नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों में कर्नाटक में दो लोगों की मौत हुई है। मारे गए लोगों के परिवारों को राज्य की येदियुरप्पा सरकार ने 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यू-टर्न लेते हुए राज्य सरकार ने अपने ही फ़ैसले पर रोक लगा दी और जाँच पूरी होने की बात कही। लेकिन ऐसा सरकार ने क्यों किया? क्या किसी राजनीतिक दबाव में ऐसा किया गया?
इन दोनों लोगों का नाम अब्दुल जलील (49) और नौशीन कुडरोली (23) था। दोनों का ही नाम मेंगलुरू पुलिस की ओर से 29 लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर में भी था। एफ़आईआर के मुताबिक़, प्रतिबंधित आदेशों के बाद भी 1,500-2,000 लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने पुलिस स्टेशन पर पत्थर फेंके और पुलिस के कहने के बाद भी वहां से नहीं हटे। एफ़आईआर में कहा गया है कि इसके बाद पुलिस को हवा में फ़ायरिंग करनी पड़ी। राज्य की सरकार ने इस मामले में सीआईडी और मजिस्ट्रीयल जाँच करने के आदेश दिए हैं। दोनों की मौत 19 दिसंबर को हुई पुलिस की फ़ायरिंग में हुई थी।
बुधवार को दक्षिणी कन्नड़ जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा कि मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा देने के बारे में अभी सरकार ने फ़ैसला नहीं किया है। येदियुरप्पा ने यह भी कहा कि अपराधियों को मुआवजा देना ख़ुद में एक अक्षम्य अपराध है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जब तक जाँच पूरी नहीं हो जाती और मारे गए लोगों की भूमिका के बारे में स्थिति साफ़ नहीं हो जाती, हम मुआवजे की राशि जारी नहीं करेंगे।’ इससे पहले येदियुरप्पा ने मेंगलुरू के अधिकारियों से इन दोनों परिवारों के लिए मकान बनाने के बारे में विचार करने के लिए कहा था।
कांग्रेस ने बोला हमला
येदियुरप्पा सरकार के इस यू-टर्न पर कांग्रेस ने जोरदार पलटवार किया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा सरकार अमानवीय और सांप्रदायिक है। सिद्धारमैया ने ट्वीट कर कहा, ‘एक चुनी हुई सरकार को इस तरह अमानवीय और सांप्रदायिक नहीं होना चाहिए। येदियुरप्पा ने मुआवजा राशि न देने का बयान देकर मेंगलुरू में हुए दंगों की जाँच पूरी होने से पहले ही फ़ैसला दे दिया है।’
सिद्धारमैया ने आगे कहा, ‘चूँकि येदियुरप्पा ने पहले ही कह दिया कि पुलिस फ़ायरिंग में मारे गए 2 लोग मेंगलुरू में हुए दंगों के लिए जिम्मेदार थे तो फिर सीआईडी जाँच का नाटक क्यों किया जा रहा है। अब यह साफ है कि आपने ही पुलिस को लोगों की जान लेने का आदेश दिया।’
बीजेपी विधायक ने किया था विरोध
मंगलवार को कर्नाटक से ही बीजेपी के विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने मुख्यमंत्री से अपील की थी कि वह मारे गए लोगों के परिवारों के लिए घोषित की गई मुआवजा राशि को वापस ले लें। यतनाल ने कहा था कि फ़ायरिंग में मारे गए दोनों लोग देशद्रोही थे और ऐसे में उन्हें सरकार की ओर से मुआवजा राशि क्यों दी जानी चाहिए। विधायक ने यह भी कहा था कि केवल देश भक्तों और ऐसे लोगों को जो गाय को बचाते हैं, उन्हें मुआवजा दिया चाहिए न कि ऐसे लोगों को जो नागरिकता क़ानून को लेकर हो रहे प्रदर्शनों में शामिल हों।
अंग्रेजी न्यूज़ वेबसाइट द न्यूज़ मिनट के अनुसार, सरकारी सूत्र ने बताया कि येदियुरप्पा ने पीड़ितों के लिए मुआवजा राशि का एलान किया था। लेकिन उन पर राजनीतिक दबाव आ गया था क्योंकि अन्य दो राज्यों में जहां बीजेपी की सरकार है और वहां लोग मारे गए हैं, वहां की सरकारों ने ऐसा नहीं किया है। सूत्र के मुताबिक़, केंद्र व राज्य सरकारों ने यह फ़ैसला लिया है कि इस क़ानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोग ग़लत थे और कर्नाटक सरकार द्वारा उनके लिए मुआवजे की घोषणा करना इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ होता।
कर्नाटक बीजेपी के अन्य नेताओं शोभा करांदलजे और सीटी रवि ने प्रदर्शनकारियों को दोषी ठहराते हुए कहा था कि वे किसी विशेष समुदाय से संबंध रखते थे और उनके साथ 'सही' ढंग से पेश आना चाहिए।
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों में देश भर में अब तक कुल 25 लोगों की मौत हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में 16 और असम में 5 लोगों की मौत के अलावा अन्य राज्यों में भी लोगों की मौत हुई है।