बैंक खाते में न्यूनतम रकम रखने की मजबूरी 3 महीने के लिए ख़त्म

06:11 pm Mar 24, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई अहम एलान किए हैं। उन्होंने कहा है कि अब बैंक खातों में न्यूनतम जमा रखना अनिवार्य नहीं होगा। यह छूट अगले 3 महीने तक मिलेगी।

अब तक व्यवस्था यह है कि हर बैंक एक न्यूनतम जमा रकम तय करता है, उससे कम पैसे खाते में होने पर खाताधारक को ज़ुर्माना देना होता है। यह रकम अलग-अलग बैंकों के लिए अलग-अलग होती है। 

वित्त मंत्री ने एक दूसरी महत्वपूर्ण घोषणा में कहा है कि अब किसी दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे निकालने पर अतिरिक्त पैसे नहीं देने होंगे। अब तक यह व्यवस्था थी कि जिस बैंक में खाता है, उसी के एटीएम से डेबिट कार्ड के जरिए पैसे निकाले जा सकते हैं। दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे तो निकलते हैं, पर उस पर कुछ शुल्क देना होता है। अगले तीन महीनों तक यह अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा। 

आयकर रिटर्न 30 जून तक

इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न जमा करने की तारीख़ बढ़ा कर 30 जून कर दी गई है। हर साल 31 मार्च तक आयकर रिटर्न भरना होता है। कोरोना की वजह से इस बार इसे 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। 

आयकर देर से जमा करने पर 12 प्रतिशत ब्याज लगता है, इसे घटा कर 9 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह पैन (पर्सनल अकाउंट नंबर) को बायोमेट्रिक आधार से जोड़ने की अंतिम तारीख़ 31 मार्च थी, इसे बढ़ा कर 30 जून कर दिया गया है।

जब यह पूछा गया कि क्या कर्ज़ पर ईएमआई देने के मामले में कुछ समय की छूट दी जाएगी, वित्त मंत्री ने कहा कि इस पर सरकार का जो फ़ैसला होगा, वह उसका एलान बाद में करेंगी। 

वित्त मंत्री ने इसके साथ ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी फाइल करने की भी अंतिम तारीख़ 30 जून तक बढ़ा दी है। सरकार ने यह भी कहा है कि 5 करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वालों को देर से जीएसटी रिटर्न जमा कराने पर भी ज़ुर्माना नहीं लगेगा। 

इसी तरह सरकार ने दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने के मामले में सीमा 1 लाख रुपए ले बढ़ा कर 1 करोड़ रुपए कर दी है। 

निर्मला सीतारमण ने ये घोषणाएं ऐसे समय की हैं जब अर्थव्यवस्था पहले से ही बुरे हाल में है। ऐसे में कोरोना की वजह से संकट बढ़ा हुआ है। सरकार ने जो एलान किए हैं, वह मोटे तौर पर सतही ही हैं और कारोबारियों को बहुत फ़ायदा होता नहीं दिख रहा है। पर मध्य वर्ग के लोगों को थोड़ी सी राहत ज़रूर होगी।