उमर पर पीएसए लगाने, नज़रबंद रखने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट गईं बहन सारा 

02:15 pm Feb 10, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर पब्लिक सेफ़्टी एक्ट लगाने और उन्हें नज़रबंद रखने के ख़िलाफ़ उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। उन्होंने उमर को तुरन्त रिहा करने की माँग की है।

असंवैधानिक!

सारा ने याचिका में कहा है कि उमर को नज़रबंद रखना अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ दूसरे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह ‘राजनीतिक विरोध की तमाम आवाज़ों को कुचलने की सोची समझी और लगातार कोशिश  है।’

उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त से ही नज़रबंद हैं, जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म कर दिया था। उमर पर पीएसए लगा दिया गया। उनकी बहन ने याचिका में कहा है कि पूरी तरह से यांत्रिक तरीके से कई दूसरे लोगों को भी बीते 7 महीने में इसी तरह नज़रबंद रखा गया है।

सारा अब्दुल्ला पायलट ने याचिका में कहा, सरकार का आदेश भारत राज्य की उस सरकारी नीति को दर्शाता है जिसमें यह माना जाता है कि एक का विरोध दूसरे के लिए ख़तरा है। यह लोकतांत्रिक राजनीति के उलट है और भारतीय संविधान का उल्लंघन है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में लगातार शांति और सहयोग की अपील की है जो पूरी तरह गाँधीवादी तरीका है। इसे किसी तरह से क़ानून व्यवस्था से नहीं जोड़ा जा सकता है।

एनडीटीवी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने कहा है कि उमर अब्दुल्ला लोगों को प्रभावित कर सकते हैं, ख़ास कर वह चुनाव का बॉयकॉट करने की अलगाववादियों की अपील पर मतदाताओं पर असर डाल सकते हैं।

महबूबा की बेटी ने दिया जवाब

महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिज़ा मुफ़्ती ने अपनी माँ पर पीएसए लगाने के पीछे सरकार के दिए आरोपों का ज़ोरदार जवाब दिया है। उन्होंने पुलिस की ओर से दायर मामले में हर बिन्दु पर जवाब दिया है।

 मुफ़्ती पर आरोप लगाया गया है कि वह अलगाववादियों  के साथ मिल कर काम करती हैं, वह राष्ट्र-विरोधी भवनाओं को बढ़ावा देती हैं और उन्होंने उन संगठनों का समर्थन किया है, जिन्हें अनलॉफ़ुल प्रीवेन्शन एक्टविटीज़ एक्ट के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है। 

इल्तिज़ा का पलटवार

इल्तिज़ा मुफ़्ती फ़िलहाल अपनी माँ का ट्विटर हैंडल संभालती हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि ‘पीडीपी प्रमुख पर पीएसए इसलिए लगा दिया गया कि उन्होंने उस ग़ैरक़ानूनी बॉन्ड पर दस्तख़त करने से इनकार कर दिया था, जिसमें यह कहा गया था कि अनुच्छेद 370 ख़त्म करने के ख़िलाफ़ वह कुछ नहीं करेंगी।’

इल्तिज़ा ने कहा कि सरकार को इसका पुख़्ता सबूत देना होगा कि महबूबा ने भड़काऊ बयान दिए हैं। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी के नेताओं ने नारे लगाए, देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को, और उसके बाद गोलियाँ चली हैं।

इल्तिज़ा ने पूछा है कि यदि उनकी माँ इस तरह की देशद्रोही हैं तो क्यों बीजेपी ने उनके साथ 2014 में चुनावी गठबंधन किया और क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक मंच से उनकी तारीफ़ की?

महबूबा की बेटी ने इस बात का भी जवाब दिया है कि उनकी पार्टी के झंडे का रंग हरा है जो इसकी ‘कट्टर शुरुआत’ का प्रतीक है। इस पर पलटवार करते हुए इल्तिज़ा ने कहा कि बीजेपी के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड के झंडे का रंग भी हरा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पीडीपी के झंडे और चुनाव चिह्न को चुनाव चिह्न ने मंजूरी दे रखी है।