गिलानी के बेटों का आरोप-पुलिस ने ज़बरन की अंत्येष्टि
जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटों ने आरोप लगाया है कि उनके पिता की अंत्येष्टि उनकी इच्छा के ख़िलाफ़ और ज़बरन कर दी गई। उन्होंने कहा है कि पुलिस ने इसलामी तौर तरीकों से अंत्येष्टि नहीं करने दी।
बता दें कि 92 वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी का निधन श्रीनगर में बुधवार की रात हो गया और गुरुवार की सुबह उन्हें घर के पास ही दफ़ना दिया गया।
वे लंबे समय तक अलगाववादी दलों के संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता थे, लेकिन 2020 में उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था और राजनीति से दूर हो गए थे।
क्या कहना है गिलानी के बेटों का?
गिलानी के बेटे डॉक्टर नईम ने कहा, "हमें अपने पिता का इसलामी क़ायदे से अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया। यह हमारा अधिकार था, लेकिन हमसे यह अधिकार भी छीन लिया गया। हम इस बात को लेकर बहुत दुखी हैं।"
डॉक्टर नईम और उनके भाई डॉक्टर नसीम का कहना है कि वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा नहीं ले सके।
इन दोनों भाइयों ने बीबीसी से कहा कि बुधवार की रात जब गिलानी ने अंतिम सांस ली, पुलिस और सरकारी अधिकारी उनके घर आए और गिलानी के शव को ज़बरदस्ती ले गए।
दोनों भाई कहते हैं,
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न उन्हें अंतिम स्नान कराया जा सका, न जनाज़े की नमाज़ पढ़ी गई और न ही हम अपने हाथों से उन्हें क़ब्र में उतार सके।
सैयद अली शाह गिलानी के बेटे
पुलिस पर आरोप
दोनों बेटों ने आरोप लगाया कि सैयद अली शाह गिलानी की मौत के तुरन्त बाद पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों ने उनके घर को घेर लिया। दो वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके अंतिम संस्कार को लेकर परिवार से चर्चा की।
डॉक्टर नसीम ने बीबीसी से कहा,
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हमने उनसे कहा कि अंतिम संस्कार सुबह होगा ताकि सभी रिश्तेदार आ सकें और उनका चेहरा देख सकें।
डॉक्टर नसीम गिलानी, सैयद अली गिलानी के बेटे
क्या कहना है पुलिस का?
पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया है। पुलिस का कहना है कि गिलानी के शव को छीना नहीं गया था, बल्कि पुलिस ने परिवार को 300 मीटर दूर क़ब्रिस्तान तक पहुँचने में मदद की थी।
कश्मीर रेंज के आईजी विजय कुमार ने बीबीसी से कहा, "पुलिस ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अंतिम संस्कार कराया। शांति व्यवस्था को ख़तरे के मद्देनज़र जल्दी अंतिम संस्कार कराया गया।"
पाकिस्तानी झंडा
दूसरी ओर, पुलिस का कहना है कि अलगाववादी नेता के शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया था।
इस मामले में किसी को नामज़द नहीं किया गया और न ही किसी की गिरफ़्तारी हुई है।
डॉक्टर नसीम कहते हैं, "पुलिस अधिकारी उस कमरे में गए जहाँ शव रखा था। कश्मीर पुलिस के प्रमुख विजय कुमार ने हमारे आँगन में खड़े होकर मेरे भाई नईम से कहा कि सुरक्षा की चिंताओं को देखते हुए अंतिम संस्कार जल्द हो जाना चाहिए।"
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हम लोग उस वक़्त सदमे में थे। हमें नहीं पता कि उनके ताबूत पर पाकिस्तानी झंडा किसने लगाया।
डॉक्टर नसीम गिलानी, सैयद अली गिलानी के बेटे
इमरान ख़ान ने की आलोचना
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इस मौके का फ़ायदा उठा कर भारत की आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट किया है, "कश्मीर के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक 92 साल के सैयद अली शाह गिलानी के शव को छीनना और फिर उनके परिवार पर मुक़दमा दर्ज करना भारत के नाज़ी प्रेरित आरएसएस-बीजेपी के शासनकाल में फ़ासीवाद की तरफ़ बढ़ने की एक और मिसाल है।"
पत्थरबाजी
सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद जम्मू-कश्मीर में पुलिस और सुरक्षा बल अलर्ट पर थे। फ़िलहाल हालात शांतिपूर्ण बने हुए हैं।
बडगाम ज़िले के नरकारा में पत्थरबाज़ी की एक घटना हुई है।
पुलिस के मुताबिक़ शांति व्यवस्था बनाने के लिए सख़्त क़दम उठाए गए हैं और कई 'शरारती तत्वों' को हिरासत में लिया गया है।