जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा द्वारा शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा बनने के फैसले के बाद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने रविवार को इस्तीफा दे दिया। कर्नाटक में जेडीएस को यह पहला झटका लगा है। कर्नाटक में JDS के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सैयद सैफुल्ला ने आगामी 2024 लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी द्वारा एडीए और भाजपा के साथ गठबंधन करने के फैसले के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
जेडीएस नेता कुमार स्वामी और भाजपा ने हाल ही में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए समझौता किया है और इसके बाद जेडीएस भी एनडीए गठबंधन में शामिल हो गई है। हालांकि इस गठजोड़ को न तो कर्नाटक भाजपा के नेता और न ही जेडीएस के अल्पसंख्यक नेता पसंद कर रहे हैं। पिछले दिन भाजपा ने जब पार्टी की बैठक बुलाई तो बीएस येदियुरप्पा जैसे नेता उस बैठक से नदारद रहे।
जेडीएस छोड़ने वाले सीनियर नेता सैफुल्ला ने कहा कि जेडीएस एक ऐसी पार्टी में शामिल हो गई है जो समुदायों और जातियों के बीच दरार पैदा करती है। मैं पिछले 30 वर्षों से पार्टी के साथ था। हमारी पार्टी धर्मनिरपेक्ष साख पर कायम थी। हमने मतदाताओं और आम जनता में हमेशा धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का प्रचार किया है। पार्टी की अब धर्मनिरपेक्ष विरोधी पार्टी से हाथ मिला लेना, इसके सेकुलर नेताओं की तौहीन है।
एएनआई के मुताबिक सैफुल्ला ने कहा, "अब मेरी पार्टी एक ऐसी पार्टी से हाथ मिला रही है जो समुदायों और जाति के बीच दरार पैदा करती है... जो हम धर्मनिरपेक्ष नेताओं को इसका विरोध करना ही होगा।" .
जेडीएस ने 22 सितंबर को एनडीए में शामिल होने और भाजपा से समझौता करने की घोषणा की थी। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। उनके साथ हुई इस बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत भी मौजूद थे।
इस गठबंधन और मुलाकात की पुष्टि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्विट करके दी थी। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जद(एस) नेता एचडी कुमारस्वामी से हमारे वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में मुलाकात हुई है। मुझे खुशी है कि जेडीएस ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा बनने का फैसला किया है। हम एनडीए में उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं। यह एनडीए और माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को और मजबूत करेगा। माना जा रहा है कि कर्नाटक में दोनों ही दलों के करीब आने से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में कड़ी टक्कर मिल सकती है।
2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कर्नाटक में 25 सीटें जीतकर अपनी शानदार कामयाबी का परचम लहराया था। इसके साथ ही उसके समर्थित निर्दलीय ने एक सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस और जद(एस) ने 2019 का लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था।
उस चुनाव में कांग्रेस 21 सीटों पर और जद(एस ) 7 सीटों पर लड़ी थी। उनके बीच गठबंधन के बावजूद बीते लोकसभा चुनाव में दोनों को मात्र एक-एक सीट पर ही जीत मिली थी।अब पांच वर्ष बाद जेडीएस 2024 के लोकसभा चुनाव में मात्र 4 सीट पर ही लड़ेगी। इस तरह से वह पिछले के मुकाबले करीब आधी सीटों पर ही चुनाव में उतरेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में 9.74 प्रतिशत वोट मिले थे। ऐसे में जेडीएस का अब अच्छा-खासा प्रभाव राज्य में माना जा रहा है। इस गठबंधन के होने से कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ेगी। वहीं भाजपा पहले से ज्यादा मजबूत होकर सामने आ सकती है।