इंदौर में रामनवमी पर 36 मौतें; जानिए हादसे के लिए ज़िम्मेदार कौन
मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर में रामनवमी पर हुए भयावह हादसे में कई लोगों की जानें गईं। मंदिर की बावड़ी (बड़े कुएं) से सेना के जवानों को शुक्रवार सुबह तक 23 और शव मिले हैं। मरने वालों की संख्या बढ़कर 36 हो गयी है। अनेक लापता लोगों के शवों की खोजबीन का सिलसिला अभी जारी है। इस बीच यह दावा भी सामने आया है, ‘बावड़ी को चूहों ने खोखला किया, जिससे यह हादसा हो गया!’
इंदौर के स्नेह नगर स्थित बेलेश्वर झूलेलाल महादेव मंदिर में गुरुवार दोपहर को बड़ा हादसा हो गया था। रामनवमी के अवसर पर आयोजित पूजा-अर्चना, हवन और कन्याभोज के कार्यक्रम में जुटे 50 से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर की बावड़ी की छत धसकने से 40 फीट गहरी बावड़ी में समा गए थे।
स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य आरंभ करते हुए 20 लोगों को जिंदा निकाला था। जबकि शाम तक 11 शव बावड़ी से निकाले गए थे। राहत और बचाव कार्य में पेश आयी परेशानियों के बाद एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना को बुलाया गया था।
देर शाम सेना के मोर्चा संभालने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आयी थी। बावड़ी के पानी को उलीचने का काम तेज होने एवं सेना के जवानों की त्वरिता के साथ ही शवों के मिलने का सिलसिला भी तेज हुआ था। एक के बाद एक शव मिलते चले गए थे।
समय पर क्यों नहीं जागा प्रशासन?
आरोप है कि 60 साल पुराने छोटे मंदिर का पिछले लंबे समय से विस्तार कार्य चल रहा था। मंदिर परिसर से लगी सरकारी जमीन कब्जाने और अवैध निर्माण का आरोप लगाने वाले लोगों ने समय रहते तमाम शिकायतें करने का दावा भी किया। उन्होंने अपनी लिखित शिकायतों में प्रशासन को सजग किया कि अवैध निर्माण जानलेवा साबित हो सकते हैं। शिकायतकर्ताओं का यह भी आरोप है कि बार-बार सतर्क करने के बाद भी ज़िम्मेदार अफसरों ने कार्रवाई नहीं की।
दावा किया गया है कि शिकायत में बताया गया था कि मंदिर के विस्तार के लिए अंधाधुंध खुदाई, निर्माण कार्यों से न केवल मंदिर परिसर का क्षेत्र बल्कि मंदिर से लगे अन्य घर भी असुरक्षित हो रहे हैं।
बड़ा सवाल यही है कि यदि समय रहते शिकायतें की जा रही थीं तो स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई आखिर क्यों नहीं की?
सवाल का जवाब पहले भले ही नहीं मिला हो, लेकिन अब मिल जाने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है।
चूहों की वजह से हादस हुआ!
मंदिर समिति से जुड़े कतिपय लोगों और कुछ स्थानीय रहवासियों ने भी मंदिर के भीतर एवं क्षेत्र में चूहों के ‘आतंक’ की बात कही। दावा किया गया कि बावड़ी और उससे लगी जमीन को चूहों ने खोखला किया। हादसे की एक बड़ी वजह चूहों को भी बताया गया। दावा करने वाले यह जवाब नहीं दे रहे हैं कि चूहों को रोकने के लिए वक्त रहते क्या कदम उठाये गये?
मुख्यमंत्री को क्यों दिए गए ग़लत आंकड़े?
गुरुवार दोपहर को करीब 12 बजे हुए हादसे के कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का वीडियो बयान आया था। उन्होंने कहा था, ‘वे इंदौर प्रशासन से पल-पल की सूचनाएं ले रहे हैं। राहत और बचाव के निर्देश उन्होंने दिए हैं।’
मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा था, ‘कुल 19 लोगों के बावड़ी में गिरने की आरंभिक सूचना आयी है। इनमें 10 को निकाल लिया गया है। बाकी को निकालने का कार्य तेज गति से जारी है। कोई हताहत नहीं हुआ है।’
सवाल उठाया जा रहा है कि स्थानीय प्रशासन और अफसरों ने 19 आंकड़ा आखिर कैसे दे दिया? दरअसल हादसे के प्रत्यक्षदर्शी बार-बार दावा कर रहे थे कि बावड़ी की छत खचाखच भरी थी। हादसे का शिकार 50 से ज्यादा लोग हुए हैं, लेकिन इसके उलट दावे प्रशासन करता रहा।
हादसे के बाद मची अफरा-तफरी के दौरान अपनों को ढूंढने पहुंचे लोगों ने स्थानीय प्रशासन के प्रयासों को बार-बार नाकाफी करार दिया था। बावजूद इसके सेना की मदद का कदम नहीं उठाया गया। देर शाम सेना बुलाई गई, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। बावड़ी कब्रगाह बन चुकी थी। अभी भी अपने कई लोगों के लापता होने की शिकायतें स्थानीय रहवासी कर रहे हैं। सेना का अमला लापता लोगों को बावड़ी के कीचड़ में ढूंढ रहा है।
800 वर्गफीट में लीपापोती ने ली जानें!
आरंभिक छानबीन में सामने आया है कि 200 साल पुरानी बावड़ी के 800 वर्गफीट क्षेत्र को मंदिर ट्रस्ट के तत्कालीन पदाधिकारियों ने लोहे की चार गर्डर डालकर रेत, फर्शियों और गिट्टी से पैक कर दिया था। इस कार्य के बाद ऊपर से टाइल्स लगा दी गई थी।
मंदिर में तमाम कार्यक्रमों खासकर हवन-पूजन बावड़ी की छत पर बैठकर ही संपन्न कराए जाते थे। गुरुवार को हवन-पूजन इसी छत पर बैठकर हो रहा था। भारी दबाव की वजह से छत धँस गई।