लॉकडाउन की वजह से भारत में कच्चे तेल की ख़पत 70 प्रतिशत कम हो गई है। इसकी वजह यह है कि परिवहन के सभी तरह के साधन और कई तरह की तेल-आधारित आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह ठप हो गई हैं।
ब्लूमबर्ग के आँकड़ों के मुताबिक़, भारत में कच्चे तेल की रोज़ाना खपत में 31 लाख बैरल की कमी आई है।
हालात और बिगड़ेंगे
तेल व प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के पूर्व अध्यक्ष आर. एस. शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए एनडीटीवी से कहा , 'यह अभूतपूर्व स्थिति है, इसके पहले मैंने ऐसा कभी नहीं देखा था। बाज़ार की स्थिति बहुत ख़राब है, हालात और बिगड़ने वाले हैं।'ओएनजीसी देश का सबसे बड़ा तेल उत्पादक है और इसके पास दो रिफ़ाइनरी यानी तेल साफ़ करने के कारखाने हैं।
तेल की मांग कम होने से अतिरिक्त रणनीतिक रिज़र्व रखने पर भी विचार किया जा रहा है भारत के पास 15 लाख बैरल तेल जमा रखने के इंतजाम हैं।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अध्यक्ष संजीव सिंह ने एनडीटीवी से कहा, 'हमारी मांग घट कर 30 से 40 प्रतिशत रह गई है। चीजें खुलने लगेंगी तो स्थिति में सुधार होगा, लेकिन उसके बाद भी कोरोना संकट शुरू होने के पहले जैसा नहीं हो पाएगा। इसमें समय लगेगा।'
भारत में अप्रैल 2019 में 44.80 लाख बैरल तेल खर्च हुआ, जिसमें 6,90,000 बैरल गैसोलीन और 18 लाख बैरल डीज़ल भी शामिल था।
लॉकडाउन के पहले ही कच्चे तेल की खपत में कमी होनी शुरू हो गई थी क्योंकि अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ गई थी। डीज़ल की मांग कम हो गई थी, जेट फ्यूल की मांग घट कर एक तिहाई हो गई थी और गैसोलीन की मांग में 17 प्रतिशत की कमी आ गई थी।
याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च की रात देश को सम्बोधित करते हुए कहा कि रात 12 बजे से पूरे देश में 21 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लगा दिया जाएगा। उन्होंने इसकी ख़ुद व्याख्या करते हुए कहा कि पूरे देश में कहीं भी, कोई भी, घर से बाहर नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा कि जो जहाँ है, रहे, बाहर निकलने की बात भी न सोचे।