अगस्त 2019 में विशेष राज्य का दर्जा और अनुच्छेद 370 को ख़त्म किए जाने के बाद से एक साल तक बिना इंटरनेट और फिर 2जी के जरिये काम कर रहे जम्मू-कश्मीर के लोगों की मुश्किलें अब ख़त्म होने वाली हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रधान सचिव (ऊर्जा और सूचना) रोहित कंसल ने शुक्रवार को बताया है कि पूरे राज्य में 4जी मोबाइल इंटरनेट सेवा को बहाल किया जा रहा है। इससे पहले पिछले साल 15 अगस्त के बाद जम्मू और कश्मीर के एक-एक जिले में इंटरनेट सेवा को ट्रायल के आधार पर फिर से शुरू किया गया था। 18 महीने तक राज्य के लोग बिना या धीमे इंटरनेट के कारण परेशान रहे।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से ही कई पाबंदियां लागू कर दी गई थीं। इनमें इंटरनेट को भी बैन किया जाना शामिल है। भारत सरकार का कहना था कि कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए इंटरनेट को रोका जाना ज़रूरी था।
जम्मू-कश्मीर के बाशिंदे लगातार इस बात की मांग करते रहे हैं कि उन्हें बेहतर इंटरनेट सुविधा नहीं मिलने के कारण बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बीते साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा था कि इंटरनेट इस्तेमाल करने की आज़ादी लोगों का मूलभूत अधिकार है और बिना वजह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाई जा सकती। अदालत ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता।
अब तक जम्मू-कश्मीर के लोगों को 2G इंटरनेट की धीमी स्पीड के कारण बहुत परेशानी होती थी। उद्यमी, व्यावसायिक घराने, कॉमर्स हब और पूरे राज्य की अर्थव्यवस्था को इंटरनेट के बंद होने की वजह से लंबे वक्त तक कारोबार में नुकसान हुआ और आम लोगों को मुश्किलें झेलनी पड़ीं।
छात्रों की परेशानी
राज्य में इंटरनेट पर लगी बंदिशों के कारण न केवल व्यावसायिक बल्कि शिक्षा क्षेत्र भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ। जहां भारत और दुनिया भर के छात्रों के पास बेहतर इंटरनेट होने के कारण वे जल्द कुछ भी गूगल पर सर्च कर सकते हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर के छात्रों को यह समझने के लिए संघर्ष करना पड़ा कि ऑनलाइन कक्षा के दौरान उनके शिक्षक क्या कह रहे हैं।
इंटरनेट डाउन-ग्रेडिंग के कारण कई छात्र समय सीमा समाप्त हो जाने की वजह से परीक्षा नहीं दे पाए। दिल्ली स्थित फ़्रीडम लॉ सेंटर के मुताबिक़, दुनिया भर में किसी और देश के मुक़ाबले भारत में सबसे ज़्यादा बार इंटरनेट बंद किया गया है। 2019 में देश में 106 बार जबकि जम्मू-कश्मीर में 55 बार इंटरनेट को बैन किया गया है।
इंटरनेट बंद होने की वजह से राज्य के छात्रों से लेकर कारोबारी और मरीज से लेकर डॉक्टर तक परेशान रहे। सुप्रीम कोर्ट के इंटरनेट को चालू करने के आदेश के बाद भी लोगों को इसका कोई खास फायदा नहीं हुआ।