वॉट्सऐप फ़ेक न्यूज़ फैलाने का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है। दिन भर में लाखों-करोड़ों लोगों तक उल-जूलूल ख़बरें इस सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म के जरिये फैलाई जा रही हैं। इसका पहला उदाहरण देखिए- 'मेरे पूर्वज मुसलमान थे और मैं भी मुसलिम हूँ - राहुल गाँधी।' दूसरा उदाहरण - 'कश्मीर पाकिस्तान को दे दिया जाना चाहिए - राहुल गाँधी।' तीसरी फ़ेक न्यूज़ देखिए - नेहरू के दादा का नाम गियासुद्दीन ग़ाज़ी था और चौथी यह कि ममता बनर्जी हिंदू नहीं मुसलमान हैं। कुछ ही दिन पहले एक महिला के वीडियो को विंग कमांडर अभिनंदन की पत्नी का वीडियो बताकर वायरल कर दिया गया।
इन सभी फ़ेक न्यूज़ को पढ़कर और जिस नए अंदाज में इन्हें वायरल किया जा रहा है, उससे एक बार को तो आपको यक़ीन ही नहीं होगा कि ये ख़बरें ग़लत भी हो सकती हैं। वॉट्सऐप का सहारा लेकर इसी तरह फ़ेक न्यूज़ फैलाने का काम जोर-शोर से चल रहा है।
कभी न्यूज़ चैनलों के स्क्रीनशॉट को एडिट करके यह काम किया जा रहा है तो कभी टेक्स्ट मैसेज भेजकर। देश के हज़ारों-लाखों लोग न्यूज़ चैनलों जैसे दिखने वाले इन मैसेज पर एक बार को यक़ीन कर लेते हैं। लोकसभा चुनाव के नज़दीक आते ही इस तरह की फ़ेक न्यूज़ को वायरल करने का काम और तेज़ हो गया है।
मीडिया की विश्वसनीयता पर उठे सवाल
फ़ेक न्यूज़ से मीडिया की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। दुनिया भर के देश डिजिटल मीडिया पर फैलाई जा रही फ़ेक न्यूज़ से परेशान हैं। मलेशिया ने पिछले साल ही एक क़ानून पास किया है। इस कानून के तहत कोई भी व्यक्ति या डिजिटल मीडिया प्लेटफ़ार्म जो सोशल मीडिया पर फे़क न्यूज़ फैलाता पाया जाएगा, उसे जुर्माना और सज़ा हो सकती है।
फे़क न्यूज़ का कोहराम इस कदर बढ़ गया है कि हाल ही में एबीपी न्यूज़ को इस बात की अपील करनी पड़ी कि उनके चैनल के जैसे दिखने वाले तमाम स्क्रीनशॉट फे़क हैं।
क्यों फैलाई जाती है फ़ेक न्यूज़
फ़ेक न्यूज़ के जरिये किसी भी बात के लिए आम राय बनाने की कोशिश की जाती है। फ़ेक न्यूज़ के ज़रिये नफ़रत फैलाने, दंगा भड़काने के काम भी किए जा रहे हैं। भारत में वॉट्सऐप सबसे ज़्यादा पहुँच वाला सोशल मीडिया ऐप है और 23 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। इसलिए फ़ेक न्यूज़ फैलाने वालों का यहाँ पर एक बहुत बड़ा बाज़ार मिलता है।
लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक़, भारत में हर छठा वॉट्सऐप यूज़र किसी राजनीतिक दल या राजनेता की ओर से शुरू किए गए वॉट्सऐप ग्रुप में शामिल था।
समय बीतने के साथ फ़ेक न्यूज़ फैलाने वाले लोग भी काफ़ी एडवांस्ड हो गए हैं। शानदार एडिटेड वीडियो से लेकर पूरी न्यूज़ को इमेज की फ़ॉर्म में तैयार करने से लेकर वायरल करने का काम बेहद तेज़ी से किया जा रहा है।
कांग्रेस के अलावा बीजेपी के ख़िलाफ भी फ़ेक न्यूज़ फैलाने का नाम जोर-शोर से होता है। पहले देखते हैं कि कांग्रेस को लेकर यह काम कैसे किया जाता है।
कांग्रेस के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा फ़ेक न्यूज़ फैलाने का काम सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए किया जाता है। कांग्रेस के ख़िलाफ़ ऐसे स्क्रीनशॉट वायरल किए जाते हैं जिनका मक़सद होता है कि कांग्रेस सिर्फ़ मुसलमानों की पार्टी है। तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा किया गया था।
इन स्क्रीनशॉट्स में राहुल गाँधी के पूर्वजों को मुसलमान बताते हुए यह सवाल पूछा जाता है कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष वास्तव में हिंदू हैं
नेहरू-गाँधी परिवार को बनाया निशाना
फे़क न्यूज़ फैलाने वालों का तंत्र किसी को नहीं बख़्शता। देश के पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू भी इनसे नहीं बच सके। नेहरू के बारे में किस तरह की फ़ेक न्यूज़ फैलाई जा रही हैं, देखिए - ‘नेहरू के दादा गियासुद्दीन ग़ाज़ी थे, वह मुग़लों के कोतवाल थे जिन्होंने अपना नाम गंगाधर नेहरू रख लिया था। नेहरू ने एक कैथलिक नन को गर्भवती कर दिया था।’ इसके अलावा इंदिरा गाँधी से लेकर फ़िरोज गाँधी, सोनिया से लेकर राहुल गाँधी तक के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने वाली हज़ारों स्क्रीनशॉट को दिन भर में वायरल किया जाता है।
इन स्क्रीनशॉट्स में बताया जाता है कि इंदिरा के पति फ़िरोज़ गाँधी मुसलिम थे, जबकि सच्चाई यह है कि फ़िरोज पारसी थे। इंदिरा गाँधी के बारे में ऐसे ही एक स्क्रीनशॉट में दावा किया जाता है कि वह मुसलिम थीं और गोमांस भी खाती थीं। इसके अलावा राजीव गाँधी और सोनिया गाँधी की शादी को लेकर भी सवाल खड़े किए जाते हैं कि इनकी शादी दिल्ली के एक चर्च में ईसाई रीति-रिवाज से हुई थी तो इनका बेटा राहुल गाँधी जनेऊ धारी हिंदू कैसे बन गया।
मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक़, इन तमाम फ़ेक न्यूज़ का मक़सद यह बताना होता है कि कांग्रेस हिंदुओं की दुश्मन है और बीजेपी उनकी हितैषी। इससे यह कोशिश की जाती है कि चुनाव में बीजेपी के पक्ष में हिंदुओं के मतों का ध्रुवीकरण किया जा सके। इन फ़ेक न्यूज़ का सीधा मतलब होता है कि सभी हिंदुओं को कांग्रेस को हराने के लिए इकट्ठा हो जाना चाहिए।
बीजेपी को बताया सबसे भ्रष्ट पार्टी
बीजेपी के ख़िलाफ़ जिस तरह की फ़ेक न्यूज़ फैलाई जाती हैं उनमें यह बताया जाता है कि नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी पूरी तरह भ्रष्ट है। इन वारयल स्क्रीनशॉट्स में दावा किया जाता है कि बीजेपी ने 1 लाख करोड़ का घोटाला किया है। यह भी दावा किया जाता है कि रफ़ाल विमान में हुए घोटाले में फ़्रांस के राष्ट्रपति फ़्राँस्वा ओलां ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चोर हैं। जबकि ओलां ने ऐसा कभी नहीं कहा। यह भी कहा जाता है कि भारत एशिया का सबसे भ्रष्ट देश बन चुका है।
ऐसे ही एक अन्य स्क्रीनशॉट में कहा गया कि रफ़ाल घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी पर केस दर्ज करने का आदेश दे दिया है। एक और दावा यह किया गया है कि फ़्रांस भारत को मुफ़्त में 32 जगुआर विमान देगा। नोटबंदी में बीजेपी ने एक अरब का घोटाला किया है, इसका दावा भी एक फ़ेक स्क्रीनशॉट में किया गया है।
भारत में चल रहे कई वॉट्सऐप ग्रुप में राजनीति, अश्लीलता और पाकिस्तान को मिलाकर फ़ेक न्यूज़ चलाई जा रही हैं। इकनॉमिक टाइम्स मे छपी ख़बर के मुताबिक़, पुलवामा हमले के 12 दिन बाद जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ एयर स्ट्राइक की तो कुछ वॉट्सऐप ग्रुप में राष्ट्रवाद से जुड़े, पाकिस्तान पर हमला जैसे संदेश चलाए गए। ये ग्रुप दक्षिण पंथी संगठनों जैसे हिंदू युवा वाहिनी की ओर से बनाए गए थे।
बीजेपी की ओर झुकाव रखने वाले ऐसे वाट्स ग्रुप में नक्शे से पाकिस्तान को मिटाने से लेकर तमाम बातें कहीं गईं।
अभिनंदन के पाकिस्तान में रहने के दौरान सामने आए वीडियो को बहुत तेज़ी से शेयर किया गया, बिना इस बात की सावधानी रखे कि ऐसे किसी वीडियो या संदेश से भारतीय वायुसेना के मनोबल पर असर पड़ सकता है।
इसके अलावा इन ग्रुपों में सुबह 4 बजे से ही जय श्री राम और अन्य धार्मिक संदेश आने शुरू हो जाते हैं। इसके अलावा 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने क्या-क्या काम किए हैं इस बारे में और विपक्षी पार्टियों को लेकर बनाए जाने वाले जोक और उन पर किए गए कटाक्ष भी आते हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से चलाए जा रहे वॉट्सऐप ग्रुप में पार्टी के बारे में, नेताओं के बारे में और दिन भर के कार्यक्रम के बारे में संदेश भेजे जाते हैं।
इसके अलावा कई वॉट्सऐप ग्रुप में पोर्नोग्राफ़ी से जुड़ा कटेंट, कॉल गर्ल्स के नंबर, हज़ारों मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम को भी शेयर किया जाता है।
वॉट्सऐप ने उठाए कई क़दम
वॉट्सऐप ने फ़ेक न्यूज़ को रोकने की दिशा में कई क़दम उठाए हैं। वॉट्सऐप की ओर से भारतीय अख़बारों में फे़क न्यूज़ से बचने के लिए और लोगों को जागरूक करने के लिए पूरे पन्ने के विज्ञापन दिए गए। इसके अलावा वॉट्सऐप ने यह भी क़दम उठाया कि किसी मैसेज को सिर्फ़ 5 लोगों को ही फ़ॉरवर्ड किया जा सकेगा।
वॉट्सऐप की ओर से हर महीने बीस लाख से ज़्यादा ऐसे अकाउंट्स को डिलीट किया जा रहा है और ऐसा वह पिछले तीन महीने से कर रही है। लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं, ऐसे में इस बात की पूरी उम्मीद है कि आने वाले महीनों में फ़ेक न्यूज़ फैलाने का काम और जोर-शोर से होगा।
फ़ेक न्यूज़ वाक़ई में एक बहुत बड़ा सिरदर्द बन चुका है। इससे सबसे बड़ी परेशानी यह है कि कोई भी आपके नाम पर फ़ेक बयान छपवा दे, वायरल करवा दे और आपको पता भी नहीं चलेगा। जब तक आप सफ़ाई देंगे, टीवी चैनल, आपके विरोधी और फ़ेक न्यूज़ फैलाने के काम में जुटी वेबसाइट, ये सभी मिलकर आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा का बहुत ज़्यादा नुक़सान कर चुके होंगे।