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जम्मू कश्मीर में फिर से आतंकी हमला, दो प्रवासी मज़दूरों को गोली मारी

जम्मू कश्मीर में फिर से आतंकी हमला, दो प्रवासी मज़दूरों को गोली मारी

तमाम दावों के बावजूद जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के हमले क्यों नहीं रुक रहे? क्यों अब आम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है?

जम्मू कश्मीर के बडगाम ज़िले में फिर से निशाना बनाकर हमला किया गया है। टारगेट किलिंग के मक़सद से ऐसा हमला लगातार किया जाता रहा है जिसमें आतंकवादी निश्चित करते हैं कि किसकी हत्या करनी है। राज्य में हाल के दिनों में इस तरह के हमले बढ़े हैं और आम लोगों को निशाना बनाया गया है।

इसी तरह के हमले में मागाम इलाके में शुक्रवार को आतंकवादियों ने दो प्रवासी मजदूरों को गोली मार दी। घायल हुए दो प्रवासी मजदूरों की पहचान 25 वर्षीय सोफियान और 20 वर्षीय उस्मान मलिक के रूप में हुई है। दोनों उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले हैं। उन्हें श्रीनगर के जेवीसी अस्पताल बेमिना में भर्ती कराया गया है। दोनों मजदूर जल शक्ति विभाग में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते थे। गोली लगने से वे घायल हो गए, लेकिन उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। 

सूचना मिलने पर सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे और आतंकवादियों की तलाश में तलाशी अभियान शुरू किया गया। जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों पर ताज़ा हमला पिछले दो हफ़्तों में प्रवासी मज़दूरों पर यह चौथा हमला है।

आतंकवादियों ने 24 अक्टूबर को गैर कश्मीर को निशाना बनाया था। तब उन्होंने एक मज़दूर को गोली मार दी थी। वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। इससे पहले गंदेरबल जिले के सोनमर्ग इलाके में एक निर्माण स्थल पर आतंकवादियों ने गोलीबारी कर एक डॉक्टर और छह प्रवासी श्रमिकों की हत्या कर दी थी।

निशाना बनाए गए डॉक्टर और श्रमिक जेड-मोड़ सुरंग पर काम कर रहे निर्माण दल का हिस्सा थे, जो मध्य कश्मीर के गंदेरबल में गगनेर को सोनमर्ग से जोड़ता है। अधिकारियों ने कहा था कि यह हमला एक सुनियोजित हमला था, जिसमें एक आतंकवादी शामिल था जो हाल ही में पाकिस्तान से लौटा था।

अधिकारियों ने दोनों आतंकवादियों का नाम हुरेरा और खुबैब बताया। हुरेरा पाकिस्तान से लौटा था और गंदेरबल और हरवान के बीच गतिविधियां चला रहा था।

18 अक्टूबर को आतंकवादियों ने शोपियां जिले में बिहार के एक प्रवासी श्रमिक की हत्या कर दी थी। स्थानीय लोगों ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के जैनापोरा के वडुना इलाके में श्रमिक का गोलियों से छलनी शव पाया था।

गैर कश्मीरी लोगों को निशाना बनाए जाने की घटनाएँ लगातार बढ़ती हुई दिख रही हैं। आतंकवादी अब प्रवासी मज़दूरों और निर्माण कार्यों में लगे मज़दूरों को निशाना बना रहे हैं।

माना जाता है कि जम्मू-काश्मीर में 90 के दशक से टारगेट किलिंग शुरू हुई। घाटी में टारगेट किलिंग द्वारा आतंकी आम लोगों के बीच डर का माहौल बनाने की कोशिश करते रहे हैं। अब तक आतंकियों ने सैकड़ों लोगों को टारगेट किलिंग का शिकार बनाया है। 

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