दुनिया ने ऐसा आर्थिक संकट पहले कभी नहीं देखा: आईएमएफ़-डब्ल्यूएचओ

06:28 pm Apr 04, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

जिस बात का डर था, आख़िर वही हुआ। पिछले कई महीनों से यह आशंका जताई जा रही थी कि दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में जाने वाली है। आईएमएफ़ यानी इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फ़ंड ने अब इस बात का एलान कर दिया है कि मंदी आ चुकी है और इस बार यह 2008 के आर्थिक संकट से अधिक भयावह होगी।

 

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ के प्रमुख तेदरोस अधनाम गेबरेयेसस के साथ की गई प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में आईएमएफ़ की मैनेजिंग डायरेक्टर के. जार्जीवा ने यह ऐलान किया। 

जार्जीवा ने कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक मंदी का सबसे बड़ा कारण कोरोना वायरस है। उन्होंने कहा कि आईएमएफ़ के इतिहास में ऐसा संकट पहले कभी नहीं आया था। उनके मुताबिक़, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि पूरी अर्थव्यवस्था ही ठप हो जाये। उन्होंने विकासशील और ग़रीब देशों को चेतावनी दी कि वे विशेष तौर पर तैयार रहें, उनके यहाँ आर्थिक संकट विकसित देशों की तुलना में अधिक गहरा हो सकता है। जार्जीवा का कहना है कि ऐसे देशों में स्वास्थ्य सेवायें पहले से ही ख़स्ताहाल में हैं, ऐसे में आर्थिक संकट उनकी कमर तोड़ सकता है। 

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़, कोरोना वायरस की वजह से अब तक दस लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और पचास हज़ार लोगों की जान जा चुकी है। जार्जीवा का कहना है कि इस अभूतपूर्व संकट से निपटने के लिये आईएमएफ़ एक ट्रिलियन डॉलर झोंक रहा है।

लोगों को बचायें या अर्थव्यवस्था को

अमेरिकी समेत दुनिया के कई देशों में यह बहस जोरों पर है कि वे कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों को बचायें या गिरती अर्थव्यवस्था को। अर्थशास्त्रियों के एक वर्ग का तर्क है कि अगर अर्थव्यवस्था को नहीं सँभाला गया तो कोरोना से ज़्यादा लोग ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था के कारण मरेंगे। इस वजह से अमेरिका में लॉकडाउन करने में काफ़ी वक्त लगा और कोरोना का संकट वहाँ काफ़ी बढ़ गया। इस वक्त अमेरिका में कोरोना के सबसे ज़्यादा मरीज़ हैं और मरने वालों की संख्या लगभग साढ़े सात हज़ार हो गई है। 

शनिवार को डब्ल्यूएचओ और आईएमएफ़ दोनों ने ज़ोर देकर कहा कि फ़िलहाल जान बचाना नौकरी बचाने से ज़्यादा ज़रूरी है। अगर कोरोना से जान बचाने में कामयाबी मिल गयी तो बाद में अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सकता है। दोनों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोरोना वायरस पर नियंत्रण पाना पहली प्राथमिकता है और यह आर्थिक विकास में नई जान फूंकने की पहली शर्त भी है।