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जगन रेड्डी, चंद्रबाबू में तिरुपति लड्डू पर शुरू हुआ संघर्ष आस्था पर पहुँचा!

जगन रेड्डी, चंद्रबाबू में तिरुपति लड्डू पर शुरू हुआ संघर्ष आस्था पर पहुँचा!

तिरुपति मंदिर में लड्डू वाले घी में पशु की चर्बी और मछली के तेल इस्तेमाल के आरोपों पर फिर से राजनीतिक गहमागहमी तेज़ क्यों हो गई?

तिरुपति मंदिर में लड्डू विवाद फिर से तब तेज हो गया जब जगन रेड्डी शुक्रवार को तिरुपति यात्रा की योजना बना डाली। लेकिन उनको अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। जगन रेड्डी को ऐसा तब करना पड़ा जब तेलुगू देशम पार्टी के नेताओं ने उनसे भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपनी आस्था घोषित करने वाला एक फॉर्म भरने को कहा। इसके बाद जगन रेड्डी ने यह आरोप लगाते हुए अपनी यात्रा रद्द कर दी कि सरकार उनकी यात्रा में बाधा पैदा कर रही है। हालाँकि चंद्रबाबू नायडू ने उनके आरोपों को खारिज कर दिया और रेड्डी की आस्था को लेकर घेरा।

कहा जा रहा है कि वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी द्वारा मंदिर के प्रसादम लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों के चलते यह फैसला लिया गया है। यह फैसला उनकी यात्रा के दौरान किसी भी व्यवधान या सुरक्षा संबंधी चिंताओं से बचने के लिए लिया गया है।

बता दें कि वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख, मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा तिरुपति के लड्डुओं पर आरोप लगाकर कथित तौर पर किए गए 'पाप' का प्रायश्चित करने के लिए पार्टी द्वारा आहूत राज्यव्यापी मंदिर अनुष्ठान के तहत तिरुमाला हिल्स स्थित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर जाने वाले थे।

मंदिर में अपनी यात्रा से पहले जगन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की और राज्य सरकार पर तिरुमाला मंदिर में उनकी यात्रा में बाधा डालने का आरोप लगाया। रेड्डी ने कहा, 'राज्य में राक्षसों का राज जारी है। सरकार तिरुमाला मंदिर में मेरी आगामी यात्रा में बाधा डालने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने मंदिर यात्रा के संबंध में राज्य भर के वाईएसआरसीपी नेताओं को नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में कहा गया है कि तिरुमाला मंदिर में यात्रा की अनुमति नहीं है और वाईएसआरसीपी द्वारा आयोजित कार्यक्रम के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं है। इस वजह से नेताओं को उस कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति नहीं है।'

जगन को शुक्रवार शाम को तिरुमाला के लिए रवाना होना था और अगली सुबह मंदिर जाना था। उनके प्रस्तावित दौरे का टीडीपी, जन सेना पार्टी और भाजपा ने कड़ा विरोध किया, जिन्होंने उनकी योजना को बाधित करने के लिए विरोध प्रदर्शन और रैलियां बुलाईं।

'मेरी धार्मिक आस्था पर सवाल क्यों?'

अपनी धार्मिक आस्था पर उठाए जा रहे सवालों को लेकर जगन रेड्डी ने कहा, 'मैं अपने घर की चारदीवारी के अंदर बाइबिल पढ़ सकता हूं, लेकिन बाहर मैं हिंदू धर्म, इस्लाम और सिख धर्मों का सम्मान करता हूं। क्या लोग मेरे धर्म को नहीं जानते? सीएम के तौर पर मैंने भगवान वेंकटेश्वर को पवित्र वस्त्र अर्पित किए हैं। किसी ने कभी मेरे धर्म और आस्था पर सवाल नहीं उठाया। टीडीपी और गठबंधन के नेताओं की हिम्मत कैसे हुई कि वे मुझसे मंदिर न जाने के लिए कहें?' 

रेड्डी ने कहा कि टीडीपी, जन सेना पार्टी और बीजेपी के नेता शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और गलत जानकारी फैला रहे हैं। उन्होंने पूछा, "क्या आप 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द का मतलब जानते हैं। धर्म के नाम पर गंदी राजनीति न करें। मैं वाईएसआरसीपी के सभी नेताओं से आग्रह करता हूं कि वे मंदिरों में जाएं और लोगों को बताएं कि यह चंद्रबाबू नायडू हैं जिन्होंने आरोप फैलाकर भगवान वेंकटेश्वर मंदिर और तिरुपति लड्डू की पवित्रता का अपमान करके गलत किया है।"

जगन रेड्डी ने राज्य सरकार की आलोचना की और उस पर आरोप लगाया कि वह तिरुपति लड्डू विवाद का इस्तेमाल वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कर रही है।

उन्होंने कहा, 'चंद्रबाबू नायडू झूठा दावा कर रहे हैं कि तिरुमाला लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था, जो मंदिर की पवित्रता और गौरव पर हमला है। क्या यह उचित है? चंद्रबाबू नायडू टीटीडी लड्डू प्रसादम के बारे में सरासर झूठ बोल रहे हैं।'

रेड्डी ने पवित्र तिरुपति लड्डू के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घी में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के बारे में चंद्रबाबू नायडू द्वारा लगाए गए आरोपों का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम यानी टीटीडी की निविदा प्रक्रिया का बचाव किया और नायडू के दावों को निराधार बताया।

रेड्डी ने बताया कि टीटीडी लड्डू बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, जिसमें घी भी शामिल है, की खरीद के लिए सख्त और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करता है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'हर छह महीने में लड्डू के लिए टेंडर निकाले जाते हैं और सबसे कम क़ीमत देने वाले एल1 बोलीदाता को टीटीडी बोर्ड द्वारा मंजूरी दी जाती है। इसमें कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता। टीटीडी बोर्ड में केंद्रीय मंत्रियों और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा अनुशंसित व्यक्ति भी शामिल होते हैं, जो इसे एक विशेष निकाय बनाता है।'

रेड्डी ने यह भी बताया कि गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के कारण घी को अस्वीकार करने का मुद्दा उनके और नायडू दोनों के कार्यकाल के दौरान एक नियमित घटना रही है। रेड्डी ने कहा, '2014 से 2019 तक, चंद्रबाबू नायडू के शासन में, गुणवत्ता संबंधी मुद्दों के कारण घी को 14-15 बार लौटाया गया। इसी तरह, 2019 से 2024 तक, घी को 18 बार लौटाया गया। यह गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त प्रक्रिया का हिस्सा है।' 

 - Satya Hindi

रेड्डी के आरोपों पर सीएम नायडू का जवाब

नायडू ने रेड्डी के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि वह तिरुपति नहीं जा सकते क्योंकि पुलिस ने उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी कर चेतावनी दी है कि वे उनकी मंदिर यात्रा में भाग न लें। चंद्रबाबू नायडू ने रेड्डी को चुनौती देते हुए कहा, 'क्या किसी ने आपको जाने से रोका? अगर आपके पास कोई नोटिस है तो उसे मीडिया को दिखाएं। आप झूठ क्यों फैला रहे हैं।'

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख ने तेलुगु देशम पार्टी और भाजपा के नेताओं पर भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपनी आस्था की घोषणा करने के लिए कहने का आरोप लगाया। इसके बाद नायडू ने पलटवार करते हुए कहा, 'अगर जगन मोहन रेड्डी सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, तो वे यह क्यों पूछ रहे हैं कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले उन्हें अपनी आस्था की घोषणा क्यों करनी चाहिए, जबकि यह परंपरा और नियम है?' उन्होंने कहा, 'क्या किसी ने उन्हें मंदिर में जाने से रोका है? कुछ लोगों ने बस इतना ही कहा है कि आप मंदिर के नियमों और विनियमों का पालन करें। इतने सारे प्रमुख व्यक्तियों ने घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और बिना किसी हंगामे के मंदिर का दौरा किया है; जगन को ऐसा करने से कौन रोकता है?'

नायडू ने कहा, 'जगन के घर पर बाइबल पढ़ने से किसी को कोई परेशानी नहीं है। हम सभी किसी न किसी धर्म को मानते हैं। जगन कहते हैं कि वे घर पर बाइबल पढ़ते हैं, लेकिन बाहर वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। अगर ऐसा है, तो वे तिरुमाला मंदिर के नियमों और परंपराओं का सम्मान क्यों नहीं करना चाहते हैं - अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे धर्म से है तो उसे बताना क्यों नहीं चाहते? कानून का पालन करने वाला हर नागरिक पहले भी ऐसा कर चुका है।'

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