दुनिया भर के नेता भले ही शांति, सौहार्द और आपसी सहयोग का संदेश देते हों, लेकिन जान लेने व तबाही मचाने वाले हथियारों की होड़ में पीछे कोई नहीं रहना चाहता! तभी तो कोरोना महामारी और लॉकडाउन से कराह रही अर्थव्यवस्थाओं के बावजूद पूरी दुनिया में रक्षा पर खर्च बढ़ गया है। और इसमें भारत भी पीछे नहीं है।
एक रिपोर्ट के अनुसार स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी एसआईपीआरआई ने सोमवार को कहा कि विश्व भर में सैन्य ख़र्च 2021 में 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया। और इसमें शीर्ष तीन स्थानों पर अमेरिका, चीन और भारत हैं।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएँ कोरोना महामारी से पिछले दो साल से बेहद ख़राब दौर से गुजर रही हैं। महामारी ख़त्म होने के बाद भी इनके तेजी से उबरने की संभावना कम ही नज़र आ रही है। दुनिया भर की संस्थाएँ इसको लेकर अनुमान जारी कर रही हैं।
हाल ही में आईएमएफ़ की पहली उप प्रबंधकीय निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा है, 'यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से कई देशों में सुधार प्रभावित हुआ है। हमने 2022 के लिए वैश्विक विकास दर को 4.4 फीसदी से घटाकर 3.6 फीसदी और 2023 के लिए 3.8 फीसदी से घटाकर 3.6 फीसदी कर दिया है।'
चीन के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 2022 में तेजी से घटकर 4.4% होने का अनुमान है। भारत के विकास के अनुमान को 8.2% कर दिया है जबकि इसने जनवरी में 9% विकास दर का अनुमान बताया था।
ऐसी ही रिपोर्टों के बीच अब सैन्य ख़र्च को लेकर स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी एसआईपीआरआई की रिपोर्ट आई है। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, एसआईपीआरआई के बयान में कहा गया है, 'कुल वैश्विक सैन्य व्यय 2021 में वास्तविक रूप से 0.7 प्रतिशत बढ़कर 2113 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया। 2021 में पांच सबसे बड़े खर्च करने वाले देश संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, यूनाइटेड किंगडम और रूस थे। इन सबका खर्च कुल मिलाकर 62 प्रतिशत था।'
एसआईपीआरआई के सैन्य व्यय और शस्त्र उत्पादन कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. डिएगो लोप्स डा सिल्वा ने कहा, 'कोविड-19 महामारी के आर्थिक नतीजों के बीच भी, विश्व सैन्य खर्च रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। मुद्रास्फीति के कारण वास्तविक विकास दर में मंदी थी। नॉमिनल रूप से देखें तो सैन्य खर्च में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।'
स्टॉकहोम स्थित संस्थान के अनुसार, भारत का 76.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का सैन्य खर्च दुनिया में तीसरे स्थान पर है। यह 2020 से 0.9 प्रतिशत और 2012 से 33 प्रतिशत अधिक था। स्वदेशी हथियार उद्योग को मज़बूत करने के लिए 2021 के सैन्य बजट में 64 प्रतिशत पूंजीगत परिव्यय घरेलू रूप से उत्पादित हथियारों के अधिग्रहण के लिए निर्धारित किया गया था।
बयान में कहा गया है कि 2021 में अमेरिकी सैन्य खर्च 801 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जो 2020 से 1.4 प्रतिशत कम है। दूसरे स्थान पर चीन रहा जिसने रक्षा पर 293 बिलियन अमरीकी डॉलर ख़र्च किए। यह 2020 की तुलना में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि है।