कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के 17 अयोग्य विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जज एनवी रमन्ना ने विधानसभा अध्यक्ष के फ़ैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने फ़ैसले में कहा है कि सभी 17 अयोग्य विधायक चुनाव लड़ सकते हैं।
कर्नाटक में राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ था जब कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया था। इस साल जुलाई में कुमारस्वामी सरकार द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 99 और विरोध में 105 मत पड़े थे और सरकार गिर गई थी। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की यह सरकार 14 महीने तक ही चल सकी थी। विधानसभा अध्यक्ष ने इन बाग़ी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। विधानसभा अध्यक्ष के फ़ैसले को विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कर्नाटक में इन सीटों पर 5 दिसंबर को उपचुनाव होंगे और 9 दिसंबर को नतीजे आएँगे।
जिन विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्य ठहराया गया था उनमें कांग्रेस के बैराठी बसवराज, मुनिरत्न, एसटी सोमशेखर, रोशन बेग, डॉ. सुधाकर, शिवराम हेब्बार, श्रीमंत पाटिल, आनंद सिंह, एमटीबी नागराज, बीसी पाटिल, प्रताप गौड़ा पाटिल और जेडीएस के के. गोपालैया, एएच विश्वनाथ, नारायण गौड़ा शामिल हैं।
कोर्ट के फ़ैसले के बाद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा है कि वह अदालत के फ़ैसले का स्वागत करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बृहस्पतिवार से ही वह इन सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा शुरू कर देंगे और बीजेपी इन सभी 17 सीटों पर जीत हासिल करेगी। वहीं, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एस. सिद्धारमैया ने भी अदालत के फ़ैसले का स्वागत किया है।
बता दें कि कर्नाटक की सत्ता पर लंबे समय से बीजेपी की नज़र थी। विधानसभा चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटें जीतने के बाद भी वह सरकार बनाने में नाकामयाब रही थी। सरकार बनाने के लिए उसने ‘ऑपरेशन लोटस’ भी चलाया था और कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी। लेकिन आख़िरकार उसे कुमारस्वामी सरकार को गिराने में सफलता मिल गई थी।