2019-20 की चौथी तिमाही में जीडीपी 3.1% रही जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत की जीडीपी 4.2% रही है। यह 11 साल का सबसे कम स्तर है।
चूंकि ये आंकड़े चौथी तिमाही यानी जनवरी से मार्च के हैं, इसलिए ये दिखाते हैं कि कोरोना वायरस और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण आर्थिक विकास में किस कदर ठहराव आया है। इस बात की पहले से ही आशंका जताई जा रही थी कि लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचेगी।
कुछ दिन पहले ही रिजर्व बैंक ने कहा था कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की विकास दर नकारात्मक रहेगी।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी गोल्डमैन सैक्स ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा था कि जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 45% की सिकुड़न देखने को मिल सकती है। हालाँकि उसने ये कह कर थोड़ी राहत देने की कोशिश की थी कि पूरे वित्तीय वर्ष में सिकुड़न सिर्फ़ 5% ही होगी।
गोल्डमैन सैक्स के अलावा मैनेजमेंट कंसल्टेंट एजेंसी आर्थर लिटिल ने अनुमान लगाया था कि भारत की अर्थव्यवस्था में 10.8% की सिकुड़न देखने को मिल सकती है। उसके मुताबिक़, आर्थिक संकट की वजह से भारत में 13.5 करोड़ लोग बेरोज़गार होंगे और 12 करोड़ लोग ग़रीब हो जायेंगे।