इरफान मेहराज को NIA ने किया गिरफ्तार, पत्रकार संस्थाओं ने की आलोचना

07:36 pm Mar 22, 2023 | सत्य ब्यूरो

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कश्मीर स्थित गैर-लाभकारी संगठनों की चल रही जांच के सिलसिले में श्रीनगर के एक स्वतंत्र पत्रकार को इरफान मेहराज को गिरफ्तार कर लिया है। एनआईए ने भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण' गतिविधियों को प्रायोजित करने के आरोप लगाए हैं।

श्रीनगर के मेहजूर नगर में रहने वाले स्वतंत्र पत्रकार इरफान मेहराज को 20 मार्च को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें बुधवार को दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में पेश किया गया जहां  जांच एजेंसी ने 12 दिनों की अवधि के लिए हिरासत मांगी।

एनआईए ने मंगलवार को एक प्रेस रिलीज जारी की जिसमें में कहा गया है कि इरफान मेहराज, खुर्रम परवेज का करीबी सहयोगी था और उसके संगठन, जम्मू और कश्मीर कोएलिशन ऑफ सिविल सोसाइटीज (जेकेसीसीएस) के साथ काम कर रहा था। जांच से पता चला कि जेकेसीसीएस घाटी में आतंकवादी गतिविधियों का फंड कर रहा था इसके साथ ही मानवाधिकारों के संरक्षण की आड़ में कश्मीर घाटी में अलगाववादी एजेंडे का प्रचार कर रहा था।

मेहराज के पिता ने द वायर से बात करते हुए बताया कि ‘जब उसे जांच अधिकारियों का फोन आया तब वह एक स्टोरी में लगा हुआ था। उन्होंने उसे पांच मिनट के लिए [पूछताछ के लिए] अपने ऑफिस आने के लिए कहा’  उसके कुछ देर बाद  हमें पता चला कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है, मंगलवार को उसे दिल्ली भेजा जा रहा है’। मेरा भाई और बेटा उसकी कानूनी सहाएता के लिए दिल्ली गये हुए हैं। वह एक मीडिया संस्थान का संपादक है और वह निर्दोष है। उसका काम ही इसकी गवाही देगा। मुझे विश्वास है कि सच सामने आएगा।

मेहराज के पिता ने द वायर से बात करते हुए बताया कि ‘जब उसे जांच अधिकारियों का फोन आया तब वह एक स्टोरी में लगा हुआ था। उन्होंने उसे पांच मिनट के लिए अपने ऑफिस आने के लिए कहा’ उसके कुछ देर बाद हमें पता चला कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इरफान टीसीएन लाइव का संपादक होने के साथ द कारवां, आर्टिकल 14 और अल जज़ीरा जैसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के लिए भी लिखते रहे हैं। इरफान को जांच एजेंसी द्वारा 8 अक्टूबर, 2020 को एनआईए पुलिस स्टेशन, नई दिल्ली में दर्ज एफआईआर आरसी-37/2020/एनआईए/डीएलआई के संबंध में गिरफ्तार किया गया है।

मेहराज की गिरफ्तारी पर पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने भी आलोचना की है। मेहराज की गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए पीडीपी अध्यक्ष मेहबूबा मुफ्ती ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'कश्मीर में ठगों को खुली छूट दी जाती है, इरफान मेहराज जैसे पत्रकार जो सच बोलकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाता है। यूएपीए जैसे कठोर कानूनों का लगातार दुरुपयोग किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रक्रिया ही सजा बन जाए’।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने मेहराज की गिरफ्तारी पर बयान जारी में कहा कि हम मीडियाकर्मियों पर यूएपीए लगाए जाने का पुरजोर विरोध करते हैं। इरफान मेहराज को एनआईए द्वारा अचानक से UAPA कानून के तहत गिरफ्तार करना कानून का दुरुपयोग भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करने की ओर इशारा करता है। हम उनकी तत्काल रिहाई की मांग करते हैं।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अलावा एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, इंडियन प्रेस काउंसिल और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा भी मेहराज की गिरफ्तारी की आलोचना की गई है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बुधवार को जारी किए अपने बयान में इरफान मेहराज की गिरफ्तारी और मीडियाकर्मियों के खिलाफ यूएपीए के 'जरूरत से इस्तेमाल’ पर 'गहरी चिंता' जताई। कहा कि ''कश्मीर में मीडिया की स्वतंत्रता धीरे-धीरे कम होती जा रही है”। इससे पहले आसिफ सुल्तान, सज्जाद गुल और फहद शाह को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। बयान में कहा गया है, ''इरफान मेहराज की गिरफ्तारी कश्मीर में एक प्रवृत्ति बनती जा रही है कि सुरक्षा बल पत्रकारों को गिरफ्तार कर रहे हैं, क्योंकि वे सत्ता प्रतिष्ठान की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

एडिटर गिल्ड ने प्रशासन से लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारों का उत्पीड़न रोकने का आग्रह किया।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी इरफान की गिरफ्तारी की आलोचना की और कहा 'आतंकवाद के आरोपों में कश्मीरी पत्रकार इरफान मेहराज की गिरफ्तारी मजाक है। यह गिरफ्तारी जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से चले आ रहे मानवाधिकारों के दमन, मीडिया की स्वतंत्रता और नागरिक समाज पर कार्रवाई का एक और उदाहरण है। कश्मीर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संगठन के अधिकारों का दमन बिना किसी रोकटोक के जारी है।

इरफान मेहराज जैसे मानवाधिकारों के रक्षकों को प्रोत्साहित और संरक्षित किया जाना चाहिए, न कि उत्पीडित। उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। वैध तरीके से किये जा रहे मानवाधिकार के कार्यों का अपराधीकरण बेहद खतरनाक है, अधिकारियों को इसे तुरंत खत्म करना चाहिए।