सीआईआई : सामूहिक कोरोना जाँच हो और कई चरणों में खोलने दें कारखाने

04:26 pm Apr 11, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

लाकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था भयानक संकट में फँस गयी है। पहले से बेहाल उद्योग धंधों की हालत अब और पतली हो गयी है। सरकार के सामने दुविधा यह है कि वह लॉकडाउन बनाये रख लोगों की जान बचाये या लाकडाउन हटा अर्थव्यवस्था को बचाये बड़े और छोटे उद्योगपतियों को लगता है कि अर्थव्यवस्था के लिये लाकडाउन में कुछ न कुछ ढील तो देनी ही पड़ेगी।

इस मामले में उद्योग परिसंघ यानी कॉनफ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज़ (सीआईआई) ने पहल की है और केंद्र सरकार से गुजारिश की है कि धीरे-धीरे कुछ उद्योगो में कुछ जगहों पर कारखाने खोलने और उत्पादन शुरू करने की अनुमति दी जाए।

इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के अनुसार, इस संस्था ने कहा है कि शुरुआत उन उद्योगों से की जा सकती है, जिनमें घर से काम करना मुमकिन नहीं है। वे इकाइयाँ पहले काम शुरू कर सकती हैं, जिनमें बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है और बहुत अधिक संख्या में लोग उससे जुड़े होते हैं। 

सीआईआई ने कहा है कि उत्पादन, ई-कॉमर्स, परिवहन, लॉजिस्टिक्स और निर्माण क्षेत्र में काम पहले शुरू हो। यह पहला चरण होगा। 

चरणबद्ध काम शुरू हो

सीआईआई ने कहा है कि दूसरे चरण में दूसरे तमाम उद्योगों को खोल दिया जाए और सब जगह कामकाज सामान्य रूप से शुरू कर दिया जाए। दूसरा चरण पहले चरण के दो-तीन हफ़्ते बाद शुरू हो। 

कॉरपोरेट जगत के इस संगठन का कहना है कि शुरू के दो-तीन हफ़्तों में लगभग आधे कर्मचारी काम पर लौट आएँ और उसके बाद धीरे-धीरे  कई चरणों में बाकी सभी कर्मचारी काम शुरू कर दें।

सीआईआई के प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि उत्पादक ईकाइयाँ अपने-अपने कारखाना परिसर में ही कर्मचारियों को टिकाएं और छोटे-छोटे समूहों में उनकी कोरोना जाँच कराएँ।

इससे यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा के वे कर्मचारी एक ही जगह  रहेंगे, बाहर नहीं निकलेंगे। 

लाकडाउन लगने के बाद अंतरराष्ट्रीय एजेंसियो ने भारत की विकास दर का जो अनुमान लगाया है वो डरावना है। पहले फिच रेटिंग्स ने कहा कि भारत की विकास दर घट कर 2.5% रह जायेगी। बाद में गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि भारत की जीडीपी 1.6% तक भी जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो आज़ादी के बाद की ये सबसे ख़स्ता हाल विकास दर होगी।

बजाज ऑटो की चिट्ठी

ऐसे में बजाज ऑटो ने महाराष्ट्र सरकार से आग्रह किया है कि उसे इसी तरह उत्पादन शुरू करने दिया जाए क्योंकि उसने निर्यात के लिए ऑर्डर ले रखा है और उसे समय पर तैयार गाड़ियाँ भेजनी होंगी।

 महाराष्ट्र में पुणे के नज़दीक चकन में उसका कारखाना है, जिसमें 12,500 कामगार काम करते हैं। यह कंपनी सालाना 10 लाख दोपहिए गाड़ियाँ बनाती है।

बजाज ऑटो ने राज्य सरकार को लिखी चिट्ठी में कहा है कि उसके कर्मचारी सोशल डिस्टैंसिंग और स्क्रीनिंग के लिए तैयार हैं।

हालाँकि उद्योगपतियों के जाँच के सुझाव पर कई विशेषज्ञों ने आपत्ति जतायी है। उनका कहना है कि कंपनियों का इस तरह सामूहिक जाँच (पूल्ड टेस्टिंग) करना ठीक नहीं होगा। उनका कहना है इस तरह के मामलों में कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जाँच नियमित हों, लोगों का आइसोलेशन ठीक से हो और दूसरी तरह की तमाम सावधानियाँ पूरी तरह बरती जाएं।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि आप शत प्रतिशत सुरक्षा चाहते हैं तो ऐसे किसी कर्मचारी को घर नहीं जाने दें, उनकी नियमत जाँच करें और उन्हें पूरी तरह आइसोलेट करें। 

याद दिला दें कि इसके पहले निर्यातकों ने सरकार से माँग की थी कि उन्हें निर्यात शुरू करने और उसके लिए अपने कारखाने खोलने की अनुमति दी जाए।

उन्होंने आशंका जताई है कि तुरन्त निर्यात नहीं शुरू किया गया तो भारत के बाज़ार पर चीन का कब्जा हो जाएगा क्योंकि चीन ने अपनी उत्पादक इकाइयाँ खोल दी हैं।

फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन के सदस्यों ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाक़ात कर यह माँग रखी थी।

ऑर्गनाइजेशन ने दवा उद्योग का उदाहरण देते हुए कहा कि चीन में दवा बनाने वाली कपनियाँ खुल गई हैं, उत्पादन शुरू हो चुका है। यदि भारतीय कंपनियों को दवा निर्यात की अनुमति नहीं दी गई तो भारत का पूरा निर्यात बाज़ार चीन के पास चला जाएगा।