कांग्रेस नेता कमलनाथ ने इशारों में ही मतदान पर आश्चर्य व्यक्ति किया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि कुछ पूर्व विधायकों ने शिकायत की है कि उन्हें अपने गाँव में 50 वोट भी नहीं मिले। उन्होंने पूछा कि यह कैसे संभव है। हालाँकि, उन्होंने चुनाव में धांधली का आरोप लगाने से इनकार कर दिया और इतना ही कहा कि वह चुने गए विधायकों और हारे हुए प्रत्याशियों से मिलकर उनकी सुनेंगे और इसके बाद हार की समीक्षा करेंगे।
कमलनाथ की यह टिप्पणी तब आई है जब मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में एमपी कांग्रेस की बड़ी हार हुई है। बीजेपी को 160 से ज़्यादा सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस सिर्फ़ 66 सीटों पर ही सिमट गई है। कांग्रेस की इस तरह की हार के बाद कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों यानी ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है और कहा है कि 'चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है'।
बहरहाल, कमलनाथ ने कहा कि वह पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारणों का विश्लेषण करने के लिए पार्टी उम्मीदवारों के साथ चर्चा करेंगे। कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा ईवीएम हैकिंग का आरोप लगाने के बारे में पूछे जाने पर कमलनाथ ने कहा, 'बिना चर्चा किए किसी नतीजे पर पहुंचना सही नहीं होगा। मैं पहले सभी से बात करूंगा।'
उन्होंने चुनाव नतीजों पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि जनता का मूड कांग्रेस के पक्ष में है। उन्होंने कहा, 'आप भी जानते हैं कि मूड क्या था। आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं, लोगों से पूछिए। कुछ विधायक मुझसे कह रहे हैं कि उन्हें अपने गांव में 50 वोट नहीं मिले। यह कैसे संभव है?'
एग्ज़िट पोल पर उन्होंने कहा कि ये माहौल बनाने के लिए कराए गए थे। कमलनाथ ने कहा, 'अगर किसी को परिणाम पहले से पता है तो वह एग्जिट पोल करवा सकता है।' उन्होंने आगे कुछ भी बताने से इनकार कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि वह आगे की टिप्पणी करने से पहले दूसरों से बात करेंगे।
इससे पहले कमलनाथ ने कहा था कि वह जनता के जनादेश को स्वीकार करते हैं और कांग्रेस विपक्ष के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी निभाएगी।
बता दें कि कांग्रेस आश्वस्त थी कि शिवराज सिंह चौहान सरकार के ख़िलाफ़ सत्ता विरोधी लहर उसे सत्ता में लाएगी। इस अति आत्मविश्वास का उदाहरण मतगणना वाले दिन सुबह देखने को मिला, जब चुनाव परिणाम आने से पहले ही भोपाल में कमलनाथ को बधाई देने वाले पोस्टर लग गए।
ख़राब प्रदर्शन के बाद राज्य कांग्रेस की रणनीति सवालों के घेरे में आ गई है। इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के साथ कमलनाथ का व्यवहार भी सवालों के घेरे में आ गया है। सीट-बँटवारे की बातचीत के दौरान अनुभवी कांग्रेस नेता की अनिच्छा और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पर उनकी टिप्पणी ने काम में रुकावट डाल दी और सहयोगियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। इससे वोट बँट गए, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ।