पीडीपी के लिए जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव नतीजे अप्रत्याशित रहे। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार और महबूब मुफ्ती की बेटी इलित्जा मुफ्ती मतगणना शुरू होने के बाद से ही बिजबेहरा सीट पर पिछड़ती रहीं। 12 में से 6 राउंड की वोटिंग के बाद सुबह 11 बजे तक करीब 4334 वोटों से पीछे रहीं इल्तिजा ने हार मान ली। उन्होंने कहा, ''मैं जनता का फैसला स्वीकार करती हूं। बिजबेहरा में सभी से मुझे जो प्यार और स्नेह मिला, वह हमेशा मेरे साथ रहेगा। मेरे पीडीपी कार्यकर्ताओं का आभार जिन्होंने इस पूरे अभियान में इतनी मेहनत की।'' इस रिपोर्ट के लिखे जाने के समय तक नेशनल कॉन्फ्रेंस के बशीर अहमद शाह वीरी बिजबेहरा विधानसभा क्षेत्र से आगे चल रहे हैं।
इलित्जा मुफ्ती द्वारा बिजबेहरा निर्वाचन क्षेत्र में एनसी उम्मीदवार से हार स्वीकार करने के तुरंत बाद, जदीबल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे स्वतंत्र उम्मीदवार और श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद मट्टू ने भी हार स्वीकार कर ली है। उन्होंने कहा- “आधे-अधूरे रुझान ज़दीबल के लोगों के बहुत स्पष्ट फैसले का संकेत देते हैं। शानदार प्रदर्शन के लिए तनवीर सादिक को मेरी हार्दिक बधाई। जदीबल के लोगों के प्रति मेरा आभार, विशेष रूप से उन लोगों के प्रति जिन्होंने मुझ पर अपना विश्वास जताया।''
शुरुआती रुझानों के मुताबिक उधमपुर पश्चिम में बीजेपी को अच्छी बढ़त मिल गई है। पूर्व बीजेपी नेता पवन खजुरिया उधमपुर पूर्व से आगे चल रहे हैं। टिकट नहीं मिलने पर भाजपा छोड़ने वाले खजूरिया भाजपा के आरएस पठानिया से 1,816 वोटों से आगे चल रहे हैं।
मुख्य रूप से हिंदू बहुल जम्मू जिले सांबा, कठुआ और उधमपुर, जिसमें 24 विधानसभा सीटें शामिल हैं, सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सांबा: बीजेपी के सुरजीत सिंह सलाथिया आगे, उधमपुर पश्चिम: पवन कुमार गुप्ता (भाजपा) आगे, कठुआ: बीजेपी के भारत भूषण आगे।
शुरुआती रुझानों के मुताबिक, बीजेपी कश्मीर घाटी में खाता खोलने में भी नाकाम रही, यहां तक कि गुरेज की एकमात्र संभावित सीट पर भी वह पीछे चल रही है। हालाँकि, मतगणना के दिन तक पार्टी को जम्मू संभाग में मुख्य दावेदार के रूप में देखा जा रहा था। पार्टी ने जम्मू प्रांत की सभी 47 सीटों पर चुनाव लड़ा। ऐसा कहा जाता है कि यह पहाड़ी जातीय समूह के वोटों पर भारी निर्भर है, जिन्हें इस साल की शुरुआत में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया गया था।