सकती है। क्योंकि तमाम नेता आरोपों से भी घिरे हैं। जिनमें ईश्वरप्पा सबसे ज्यादा विवादित हैं। ईश्वरप्पा पर कमीशनखोरी के आरोप लग चुके हैं। जिस ठेकेदार ने खुदकुशी की थी, उसने कथित सुसाइड नोट में ईश्वरप्पा का जिक्र किया था। उसके बाद ईश्वरप्पा को बोम्मई कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। इसी तरह रमेश जारखीहोली को एक सेक्स टेप सामने आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।
बीजेपी ईश्वरप्पा और रमेश जारखीहोली के राजनीतिक कद से वाकिफ है। रमेश जारखीहोली करीब 18 विधानसभा सीटों पर असर रखते हैं। इसमें बेलगावी भी शामिल है। बेलगावी में बीजेपी के उमेश कट्टी वहां के मजबूत नेताओं में से थे लेकिन उनका निधन हो चुका है। इसलिए बीजेपी जारखीहोली को नाराज भी नहीं करना चाहती। इसी तरह ईश्वरप्पा की संगठन पर पकड़ मजबूत है। वो अपने विवादास्पद बयान के लिए जाने जाते हैं। दोनों नेताओं के समर्थकों का दावा है कि आरएसएस भी चाहता है कि उन्हें फिर से मंत्री बनाया जाए। अन्यथा इसका असर विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा।
बीजेपी में हो रहे इस्तीफे
कर्नाटक में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाने वालों की तादाद भी बढ़ रही है। अधिकांश बीजेपी से असंतुष्ट होकर पार्टी छोड़ रहे हैं। हाल ही में बीजेपी के दो एमएलसी एएच विश्वनाथ और संदेश नागराज ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाने की घोषणा की है। एमएलसी विश्वनाथ बहुत दिनों से बीजेपी विरोधी बयान दे रहे थे। उनका आरोप है कि बीजेपी दलितों की अनदेखी कर रही है। एएच विश्वनाथ खुद भी दलित नेता हैं। इसी तरह संदेश नागराज भी बीजेपी पर नफरत फैलाने का आरोप लगाकर वहां से इस्तीफा दिया। संदेश नागराज ने कहा कि बीजेपी देश के लिए घातक है। वो समाज की एकजुटता की कोशिश नहीं करती। वो लोगों को आपस में लड़वाती है।
पूर्व बीजेपी विधायक वी एस पाटिल और श्रीनिवास वी. भट्ट भी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में पिछले हफ्ते शामिल हुए हैं। वी एस पाटिल का भी यही आरोप है कि बीजेपी नफरत की राजनीति में विश्वास करती है। इसलिए इस पार्टी में अब नहीं रहा जा सकता। पाटिल और श्रीनिवास उत्तर कन्नड़ इलाके में अच्छा रसूख रखते हैं। पाटिल की तरह सीनियर बीजेपी एमएलसी पुट्टाना ने कांग्रेस में जाने की घोषणा की है। जेडीएस नेता और पूर्व एमएलसी वाईएसवी दत्ता ने भी कहा है कि वो शीघ्र ही कांग्रेस में शामिल होंगे।