आरएसएस से जुड़ा स्वदेशी जागरण मंच भी विनिवेश के ख़िलाफ़

02:41 pm Feb 02, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने कुछ सरकारी कंपनियों के निजीकरण करने के प्रस्ताव का ज़ोरदार शब्दों में विरोध किया है। उसने कहा है कि इन कंपनियों के कामकाज को सुधारने की ज़रूरत है न कि उन्हें बेच देने की। सोमवार को पेश बजट 2021 में कुछ सार्वजनिक कंपनियों को बेचने का प्रस्ताव किया गया है। 

बता दे कि स्वदेशी जागरण मंच वह संस्था है जो आरएसएस से ही जुड़ी है, उसी विचारधारा की है, पर यह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण का विरोध लंबे अरसे से करती रही है। 

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अश्विनी महाजन ने बयान जारी कर सरकार के निर्णय की निंदा की है। उन्होंने कहा, "बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, कंटेनर कॉरपोरेशन, पवन हंस, भारत अर्थ मूवर्स जैसी कंपनियों के निजीकरण करने की घोषणा चिंताजनक है।" 

स्वदेशी जागरण मंच के बयान में कहा गया, 

"सरकार को अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण का एलान भी चिंताजनक है।"


अश्विनी महाजन, राष्ट्रीय संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच

'कामकाज सुधारें'

मंच ने यह भी कहा कि इन उपक्रमों के विनिवेश करने से बेहतर उनके कामकाज में सुधार करना होगा। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार सिर्फ चार रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों में ही काम करेगी। ये हैं- परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष व रक्षा, परिवहन व दूरसंचार, बिजली, पेट्रोलियम, कोयला व धातु और बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवा क्षेत्र। 

अश्विनी महाजन ने कहा कि करदाताओं के पैसे से बने उपक्रमों में पूंजी विनिवेश सही नहीं है। उनके कामकाज को सुधार कर इक्विटी रूट के ज़रिए पारदर्शी तरीके से विनिवेश करना बेहतर विकल्प है। 

इसके साथ ही स्वदेशी जागरण मंच ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ा कर 74 प्रतिशत तक करने के निर्णय को भी ग़लत बताया है। उसने कहा कि इससे वित्तीय सेवा के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों का दबदबा हो जाएगा और यह सही फ़ैसला नहीं है।

अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ क्यों?

स्वदेशी जागरण मंच ने बजट के दूसरे कई प्रावधानों को लेकर सरकार की तारीफ की है और कहा है कि इससे रोज़गार के मौके बनेंगे, आर्थिक विकास होगा और सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर में इजाफ़ा होगा। 

बता दें कि 1990 के दशक में जब प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार के समय तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार लागू किया था तो उसका व्यापक विरोध हुआ था। स्वदेशी जागरण मंच ने उन सुधारों का विरोध राष्ट्रवाद के आधार पर किया था। वह कांग्रेस की सरकार थी।

जो काम कांग्रेस की नरसिम्हा राव की सरकार ने किया था, वैसा ही काम अब बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार कर रही है। मंच की विचारधारा बीजेपी से मिलती है, दोनों एक ही मातृ संस्था आरएसएस से जुड़े हुए हैं। ऐसे में बीजेपी सरकार का विरोध करना अधिक महत्वपूर्ण है।

इससे नरेंद्र मोदी सरकार को यह सोचने पर मजबूर होना होगा कि उसके फ़ैसले का विरोध उससे जुड़े संगठन ही क्यों और कैसे कर रहे हैं।