भारत-चीन तनाव का असर दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों पर पड़ने लगा है। चीनी बंदरगाहों पर भारतीय उत्पाद और भारतीय बंदरगाहों पर चीनी उत्पाद रुके पड़े हैं। भारत ने चीन के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि इसका कारण यह बताया गया है कि ये ऐप ऐसी गतिविधियों में लगे थे जिनसे भारत की एकता-अखंडता व संप्रुभता को ख़तरा है। पर सच यह है कि भारत ने चीन पर दबाव बढाने के लिए ऐसा किया है और उसने संकेत दिया है कि चीनी कंपनियों को निशाना बनाया जा सकता है। सत्तारूढ़ दल बीजेपी से जुड़े संगठन चीन सामानों के बायकॉट की अपील तो पहले से कर ही रहे हैं। उन्होंने सभी चीनी ऐप को अनइंस्टाल करने की अपील भी लोगों से की थी।
चीन का निर्यात गिरेगा
ऐसे में सवाल यह उठता है कि भारत-चीन दोतरफा व्यापार पर कितना असर पड़ेगा। चीनी सरकार के अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने अनुमान लगाया है कि द्विपक्षीय व्यापार में कम से कम 30 प्रतिशत की कमी आएगी, यह 50 प्रतिशत तक तक भी हो सकती है। उसने कोई आंकड़ा नहीं दिया।लेकिन ये आंकड़े सार्वजनिक हैं और हम उन्हें समझने की कोशिश करते हैं। साल 2019 में भारत-चीन के बीच कुल व्यापार 92.67 अरब डॉलर का हुआ। इसमें चीन ने भारत को 74.72 अरब डॉलर का निर्यात किया, भारत ने चीन को 17.95 अरब डॉलर का सामान बेचा। यानी कुल मिला कर व्यापार संतुलन चीन के पक्ष में रहा। चीन ने भारत को 56.77 अरब डॉलर का माल ज़्यादा बेच दिया।
यदि मौजूदा संकट की वजह से साल 2020 में 2019 के निर्यात में 30 प्रतिशत की गिरावट हो तो चीन का निर्यात 52.304 अरब डॉलर तक आ जाएगा। यदि यह गिरावट 50% हुई तो चीन भारत को 37.36 अरब डॉलर का ही निर्यात कर पाएगा।
गिरा है चीन का निर्यात
चीन का निर्यात पिछले साल भी गिरा था। साल 2018 में दोतरफा व्यापार 95.70 अरब डॉलर का था। इसमें चीन का निर्यात 76.87 अरब डॉलर का था। हम तुलना करने पर पाते हैं कि चीन का निर्यात 2018 की तुलना में 2019 में यानी एक साल में 2.15 अरब डॉलर गिरा। लेकिन इसकी वजह भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती और चीनी अर्थव्यवस्था में आया ठहराव है।52.304 अरब डॉलर का निर्यात
अब यदि मौजूदा संकट की वजह से साल 2020 में 2019 के निर्यात में 30 प्रतिशत की गिरावट हो तो उसका निर्यात 52.304 अरब डॉलर तक आ जाएगा। यदि यह गिरावट 50% हुई तो चीन भारत को 37.36 अरब डॉलर का ही निर्यात कर पाएगा।इन आँकड़ों से साफ़ है कि अधिक नुक़सान चीन का होगा। ग्लोबल टाइम्स की चिंता का सबब यही है कि भारत को जो नुक़सान होगा वह तो होगा, लेकिन अधिक नुक़सान चीन को होगा।
दिक्क़त होगी दोनों को
चीनी अख़बार का मानना है कि भारत में राष्ट्रवादी भावनाओं के उफान मारने के बावजूद चीनी उत्पाद लोकप्रिय रहेंगे क्योंकि वे सस्ते होते हैं।
वनप्लस 8 प्रो मोबाइल फ़ोन की ऑनलाइन बिक्री शुरू हुई तो चीनी उत्पादों के बायकॉट की अपील के बावजूद कुछ मिनटों के अंदर ही सारे फोन बिक गए।
यह सच है कि भारत के कई उद्योग आंशिक रूप से तो कुछ पूरी तरह चीनी आयात पर ही निर्भर हैं। यह भी सच है कि दवा जैसे उद्योगों में चीन पर से निर्भरता ख़त्म करने में भारत को कई साल लग सकते हैं।
पर इसके साथ यह भी सच है कि ज़्यादा आर्थिक नुक़सान चीन को होगा। चीन ने भारत में निवेश किया है, रोज़गार के मौके पैदा किए हैं, पर उसे एक बहुत बड़ा बाज़ार भी मिला है। इतना बड़ा बाजर ढूंढने में चीन को दिक्क़त होगी, समय लगेगा।