आर्थिक सुस्ती रोकने के लिए तुरन्त कदम उठाए भारत, आईएमएफ़ ने कहा

04:04 pm Dec 24, 2019 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि भारत को आर्थिक सुस्ती रोकने के लिए कदम तुरन्त उठाने चाहिए। 

उन्होंने सोमवार को दिल्ली में कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को चलाने वाला महत्वपूर्ण इंजन है, लेकिन गिरती खपत, निवेश, कम होते कर राजस्व और दूसरी वजहों से दुनिया की सबसे तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था पर ब्रेक लग गया है। गोपीनाथ ने पिछले हफ़्ते उन्होंने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था सुस्ती से मंदी की ओर आश्चर्यजनक ढंग से बढ़ी है। 

आईएमएफ़ के इस वरिष्ठ अधिकारी का यह कहना अहम इसलिए भी है कि सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि की दर का अनुमान इसने 2020 के लिए 7 प्रतिशत से घटा कर 6.1 प्रतिशत कर दिया।

गोपीनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाक़ात की और उनसे अर्थव्यवस्था पर बातचीत की।

उन्होंने फ़ेडरेशनऑफ़ इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ (फ़िक्की) के 92वें सालाना सम्मेलन में कहा : 

मुझे लगता है कि आर्थिक सुस्ती में नियामक अनिश्चितता की भूमिका रही है। इस पर ध्यान देना चाहिए। यह ज़रूरी है कि भारत आर्थिक सुधार करे, लेकिन ज़्यादा निश्चितता और अधिक स्पष्टता से करने से अधिक फ़ायदा होगा।


गीता गोपीनाथ, मुख्य अर्थशास्त्री, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

आईएमएफ़ एशिया के प्रशांत विभाग के प्रमुख रानिल सलगादो ने कहा, ‘दसियों लाख लोगों को ग़रीबी से उबारने के बाद भारत अब अहम आर्थिक मंदी से गुजर रहा है।’ 

सलगादो ने कहा कि भारत को आर्थिक सुधार की प्रक्रिया तेज़ करनी चाहिए, इसमें वित्तीय क्षेत्र का सुधार भी शामिल है, ताकि वित्तीय कंपनियाँ कर्ज दे सकें। 

अर्थव्यवस्था के अहम इंडीकेटर्स एक नज़र में :

  • आईएमएफ़ ने 2019 के अनुमानित जीडीपी में 1.2 प्रतिशत अंक की कटौती कर इसे 6.1 प्रतिशत किया। 
  • विश्व बैंक ने कहा था कि 2019 में भारत की विकास दर 6% रह सकती है।
  • रिज़र्व बैंक ने माना जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत।
  • 8 कोर सेक्टर में वृद्धि दर शून्य से 5.2 प्रतिशत नीचे यानी -5.2 प्रतिशत पर पहुँच गयी।
  • औद्योगिक उत्पादन 4.3 प्रतिशत सिकुड़ गया।
  • गाँवों में माँग 40 साल के न्यूनतम स्तर पर।
  • आयात में लगभग 14 प्रतिशत की कमी।
  • आयात 13.9 प्रतिशत गिरा।