झारखंड: महागठबंधन के विधायक हुए ‘सुरक्षित’, छत्तीसगढ़ पहुंचे
झारखंड में चल रही सियासी गहमागहमी के बीच हेमंत सोरेन सरकार अपने विधायकों को 'सुरक्षित' करने के मक़सद से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर ले गई है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है जबकि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल मिलकर सरकार चला रहे हैं।
कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों के साथ रांची से 30 किलोमीटर दूर लतरातू डैम गए थे। फिर वे सभी रांची लौट आए थे।
झारखंड की महागठबंधन सरकार को इस बात की आशंका है कि ऑपरेशन लोटस के तहत बीजेपी महागठबंधन के विधायकों में सेंध लगा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने खनन मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दोषी ठहराते हुए विधानसभा से उनकी अयोग्यता की सिफारिश की है। इसका मतलब यह है कि राज्यपाल द्वारा अयोग्यता के संबंध में नोटिफिकेशन जारी करने के बाद सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।
साथ ही उनके मंत्रिमंडल को भी इस्तीफा देना होगा। हालांकि, वह छह महीने के भीतर उपचुनाव लड़कर फिर से विधानसभा के लिए निर्वाचित हो सकते हैं।
लेकिन राज्यपाल रमेश बैस इस बात को जाहिर नहीं कर रहे हैं कि चुनाव आयोग की सिफारिश में क्या कहा गया है। चूंकि यह सिफारिश बंद लिफाफे में राजभवन को भेजी गयी है इसलिए तरह-तरह की अटकलें लगायी जा रही हैं। इन अटकलों में यह बात भी शामिल है कि सोरेन के चुनाव लड़ने पर कुछ दिनों के लिए पाबंदी लग सकती है।
महागठबंधन के नेताओं ने कहा है कि अगर राज्यपाल की इच्छा अनुच्छेद-356 इस्तेमाल करके सरकार गिराने की है तो वह यह भी कर लें। उनके अनुसार तब महागठबंधन इसका 24 घंटे में जवाब दे देगा।
उन्होंने पूछा है कि क्या कारण है कि चुनाव आयोग की सिफारिश को लेकर राज्यपाल ने अब तक कुछ नहीं कहा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस तरह समय काटकर विधायकों की खरीद-फरोख्त की तैयारी की जा रही है।
सरकार के पास है समर्थन
81 सदस्यों वाली झारखंड की विधानसभा में इस समय झामुमो के सर्वाधिक 30 विधायक हैं। बीजेपी के 26, कांग्रेस के 18, आजसू के 2 और भाकपा-माले, राकांपा, राजद के पास एक-एक विधायक हैं। दो विधायक निर्दलीय हैं।
नकदी के साथ पकड़े गये तीन विधायकों को हटाकर भी हेमंत सरकार के पास पर्याप्त समर्थन है। दूसरी ओर बीजेपी के पास कुल 30 विधायकों का समर्थन माना जा रहा है जो बहुमत से 11 कम है। बहुमत के लिए 41 विधायकों का समर्थन चाहिए।
नकदी के साथ पकड़े गए कांग्रेस के 3 विधायकों के खिलाफ कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर से दलबदल की शिकायत की है। शिकायत पर स्पीकर ने इन तीनों विधायकों को नोटिस जारी कर दिया है। स्पीकर ने नोटिस में कहा है कि विधायक 1 सितंबर तक अपना पक्ष उनके सामने रखें। माना जा रहा है कि इन तीनों विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है। इन विधायकों के नाम डॉ. इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन बिक्सल हैं।
इस बीच, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि केंद्र सरकार और बीजेपी को जितना कुचक्र रचना है रच ले, कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि वह आदिवासी के बेटे हैं और डरने वाले नहीं, लड़ने वाले लोग हैं।
सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है। पुलिस, ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई को आदेश देकर उनकी सरकार को रोका जा रहा है।
जबकि बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आदिवासी उत्थान के नाम पर झूठे वादे कर सोरेन ने सत्ता तो हासिल कर ली, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा लूटने का काम किया। बेरोजगारों को नौकरी, किसानों की ऋण माफी, बेरोजगारी भत्ता सबके सब जुमले ही साबित हुए।