कोरोना वायरस के खौफ़ और पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति के बीच शेयर बाज़ार में भी ज़बरदस्त खौफ दिखा। सुबह दस बजने से कुछ मिनट पहले ही सेंसेक्स 2991.85 फ़ीसदी यानी 10 फ़ीसदी की गिरावट के साथ 26,924 पर पहुँच गया। सेंसेक्स में सर्किट ब्रेकर लगाना पड़ा। सर्किट ब्रेकर का मतलब है जब दस फ़ीसदी से ज़्यादा बाज़ार में गिरावट आ जाती है तो शेयर ख़रीदने और बेचने पर कुछ देर के लिए ब्रेक यानी रोक लगा दी जाती है। सेंसेक्स 45 मिनट बाद खुलेगा।
हालाँकि सुबह सेंसेक्स खुलते ही इसमें 2800 अंकों तक की गिरावट आ गई थी यानी यह क़रीब 9.37 फ़ीसदी नीचे चला गया था। सुबह से ही लग रहा था कि कहीं सर्किट ब्रेकर लगाने की स्थिति न आन पड़े। इसी महीने एक बार ऐसी स्थिति आन पड़ी थी जब सेंसेक्स में 10 फ़ीसदी की गिरावट आई थी और सर्किट ब्रेकर लगाना पड़ा था।
निफ़्टी में भी भारी गिरावट आई। एक समय इसमें 800 से ज़्यादा अंकों की गिरावट रही और यह आठ हज़ार से भी नीचे पहुँच गया।
कहा जा रहा है कि देश में कोरोना वायरस के कारण जो लॉकडाउन हुआ है इसका असर शेयर मार्केट पर पड़ रहा है। बता दें कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लोगों को अलग-थलग करने के लिए सरकार ने कई सख्त क़दम उठाए हैं। वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश के 75 ज़िलों में लॉकडाउन किया गया है। कई राज्यों में तो पूरी तरह लॉकडाउन है। रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनों को 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया है। ज़रूरी सामानों की आपूर्ति होती रहे इसलिए माल गाड़ी चलती रहेंगी। अलग-अलग शहरों में मेट्रो सेवाएँ भी बंद की गईं। अंतरराज्यीय बस सेवाएँ भी बंद की गईं।
ऐसे ही क़दम एशिया के दूसरे देशों में भी उठाए गए हैं और वहाँ के शेयर बाज़ार पर भी ऐसा ही असर पड़ता दिख रहा है। शंघाई के ब्लू चिप्स 2.3 फ़ीसदी गिरा, एमएससीआई के ब्रॉडकास्ट इंडेक्स में जापान के बाहर 3.8 फ़ीसदी की गिरावट आई। न्यूज़ीलैंड के मार्केट में भी 10 फ़ीसदी की गिरावट रही। हालाँकि जापान का निकेई में मामूली 0.8 फ़ीसदी की बढ़ोतरी देखी गई।