झारखंड में सरकार की अगुवाई कर रही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कहा है कि राज्य में बीजेपी के 16 विधायक उसके संपर्क में हैं। झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात का दावा किया। निश्चित रूप से झामुमो की ओर से यह बड़ा दावा किया गया है। लेकिन बीजेपी ने इस दावे पर पलटवार करते हुए कहा है कि झामुमो के 21 विधायकों ने बगावत कर दी है और उसके अंदर टूट होना तय है।
झामुमो के नेता भट्टाचार्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बीजेपी की कार्यशैली की वजह से नाराज होकर पार्टी के 16 विधायकों ने दरख्वास्त की है कि उन्हें झामुमो में शामिल कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि झामुमो ने उनके प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करने का मन बनाया है और हम लोग उनका स्वागत करेंगे।
तमाम तरह की अटकलें
बता दें कि झारखंड में झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी मिलकर सरकार चला रहे हैं। बीते कुछ दिनों से झारखंड में सरकार को लेकर तमाम तरह की बातें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मीडिया में कही जा चुकी हैं। ऐसी अटकलें हैं कि झामुमो बीजेपी के साथ आकर सरकार बना सकता है। लेकिन झामुमो ने उल्टा दावा किया है कि बीजेपी के 16 विधायक उसके साथ आना चाहते हैं।
81 सदस्यों वाली झारखंड की विधानसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास 30, बीजेपी के पास 26, कांग्रेस के पास 18, आरजेडी, सीपीआई(एमएल) और एनसीपी के पास 1-1 और आजसू के पास 2 विधायक हैं। 2 विधायक निर्दलीय भी हैं।
लेकिन झारखंड से बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा है कि झामुमो के नेता पंकज मिश्रा के जेल जाने के बाद पार्टी बौखला गई है और खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के परिवार में ही बगावत हो गई है। बता दें कि पंकज मिश्रा को हाल ही में जांच एजेंसी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था।
बता दें कि झामुमो की जिला इकाइयों के आधिकारिक ट्विटर हैंडल की प्रोफाइल तस्वीर को बदले जाने को लेकर भी चर्चा हुई है। इस नई प्रोफाइल तस्वीर में लिखा गया था कि हेमंत सोरेन नहीं तो कौन?
‘ऑपरेशन लोटस’ का डर
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की ओर से विजयी रहीं उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में झारखंड में क्रॉस वोटिंग हुई थी। 79 में से कुल 70 वोट द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में पड़े जबकि कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को सिर्फ 9 वोट मिले। इसके बाद कांग्रेस ने कहा था कि झारखंड में कभी भी ‘ऑपरेशन लोटस’ हो सकता है और क्रॉस वोटिंग का आकलन किए जाने की जरूरत है।
क्रॉस वोटिंग होने के बाद से ही कांग्रेस का केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व लगातार अपने विधायकों पर नजर बनाए हुए है।
बताना जरूरी होगा कि झारखंड में सरकार में शामिल कांग्रेस और आरजेडी तो विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ थे लेकिन झामुमो ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया था। इसकी एक बड़ी वजह झारखंड में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के मतदाताओं का होना भी था।
बहरहाल, झामुमो के दावे और बीजेपी के द्वारा पलटवार करने के बाद एक बार फिर झारखंड का सियासी माहौल गर्म है।