क्या कंगना रनौत महाराष्ट्र में बीजेपी का एजेंडा चला रही हैं क्या इसी एजेंडे के चलते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है आने वाले समय में क्या कंगना रनौत महाराष्ट्र की विधान परिषद या राज्यसभा में भी नजर आएंगी ये वे सवाल हैं जो फ़िल्म अभिनेत्री के ताज़ा रवैये और बयानों के बाद उठ रहे हैं।
जिस तरह से कंगना को वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गयी है, उसे लेकर एक नए किस्म का विवाद खड़ा हो गया है। इस सुरक्षा को केंद्र द्वारा राज्य के कार्य क्षेत्र में दख़ल बताया जा रहा है।
इस मामले में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृहमंत्री अनिल देशमुख, मंत्री विजय वडेट्टीवार, विरोधी पक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस और तमाम नेताओं के बयान आये हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के रूप में सत्ता का जो नया समीकरण बना है, उसे लेकर बीजेपी की परेशानी किसी से छिपी नहीं है।
कंगना ने जिस तरह से सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच का मामला उठाया और बीजेपी के नेता उनके साथ नजर आए, उससे इस बात के कयास तो लगाए ही जा रहे थे कि क्या यह कोई राजनीतिक दांव है
मुंबई किसकी पर बहस
अब यह घटनाक्रम हर दिन जैसे-जैसे बदल रहा है, तसवीर के कई पहलू नजर आने लगे हैं। सबसे पहले मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठे, फिर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मंत्री पुत्र आदित्य ठाकरे पर अप्रत्यक्ष तौर पर आरोप लगाना और अब उस मुद्दे पर ही प्रश्न चिन्ह लगा देना जिसको आधार बनाकर शिवसेना की स्थापना की गयी। यानी मुंबई किसकी!
मुंबई, महाराष्ट्र और मराठी माणुस की अस्मिता ही शिवसेना की विचारधारा है और आधार भी। कंगना का हमला उसी आधार पर है। यानी जो बात राजनीतिक पार्टियां नहीं बोल पाती हैं वह किसी दूसरे माध्यम (चाहे वह मीडिया हो या कथित सेलिब्रिटी) से बुलवाकर बहस छेड़ दी जाए
सुशांत सिंह की मौत, बॉलीवुड में नेपोटिज्म और ड्रग्स की दुनिया के आरोप चूंकि अपराध से संबंधित थे लिहाजा इसे लेकर महाराष्ट्र सरकार बचाव की मुद्रा में ही नजर आ रही थी लेकिन जैसे ही इस प्रकरण का राजनीतिक पहलू सामने आया और केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा कंगना को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी गयी, ठाकरे सरकार में शामिल तीनों दलों ने तलवारें म्यान से बाहर निकाल लीं।
फडणवीस का बयान
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बयान दिया कि वे मुंबई को लेकर कंगना के बयान का समर्थन नहीं करते लेकिन यदि किसी व्यक्ति ने ऐसा कोई बयान दिया है जो ग़लत है, उस पर हमें क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई करनी चाहिए। यदि उसके बयान गलत हैं तो हम आक्षेप कर सकते हैं। ऐसे व्यक्ति को और उसकी सम्पति को सुरक्षा देने का काम राज्य सरकार और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को करना चाहिए, अन्यथा "बनाना रिपब्लिक" जैसी हालत हो जाएगी।
सुशांत मामले में मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठाये गए तो कंगना रनौत ने मुंबई पुलिस पर ही सवाल खड़े कर दिए, इसके बाद बवाल होना ही था और हुआ भी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपरोक्ष रूप से कंगना पर हमला बोलते हुए कहा, 'जो लोग मुंबई में आकर सफल होते हैं, पैसे कमाते हैं, उसी शहर पर उंगली उठा रहे हैं।’
गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि मुंबई पुलिस की सुरक्षा पर शक करने वाले व्यक्ति को केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करना चिंता की बात है।
‘राज्यसभा जाएंगी कंगना’
देशमुख ने कहा, ‘मुंबई सिर्फ शिवसेना, कांग्रेस या राष्ट्रवादी कांग्रेस का नहीं, बीजेपी का भी है। राजनीति के लिए महाराष्ट्र का अपमान करने वाले को सुरक्षा देना धक्के की तरह है।’ कांग्रेस नेता और मंत्री विजय वडेट्टीवार ने तो कंगना पर बीजेपी का तोता होने का आरोप लगाया। वडेट्टीवार ने कहा, ‘मैंने पहले ही कहा था कि वह बीजेपी की भाषा बोल रही हैं, आने वाले दिनों में बीजेपी उन्हें राज्यसभा या महाराष्ट्र विधान परिषद का सदस्य भी बना देगी।’
कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने तो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) से कंगना के ख़िलाफ़ जांच करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि एक वीडियो में कंगना स्वयं यह बात कह रही हैं कि वह नशा करती थीं। उस वीडियो में कंगना अपने साथियों को जबरदस्ती ड्रग्स देने की बात भी कह रही हैं, लिहाजा इस प्रकरण की भी जांच की जानी चाहिए।
विधानसभा पहुंचा मामला
सावंत ने कहा कि विरोधी दलों की सरकारों की बदनामी करने वाले अनेक लोगों को केंद्र सरकार ने नियुक्तियां व सुरक्षा प्रदान कर रखी है। कंगना रनौत का मुद्दा ट्विटर से विधानसभा पटल तक पहुंच गया है और विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में गृहमंत्री को निर्देश दिए हैं कि वे जल्द रिपोर्ट पेश करें।
विधानसभा में यह मुद्दा शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने लिखित सवाल पेश कर उठाया। उन्होंने कहा कि मुंबई की तुलना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से करना और मुंबई पुलिस का अपमान करना गंभीर मामला है और इसके तहत कंगना रनौत के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले सरनाईक ने कंगना का मुंह तोड़ने की बात भी कही थी। उनके इस बयान पर केंद्रीय महिला आयोग की शिकायत के आधार पर मुक़दमा भी दर्ज किया गया था। अभी भी इस मुद्दे पर बयानबाजी का दौर जारी है।
कंगना को करेंगे क्वारेंटीन
इन बयानों में सत्ता के नेपथ्य में चलने वाले खेल के एक से एक दांव नजर आ रहे हैं। कंगना ने शिवसेना और सरकार को चुनौती देते हुए 9 सितंबर को मुंबई आने की बात कही है। मुंबई की महापौर का बयान आया है कि वे कंगना के हाथ पर सिक्का लगाकर उन्हें होम क्वारेंटीन कर देंगी लेकिन यह मुद्दा क्वारेंटीन होता नज़र नहीं आ रहा।
शिव सैनिक कंगना के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरेंगे या कोई नयी रणनीति अपनाएंगे, यह सब आगे देखने को मिलेगा। फिलहाल सुशांत सिंह की आत्महत्या का मामला नेपथ्य में नजर आ रहा है। गोदी मीडिया ड्रग्स के एंगल में व्यस्त है और उसके द्वारा बोले गए कई झूठों का पर्दाफाश भी हो चुका है।