कर्नाटक के मैसूर में कुछ अज्ञात लोगों ने मंगलवार शाम को एक चर्च में तोड़फोड़ की है। उन्होंने चर्च में लगी बेबी जीसस की मूर्ति को खंडित कर दिया। घटना का पता चलते ही पुलिस की कई टीमें चर्च में पहुंची और मामले की जांच पड़ताल कर रही हैं।
याद दिला दें कि 25 दिसंबर को ही देश भर के तमाम चर्च में बड़े पैमाने पर क्रिसमस का त्यौहार मनाया गया था। पुलिस इस मामले में चर्च के परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।
घटना का पता चर्च के स्टाफ को मंगलवार शाम को 6 बजे लगा और उन्होंने पादरी को इसकी सूचना दी।
पेरियापटना की पुलिस ने बताया कि इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। यह चर्च गोनिकोप्पा रोड पर स्थित है और इसका नाम सेंट मैरी चर्च है।
एनडीटीवी के मुताबिक, मैसूर की पुलिस अधीक्षक सीमा लाटकर ने बताया कि पुलिस चर्च के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को भी खंगाल रही है। पहली नजर में ऐसा लगता है कि यह चोरी की घटना है क्योंकि तोड़फोड़ करने वाले लोग अपने साथ पैसे ले गए हैं और एक दानपात्र भी उठाकर ले गए हैं।
पुलिस का कहना है कि हालांकि वह दूसरे एंगल से भी इस मामले की जांच कर रही है।
पिछले साल हुए थे हमले
पिछले साल कर्नाटक में कई जगहों पर चर्च और ईसाई समुदाय पर हमले के मामले सामने आए थे। कर्नाटक के कोलार में दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े लोगों ने ईसाइयों की धार्मिक किताबों में आग लगा दी थी और कुछ हथियारबंद लोग कर्नाटक के बेलगावी में स्थित एक चर्च के प्रार्थना कक्ष में घुस गए थे। दक्षिण कर्नाटक के चिकबल्लापुर में स्थित सेंट जोसेफ़ चर्च में तोड़फोड़ हुई थी।
इन घटनाओं को लेकर यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम, एसोसिएशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स (एपीसीआर) और यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट ने नाराजगी जताई थी और कहा था कि चर्च और ईसाई समुदाय पर लगातार हमले हो रहे हैं।
याद दिलाना होगा कि कर्नाटक की बीजेपी सरकार पिछले साल दिसंबर में विधानसभा में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक लेकर आई थी। सरकार का कहना था कि यह विधेयक लालच देकर किए जाने वाले धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए लाया गया है।
इस साल अगस्त में पंजाब के तरनतारन जिले में एक चर्च में तोड़फोड़ हुई थी। चर्च में घुसे लोगों ने जीसस और मैरी की प्रतिमा तोड़ दी थी और पादरी की कार को भी आग के हवाले कर दिया था। इस घटना के विरोध में ईसाई संगठनों ने पंजाब में कई जगहों पर जोरदार प्रदर्शन किया था।
बता दें कि पंजाब में सिख संगठनों के द्वारा ईसाई धर्म का प्रचार करने वालों पर कई बार सिखों का जबरन धर्मांतरण करने का आरोप लगाया जा चुका है।