वैक्सीन आयी तो क्या 2021 में भी नहीं रुकेगा कोरोना?

03:32 pm Mar 02, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

कोरोना संक्रमण के आए एक साल से ज़्यादा हो गया। हर्ड इम्युनिटी भी काफ़ी हद तक विकसित हो गई और कोरोना की वक्सीन भी आम लोगों को लगायी जाने लगी है। तो क्या इस साल के आख़िर तक कोरोना संक्रमण फैलना रुक जाएगा? यदि ऐसा आप सोचते हैं तो विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ का विचार अलग है। डब्ल्यूएचओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा है कि यह सोचना 'अपरिपक्व' और 'अवास्तविक' है कि साल के अंत तक महामारी को रोका जा सकता है। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में प्रभावी टीकों के आने से कम से कम अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ों और मौत के मामले कम करने में मदद मिल सकती है।

भारत में कोरोना टीकाकरण का अभियान जोर शोर से चलाया जा रहा है। एक मार्च को ही भारत में कोरोना टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू किया गया है। टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण में 60 से ज़्यादा उम्र के लोगों और कोमोर्बिडिटीज वाले 45 से ज़्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन दी जाएगी। कोमोर्बिडिटीज से मतलब वैसे लोगों से है जो एक साथ कई बीमारियों से जूझ रहे हों और कोरोना जैसे वायरस के प्रति संवेदनशील हों। इससे पहले फ्रंट लाइन वर्कर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाने का अभियान शुरू किया गया था। पहले अभियान में 1.21 करोड़ से ज़्यादा लोगों को टीका लगाया जा चुका है।

एक अनुमान के अनुसार, दूसरे चरण में क़रीब 27 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा। इसमें से 60 से ज़्यादा उम्र के क़रीब 10 करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा। जाहिर तौर पर इतना ज़्यादा टीका लगाने में वक़्त लगेगा। और पूरी जनसंख्या को टीका लगाने में तो और भी ज़्यादा समय लगेगा।

एक उम्मीद इससे थी कि शायद हर्ड इम्युनिटी से कोरोना थमेगा। हर्ड इम्युनिटी से मतलब है कि इतनी बड़ी जनसंख्या में कोरोना के ख़िलाफ़ एंटी बॉडी बन जाना कि फिर कोरोना के फैलने का ख़तरा ही नहीं रहे। सामान्य तौर पर माना जाता है कि यदि किसी देश की जनसंख्या में 60-70 फ़ीसदी लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाए तो फिर कोरोना फैल नहीं पाएगा। 

लेकिन जिस तरह से केरल, महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों में संक्रमण के मामले अभी तेज़ी से बढ़ रहे हैं उससे लगता है कि देश में हर्ड इम्युनिटी की स्थिति नहीं आई है।

कई शहरों में कराए गए सीरो सर्वे की रिपोर्टों में कहा गया है कि देश में 50-55 फ़ीसदी लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी है। हर्ड इम्युनिटी विकसित करने में कोरोना वैक्सीन भी सहायक हो सकती है, लेकिन इतनी बड़ी आबादी को वैक्सीन लगाने में समय लगेगा।

देश में ऐसी स्थिति होने के बाद भी कोरोना संक्रमण फैलने से रुकता नहीं दिख रहा है। देश के छह राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामलों में उछाल दिखा है। भारत में अब सक्रिय मामले क़रीब 1 लाख 68 हज़ार हो गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में नए कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी दिखी है। महाराष्ट्र के पुणे में कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण रात का कर्फ्यू अब 14 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया है। केरल में काफ़ी मामले बढ़े हैं। तमिलनाडु में भी कोरोना से जुड़ी पाबंदी 31 मार्च तक बढ़ा दी गई है। पाबंदी बढ़ाए जाने का मतलब है कि कार्यालय, दुकानें, औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठान सीमित समय में ही संचालित हो सकते हैं। 

ऐसे ही हालात पूरी दुनिया में हैं जहाँ टीकाकरण किया जा रहा है, लेकिन संक्रमण भी नहीं रुका है। जाहिर है सभी देशों में पूरी जनसंख्या का टीकाकरण इतनी जल्दी नहीं हो सकता है। यही डब्ल्यूएचओ भी कह रहा है। 

डब्ल्यूएचओ के आपात कार्यक्रमों के निदेशक डॉ. माइकल रयान ने कहा है कि दुनिया का एकमात्र ध्येय अभी कोरोना के प्रसार को कम से कम रखना होना चाहिए। उन्होंने कहा, 'अगर हम होशियार हैं तो हम इस महामारी से जुड़े अस्पताल में भर्ती होने के मामलों और मौत के मामलों को साल के अंत तक ख़त्म कर सकते हैं।'

रयान ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ को जो आँकड़े मिले हैं उससे पता चलता है कि कई टीके वायरस के विस्फोटक प्रसार पर अंकुश लगाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन अस्पताल में भर्ती होने के मामले और मौत के मामले ही कम करने पर ही सिर्फ़ असर नहीं डालेगी, बल्कि कोरोना को फैलने से भी यह रोकेगी। उन्होंने कहा कि अभी वायरस बहुत हद तक नियंत्रण में है।