
जस्टिस वर्मा के घर के बाहर फिर कथित जले नोट मिलने का दावा, सवाल क्यों उठ रहे
न्यूज एजेंसी आईएएनएस और एबीपी न्यूज चैनल ने वीडियो जारी करते हुए खबर दी है कि कुछ सफाईकर्मियों को जस्टिस यशवंत वर्मा के घर के बाहर कूड़े में जले हुए नोट मिले हैं। एबीपी वीडियो का लिंक नीचे देखिए-
BREAKING | जस्टिस वर्मा के घर के बाहर आज सफाईकर्मियों को मिले 500-500 के नोट @BafilaDeepa | @varunjainNEWS | https://t.co/smwhXUROiK #JusticeVerma #Cash #Delhi #LatestNews pic.twitter.com/ANljJMCDCZ
— ABP News (@ABPNews) March 23, 2025
एबीपी न्यूज जैसा ही वीडियो आईएएनएस ने भी जारी किया है। उसके साथ जानकारी दी गई है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के 30 तुगलक रोड स्थित आवास के पास जला हुआ मलबा मिला। उनके स्टोररूम में नकदी मिलने के आरोप लगे हैं, साथ ही जले हुए नोट और अन्य सामान भी बरामद हुए हैं। आईएएनएस की खबर में फिर से जले नोट मिलने की जगह जला हुआ कूड़ा या मलबा मिलने की बात लिखी गई है।
क्या वीडियो डिलीट किए गए
कुछ न्यूज चैनल बता रहे हैं कि 14 मार्च को आग लगने की सूचना पर जब फायर ब्रिगेड और दिल्ली पुलिस पहुंची थी तो कुछ पुलिस वालों ने मौके का वीडियो भी रिकॉर्ड कर लिया था। उन पुलिस वालों ने अपने डीसीपी को वो वीडियो भेजे। बात आला अफसरों तक पहुंची। आला अफसरों ने सबसे निचले स्तर के पुलिसकर्मियों से सारे वीडियो डिलीट करने को कहा। जूनियर लेवल के पुलिसकर्मियों ने फिर वीडियो डिलीट कर दिए।SC makes public the video of gutted store room of Justice Yashwant Varma where allegedly bundles of cash were found post the fire incident.
— Arvind Gunasekar (@arvindgunasekar) March 22, 2025
SC has instituted an in-house probe in the matter, Justice Varma has called it as “conspiracy” against him. pic.twitter.com/AAAkqabVe6
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने एक वीडियो भेजा। जिसमें कथित तौर पर जले हुए नोट दिखाते हुए कहा गया था कि ये जले नोट जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से मिले हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने भारत के चीफ जस्टिस को सारी जानकारी भेजते हुए गहन जांच की सलाह दी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने फौरन तीन सदस्यीय कमेटी इसकी जांच के लिए बना दी। सुप्रीम कोर्ट ने उस वीडियो को भी जारी कर दिया, जिसमें इस दृश्य को दिखाया गया है। हालांकि जस्टिस वर्मा ने सारे आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि वो जले नोट उनके नहीं हैं। जहां से बरामद किए गए हैं, वो जगह उनके इस्तेमाल में नहीं है।
इस मामले में सारा घटनाक्रम सामने है लेकिन तमाम सवाल भी उठ रहे हैं। इस मामले का सबसे बुनियादी सवाल यह है कि वास्तव में कितनी नकदी मिली थी। आग लगने के तुरंत बाद बनाए गए वीडियो में आधी जली हुई करेंसी नोट दिखाई दे रही थीं, लेकिन अब तक कुल कितनी राशि मिली, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। इस प्वाइंट पर स्पष्टता का अभाव चिंताएं पैदा करता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, 15 मार्च की सुबह आधी जली हुई करेंसी नोट्स को स्टोर रूम से हटा दिया गया था। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि बरामद नकदी किसके कब्जे में है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उनके पास यह नकदी नहीं है, और न्यायमूर्ति वर्मा ने भी इसके स्थान के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया है। अगर न तो अधिकारियों के पास और न ही न्यायाधीश के पास यह नकदी है, तो यह गई कहां?
दिल्ली पुलिस आयुक्त ने पुष्टि की है कि 15 मार्च की सुबह एक सुरक्षा गार्ड ने उन्हें मलबे और आधी जली हुई वस्तुओं को हटाने के बारे में सूचित किया था। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि जली हुई करेंसी को किसने हटाया, और न ही किसी ने इसे सुरक्षित रखने या दस्तावेजीकरण करने की जिम्मेदारी ली है। क्या इसे नष्ट कर दिया गया, गुम कर दिया गया, या फिर सबूत मिटाने के लिए जानबूझकर हटाया गया?
जस्टिस वर्मा का कहना है कि स्टोर रूम "हर किसी की पहुंच में" था। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, केवल निवासी, घरेलू स्टाफ और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों की ही इसमें पहुंच थी। यह विरोधाभास इस बात को लेकर और संदेह पैदा करता है कि नकदी को रखा या हटाया किसने होगा। अगर कमरा हमेशा खुला और आसानी से पहुंच योग्य था, तो इतनी बड़ी राशि आग लगने तक कैसे अनदेखी रही?
जस्टिस वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नकदी मिलने का मामला उन्हें "फंसाने और बदनाम करने की साजिश" है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया है कि यह साजिश किसने रची होगी। चूंकि इन आरोपों के चलते उनका जूडिशव वर्क सस्पेंड कर दिया गया है और हाईलेवल जांच शुरू की गई है, इसलिए इस साजिश का मकसद और संभावित अपराधी अभी भी स्पष्ट नहीं हैं।
20 मार्च को भारत के सीजेआई संजीव खन्ना ने आग और नकदी बरामदगी की खबर के बाद जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का प्रस्ताव रखा। हालांकि, 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि उनके तबादले का संबंध चल रही जांच से नहीं है। अगर ऐसा है, तो फिर उनके तबादले की खास वजह क्या है, तबादला आग लगने की घटना के बाद ही क्यों किया गया।
रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी