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महागठबंधन से अलग हुए जीतनराम मांझी फिर एनडीए की शरण में

महागठबंधन से अलग हुए जीतनराम मांझी फिर एनडीए की शरण में

बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया है

बिहार पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी एक बार फिर एनडीए में शामिल हो गए हैं। पिछले दिनों ही बिहार में महागठबंधन से अलग होने के बाद यह तय माना जा रहा था कि वह एनडीए में जाएंगे।  बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया है। अमित शाह से हुई उनकी इस मुलाकात के दौरान उनके बेटे और पूर्व मंत्री संतोष कुमार सुमन साथ थे जो कि मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। इससे पूर्व मांझी ने मंगलवार को ही बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिलकर नीतीश कुमार की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। हम पार्टी के कुल चार विधायक हैं।  इसमें से संतोष कुमार सुमन बिहार सरकार में मंत्री थे, जिन्होंने पिछले दिनों इस्तिफा दे दिया था। 

भाजपा के संग लोकसभा चुनाव लड़ेगी हम

जीतन राम मांझी और संतोष कुमार सुमन की अमित शाह से मुलाकात करीब 45 मिनट तक चली है। मुलाकात के दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय भी मौजूद थे। इस मुलाकात के बाद संतोष कुमार सुमन ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह के साथ कई बिंदुओं पर चर्चा हुई है। हमलोगों ने औपचारिक रूप से सहमति जताई कि हम एनडीए के साथ रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम पार्टी भाजपा के साथ ही लोकसभा का चुनाव लड़ेगी। कहा कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लोग है। इस बार भी वही प्रधानमंत्री बनेंगे। अमित शाह से मुलाकात में किन मुद्दों और मांगों पर सहमति बनी है इसकी जानकारी उन्होंने नहीं दी है। 

नीतीश ने दिया था जदयू में विलय का प्रस्ताव

चार विधायकों के साथ हम पार्टी पिछले साल ही 'महागठबंधन' में शामिल हुई थी। उसने यह फ़ैसला नीतीश कुमार के भाजपा को छोड़ने के कदम के साथ एकजुटता दिखाते हुए लिया था। जदयू का आरोप था कि मांझी भाजपा नेताओं के संपर्क में पिछले कुछ समय से थे। नीतीश कुमार ने बीते दिनों मीडिया से बात करते हुए कहा था कि मांझी 23 जून को पटना में होने वाली बैठक में हिस्सा लेना चाहते थे, लेकिन वह बैठक में रहते तो सब बात जा कर भाजपा को बता देते। उन्होंने कहा था कि मांझी जी को हमने जदयू में विलय करने का प्रस्ताव दिया था। जब उन्होंने इंकार कर दिया तो महागठबंधन से जाने को कह दिया था। 

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