मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्रियों की ‘डिनर डिप्लोमेसी’ के ‘साइड इफेक्ट्स’ दिखाई पड़ना शुरू हो गए हैं। नौकरशाही को लेकर अपने राजनीतिक आका सिंधिया के सामने दिल्ली में दुखड़े सुनाने पर समर्थक मंत्रियों को सिंधिया ने दो टूक मशविरा दिया था, ‘जनहित से जुड़े मुद्दों के लिए बिना परवाह वे ब्यूरोक्रेसी से भिड़ने में परहेज न करें।’ इस ‘शह’ के बाद सिंधिया समर्थक मंत्री बुधवार को कैबिनेट की बैठक में सीधे कमलनाथ से ही ‘भिड़’ गये। हालात ऐसे बने कि दूसरे मंत्रियों को कमलनाथ के ‘बचाव’ में आगे आना पड़ा और जमकर हुज्ज़तबाज़ी हुई।
बता दें कि बुधवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में सिंधिया समर्थक मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभागों के मुखिया) मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भड़क गए। दरअसल, पीएचई विभाग के विषय से जुड़ी चर्चा में वह अपनी बात रखना चाह रहे थे। कमलनाथ समर्थक मंत्री सुखदेव पांसे अपनी बात रखते रहे। इसी बीच मुख्यमंत्री ने कह दिया कि विषय पर चर्चा पूरी हो गई अब आगे बढ़िये - तो इस पर तोमर बिफर गए।
बेहद नाराज़ प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सवाल खड़ा करते हुए कहा, ‘जब हमें बोलने ही नहीं दिया जाना है तो हम कैबिनेट की बैठक क्यों अटेंड करें’ इस पर मुख्यमंत्री ने कह दिया, ‘तो जाइए, आपको रोका किसने है।’
मुख्यमंत्री के तल्ख जवाब पर जब तोमर बैठक छोड़कर जाने लगे तो सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी और अन्य ने उन्हें रोका। राजपूत ने तोमर के दर्द को वाज़िब क़रार दिया। इस पर कमलनाथ समर्थक मंत्री भी उबल पड़े। ऊँची आवाज़ में इनके बीच बहस हुई।
सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा, ‘नौकरशाह हमारे निर्देशों का पालन नहीं करते।’ मुख्यमंत्री का जवाब रहा, ‘आप मंत्री हो, आपको अपने अधिकार मालूम होना चाहिये।’ इस पर खाद्य मंत्री तोमर ने कहा, ‘हमें मालूम है अधिकारी किसके इशारे पर हमें नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।’ तोमर के इस आरोप पर कमलनाथ ने ‘भड़क’ रहे सिंधिया समर्थक मंत्रियों को जवाब दिया, ‘मुझे भी पता है आप किसके दम पर इतना बोल रहे हो।’
दिग्विजय समर्थक भी नाराज़
नौकरशाही और मुख्यमंत्री कमलनाथ की कार्यशैली का कथित दर्द अकेले सिंधिया समर्थक मंत्रियों भर में नहीं है, दिग्विजय सिंह समर्थक मंत्री भी ब्यूरोक्रेसी के रवैये से ख़ासे दुखी बताये जा रहे हैं। कमलनाथ द्वारा काबीना का विस्तार ना किये जाने का रंज भी अनेक विधायकों को है। तीन निर्दलीय विधायकों के अलावा बीएसपी के दो और एसपी के एक सदस्य के साथ दिग्विजय और सिंधिया समर्थक एक दर्जन ऐसे दावेदार विधायक हैं जिन्हें मंत्री पद का झुनझुना उनके राजनीतिक आकाओं और ख़ुद कमलनाथ ने पकड़ा रखा है।
अफ़सरों के तबादले पर भी नाराज़गी
सिंधिया समर्थक मंत्री तबादला के सीजन में ‘खड़ी फ़सल’ नहीं ‘काट’ पाने से भी ख़ासे परेशान हैं। सरकार बनने के बाद मध्य प्रदेश में 15 हज़ार से ज़्यादा तबादले हुए हैं। सभी तबादले अधिकांशत: सीधे मुख्यमंत्री सचिवालय से हुए हैं। सरकार ने तबादलों पर से प्रतिबंध हटाया है। प्रत्येक विभाग चाहता है कि तबादले ऑफ़ लाइन हों। कई विभागों में सरकार तबादले ऑनलाइन कर रही है। कैबिनेट की बैठक और बाहर भी इस मुद्दे पर मंत्रियों ने अपना दर्द साझा किया है। समर्थक मंत्री इस बात से भी बेहद दुखी हैं कि उनके संज्ञान में लाये बगैर ही अनेक मामले अधिकारी सीधे काबीना की बैठक में पेश कर रहे हैं।
दिल्ली में सिंधिया से मिले थे समर्थक मंत्री
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले सप्ताह दिल्ली में एक डिनर का आयोजन किया था। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा केन्द्र और मध्य प्रदेश कांग्रेस के आला नेताओं को भी इसमें बुलाया गया था। इस डिनर में सिंधिया नहीं पहुँचे थे। कमलनाथ के दिल्ली पहुँचने के ठीक पहले सिंधिया समर्थक मंत्री दिल्ली गये थे। सिंधिया के घर एक बैठक हुई थी। बैठक में मंत्रियों ने जमकर अपने दुखड़े रोये थे। सिंधिया ने समर्थक मंत्रियों से दो टूक कहा था, ‘मध्य प्रदेश की जनता के हितों के लिए प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव और ज़रूरत हो तो मुख्य सचिव के सामने भी ‘पूरी ताक़त’ से अपना पक्ष रखने में किसी भी तरह का गुरेज न दिखायें।’
आज भी जुटे सिंधिया समर्थक मंत्री
दिल्ली में ‘आका’ से मेल-मुलाक़ात के बाद सिंधिया समर्थकों का एक भोज भोपाल में हुआ। श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया के बंगले पर इस भोज का आयोजन किया गया था। सिंधिया समर्थक मंत्रियों की इस ‘डिनर डिप्लोमेसी’ ने नाथ सरकार के कान खड़े कर दिए थे।
बुधवार को कैबिनेट में प्रद्युम्न सिंह तोमर की मुख्यमंत्री के साथ हुई गर्मागर्म बहस के बाद सिंधिया समर्थक मंत्री कुछ ज़्यादा सक्रिय नज़र आ रहे हैं। गुरुवार सुहल भी आधा दर्जन के क़रीब मंत्री गोविंद राजपूत के बंगले पर इकट्ठा हुए और इन्होंने बैठक की।
तीन दर्जन से ज़्यादा हैं सिंधिया समर्थक विधायक
मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की कुल 114 सीटें हैं। इनमें 40 के आसपास विधायक सिंधिया के समर्थक हैं। विधानसभा में 230 सीटों के मान से बहुमत का जादुई आँकड़ा 116 है। फ़िलहाल एक सीट खाली है, लिहाज़ा बहुमत के लिए 115 का नंबर ज़रूरी है और कांग्रेस के पास अभी कागज पर 121 का नंबर है। कांग्रेस के पास 121 का आँकड़ा ज़रूर है, लेकिन दिग्विजय सिंह समर्थक आधा दर्जन मंत्री पद के दावेदार लंबे समय से कमलनाथ को आँखें दिखा रहे हैं। सरकार का समर्थन कर रहे तीन निर्दलीय विधायकों के अलावा बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक ने भी मंत्री बनाये जाने के लिए भरपूर दबाव कमलनाथ पर बना रखा है। ऐसे में सिंधिया समर्थक मंत्रियों के तीखे तेवरों को कमलनाथ सरकार के लिए ‘अशुभ संकेत’ क़रार दिया जा रहा है।
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक राकेश दीक्षित कहते हैं, ‘मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे सिंधिया- उनके समर्थक मंत्रियों को फ़्री हैंड न मिलने से कहीं ज़्यादा कुपित गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर मिली क़रारी हार से हैं। वह इस हार की एक बड़ी वजह नाथ के कथित असहयोग को भी माने हुए हैं।’ दीक्षित का कहना है, ‘नंबरों के मान से कांग्रेस या कमलनाथ की सरकार को कोई ख़तरा नहीं है - लेकिन मंत्री-विधायकों के अपने ही पाले में गोल मारने पर आमादा होना, बेशक नाथ सरकार के लिए बड़े ख़तरे की घंटी के तौर पर देखा जाना चाहिए।’
दिग्विजय सिंह पूरी तरह से खामोश
दिलचस्प बात यह है कि सरकार की उपलब्धियाँ गिनाने के लिए ज़िला और ब्लॉक स्तर तक आयोजित प्रेस कांफ्रेंसों में अनेक बड़े नेता नज़र नहीं आये हैं। हर दिन कोई ना कोई ट्वीट करने वाले दिग्विजय सिंह का सिंगल बयान तक कमलनाथ सरकार के छह माह के ‘सफल’ कार्यकाल और ‘जनोन्मुखी निर्णयों’ पर ना आना भी ज़ोरदार चर्चा का विषय बना हुआ है।
राहुल गाँधी ने नहीं दिया है नाथ को समय!
लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद कमलनाथ कई बार दिल्ली जा चुके हैं। ख़बरें हैं कि उन्होंने मुलाक़ात के लिए राहुल गाँधी से समय माँगा - लेकिन राहुल ने उन्हें मुलाक़ात के लिए वक़्त नहीं दिया है। मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में अकेली छिंदवाड़ा को कांग्रेस ने जीता है। इस सीट पर नाथ के बेटे नकुल विजयी हुए हैं। कमलनाथ एक बार नकुल को लेकर भी दिल्ली पहुँचे थे। नकुलनाथ और कमलनाथ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साझा एवं कमलनाथ की पीएम से अकेले मुलाक़ातों की तसवीर तो ख़ूब वायरल हुई, लेकिन राहुल गाँधी के साथ मुलाक़ात की इस तरह की तसवीरें न तो कमलनाथ और न ही नकुलनाथ की अभी तक सामने आयी हैं।