हुबली ईदगाह मैदान फिर विवाद में, दलित संगठन- श्रीराम सेना में टकराव 

01:07 pm Nov 08, 2022 | सत्य ब्यूरो

कर्नाटक में हुबली ईदगाह मैदान फिर से सुर्खियों में है। कुछ दलित संगठनों, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने हुबली ईदगाह मैदान पर टीपू सुल्तान जयंती मनाने की अनुमति मांगी है। इसी तरह श्रीराम सेना ने यहां कनक दास की जयंती मनाने की अनुमति मांगी है। हुबली प्रशासन परेशान है कि वो क्या फैसला ले। दरअसल, तमाम हिन्दू संगठनों ने यहां गणेश चतुर्थी मनाने को मुद्दा बना दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने की अनुमति भी दे दी थी। उसके बाद ईदगाह मैदान की स्थिति बदल गई और तमाम संगठन अपने-अपने कार्यक्रम करने की मांग करने लगे हैं।

कर्नाटक के कई दलित संगठनों और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने हुबली के ईदगाह मैदान में टीपू जयंती मनाने की अनुमति मांगने के लिए नगर निगम से संपर्क किया। यह मैदान गणेश चतुर्थी समारोह को लेकर विवादों में रहा था।

मेयर वीरेश अंचटगेरी ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि ईदगाह मैदान में धार्मिक गतिविधियां की जा सकती हैं लेकिन किसी बड़े नेता को आने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने एएनआई से कहा - यह एक ऐसा मामला है जो हुबली धारवाड़ महानगर पालिका से संबंधित है और मेयर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री इस पर गौर करेंगे।

इससे पहले अगस्त में, कर्नाटक हाईकोर्ट ने हुबली के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह की अनुमति दी थी। अंजुमन-ए-इस्लाम द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए आदेश में कहा गया था कि जमीन हुबली-धारवाड़ नगर पालिका की संपत्ति है और वे जिसे चाहें जमीन आवंटित कर सकते हैं।

बाद में, कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने भी ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति दी। यह पहली बार था जब विवादास्पद मैदान में हिंदू त्योहार मनाया गया। ईदगाह मैदान ब्रिटिश शासनकाल के पहले से कायम है। शहर के गजेटियर के मुताबिक इस मैदान में हमेशा ईद और बकरीद की नमाज पढ़ी जाती रही है।

हुबली में ईदगाह मैदान का विवाद 2010 से शुरू हुआ था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह जमीन हुबली-धारवाड़ नगर निगम की संपत्ति है। 1921 में स्थानीय संस्था अंजुमन-ए-इस्लाम को नमाज अदा करने के लिए 999 साल के लिए यह जमीन पट्टे पर दी गई थी। आजादी के बाद परिसर में कई दुकानें खोली गईं।

इसे अदालत में चुनौती दी गई और एक लंबी मुकदमेबाजी की प्रक्रिया शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने यहां साल में दो बार नमाज की अनुमति दी थी और जमीन पर कोई स्थायी ढांचा नहीं बनाने की इजाजत दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यहां गणेश चतुर्थी मनाने की भी इजाजत दे दी और यह भी कहा था कि यहां सार्वजनिक कार्यक्रम हो सकते हैं। 

दलित संगठन और ओवैसी की पार्टी उसी आधार पर टीपू सुल्तान जयंती इस मैदान में मनाने की अनुमति मांग रहे हैं। लेकिन टीपू सुल्तान जयंती की मांग के बाद श्रीराम सेना ने भी अपनी अर्जी कनक दास जयंती मनाने के लिए लगा दी। शहर के वकीलों का कहना है कि अब प्रशासन को आए दिन ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि हर संगठन और समुदाय के लोग अपने कार्यक्रम के लिए अनुमति मांगेंगे।